Diwali 2022: पांच दिन के त्योहार की शुरूआत 22 से, एक ही खबर में पढ़ें मुहूर्त और पूजन के नियम
Diwali 2022 समय पर करें पूजन मिलेगी सुख-समृद्धि। दीपावली के पांच दिवसीय त्योहारों की श्रृंखला 22 से। दीपावली पर विधि-विधा से मां लक्ष्मी गणेशजी की जाती है पूजा। 25 को सूर्य ग्रहण होने के कारण गोवर्धन पूजा 26 को होगी।
By Tanu GuptaEdited By: Updated: Wed, 19 Oct 2022 05:58 PM (IST)
आगरा, जागरण संवाददाता। पांच दिवसीय दीपावली Diwali के त्योहारों की श्रृंखला 22 अक्टूबर से शुरू हो रही है। दीपावली पर लक्ष्मीजी-गणेशजी की विधि-विधान से पूजा करने से सुख-समृद्धि होती है। दीपावली की तैयारियां बाजार से घर तक शुरू हो चुकी हैं। दीपावली का वर्ष भर लोगों को इंतजार रहता है। धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा, यम द्वितीया के पर्व मनाए जाते हैं। मुख्य पर्व दीपावली 24 अक्टूबर को है। इस दिन मां लक्ष्मी की कृपा पाने को विधि-विधान से पूजन किया जाता है। घरों को सजाया-संवारा जाता है। दीपावली की घर से लेकर बाजार तक तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। ज्योतिषाचार्य अजय तैलंग बताते हैं कि दीपावली पर विधि-विधान से पूजन करना चाहिए। 25 अगस्त को सूर्य ग्रहण होने के कारण कोई पर्व नहीं मनाया जा सकेगा।
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धनतेरस Dhanteras
धनतेरस 22 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन चिकित्सक भगवान धन्वंतरि की भी पूजा करते हैं। लोग धनतेरस को नए बर्तन भी खरीदते हैं और धन की पूजा भी करते हैं। पूजा का शुभ समय शाम 7.01 बजे से रात 8.17 बजे तक है।यह भी पढ़ेंः Agra News: पुलिस बनी देवदूत, जलते सिलेंडर को घर से निकाल बचाई परिवार की जान, लोगों ने किया सम्मान
नरक चतुर्दशी Narak Chaturdashi
नरक चतुर्दशी 23 अक्टूबर को मनाई जाएगी। नरक से डरने वाले मनुष्यों को चंद्रोदय के समय स्नान करना चाहिए। सुबह तेल मालिश कर स्नान करने से रूप संवरता है। यमलोक के दर्शन नहीं करने पड़ते हैं। नरकासुर की स्मृति में चार दीपक भी जलाने चाहिए। नरक चतुर्दशी 23 अक्टूबर को शाम 6.03 बजे से शुरू होकर 24 अक्टूबर को शाम 5.27 बजे तक रहेगी। काली चौदस पर मां काली की रात्रि में पूजा का विधान है।दीपावली Diwali
दीपावली 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन महालक्ष्मी की पूजा की जाती है। कुबेर की पूजा भी की जाती है। कलम व लेखनी की जाती है। बही, लाकर की पूजा होती है। दीपकों को देवस्थान, तुलसी, जलाशय, आंगन, सुरक्षित स्थान, गोशाला आदि मंगल स्थानों पर लगाना चाहिए। आतिशबाजी कर लक्ष्मीजी को प्रसन्न करना चाहिए। धन की देवी का वास वहीं होता है, जहां प्रकाश और स्वच्छता पर जोर दिया जाता है। पूजा का शुभ समय शाम 7.02 बजे से रात 8. 23 बजे तक रहेगा। शाम 5.50 बजे से रात 8.58 बजे तक भी पूजा की जा सकेगी। रात में 11.30 बजे से 1.30 बजे तक पूजा की जा सकती है।
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