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Padma Award 2021: आज शाम आगरा के साहित्यजगत को गौरावन्वित करेंगी प्रो. उषा यादव

Padma Award 2021 कोरोना रिपोर्ट आई नेगेटिव परिवार के साथ करेंगी शिरकत। छह साल बाद आगरा आ रहा पद्मश्री। नार्थ ईदगाह निवासी प्रो. ऊषा यादव के पिता चंद्रपाल सिंह मयंक बाल साहित्यकार थे। उषा यादव 100 से अधिक किताबें लिख चुकी हैं।

By Tanu GuptaEdited By: Updated: Tue, 09 Nov 2021 01:51 PM (IST)
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आगरा की साहित्यकार डॉ उषा यादव को मिलेगा आज पद्मश्री सम्मान।

आगरा, जागरण संवाददाता। रगों में एक साहित्यकार पिता का खून, प्रेमचंद और शरद जोशी की लेखनी को आदर्श मानने वाली साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने वाली आगरा की प्रो. उषा यादव को आज शाम राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री मिलेगा।अपने परिवार के साथ दिल्ली पहुंच चुकी प्रो. यादव की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई है।

कम नहीं हुआ उत्साह

फोन पर हुई बातचीत में प्रो. यादव ने बताया कि जनवरी में पद्म सम्मानों की घोषणा हुई थी। कोरोना की दूसरी लहर के कारण समारोह देरी से हो रहा है। इंतजार ने उत्साह और रोमांच को दोगुना ही किया है, कम नहीं किया। वे बताती हैं कि मंगलवार को सुबह और शाम समारोह होंगे। उन्हें शाम पांच बजे का समय दिया गया है।प्रो. यादव डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के केएमआइ के साथ-साथ केंद्रीय हिंदी संस्थान में भी शिक्षण कार्य कर चुकी हैं।वह समारोह में अपने पति डा. आरके सिंह और बेटी डा. कामना सिंह के साथ शामिल होंगी।

पिता भी थे बाल साहित्यकार

नार्थ ईदगाह निवासी प्रो. ऊषा यादव के पिता चंद्रपाल सिंह मयंक बाल साहित्यकार थे। प्रो. यादव बताती हैं कि परिवार में हमेशा से ही लिखने-पढ़ने का माहौल था, तो वह भी इसकी ओर आकर्षित हो गई। उनकी पहली कविता स्कूल की पत्रिका में प्रकाशित हुई, जब वह नौवीं कक्षा में थीं। कहानी संग्रह टुकड़े-टुकड़े सुख, सपनों का इंद्रधनुष, उपन्यास प्रकाश की ओर, आंखों का आकाश सहित 100 से अधिक किताबें लिख चुकी हैं।उनके हिस्से की धूप उपन्यास के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने महात्मा गांधी द्विवार्षिक हिंदी लेखन पुरस्कार दिया। उप्र हिंदी संस्थान ने बाल साहित्य भारती पुरस्कार दिया। इलाहाबाद में मीरा फाउंडेशन ने मीरा स्मृति सम्मान दिया। काहे री नलिनी उपन्यास के लिए मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी ने सम्मानित किया। भोपाल में बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध केंद्र ने सम्मानित किया।

आगरा में इन्हें मिला पद्मश्री

आगरा में साहित्य के क्षेत्र में सबसे पहले डा. हरि शंकर शर्मा को, जरदोजी में शमसुद्दीन को, दरी उद्योग में हरिकृष्ण बातल को पद्मश्री मिला था। उसके बाद साहित्यकार स्वर्गीय डा. लालबहादुर चौहान को 2010 में पद्मश्री मिला था। उसके बाद 2014 में एसएन मेडिकल कालेज में मेडिसिन विभागाध्यक्ष रहे डा. डीके हाजरा को 2014 में पद्मश्री मिला था।इससे पूर्व जरदोजी कलाकार फजल मोहम्मद को भी पद्मश्री मिला था।

इस काबिल हैं वे कि उन्हें यह सम्मान मिले। वे कविता भी लिखती हैं, कहानी भी लिखती हैं।आगरा के साहित्य जगत के लिए गौरव की बात है।

-सोम ठाकुर, कवि

मुझे बहुत प्रसन्नता है।वे इस योग्य हैं। हमारी नारी जाति का गौरव बढ़ाया है।उनके पति डा. आरके सिंह ने हमें आगरा कालेज में पढ़ाया हैं, उनसे ह्रदय से जुड़ाव है।उन्होंने साहित्य की साधना की है।

- डा. शशि तिवारी,कवियित्री

जब यह खबर सुनी थी, तब से ही गौरव महसूस हो रहा है।मैंने उनके पति डा. आरके सिंह के निर्देशन में पीएचडी की है। प्रो. यादव की हर विषय पर दक्षता रखती हैं।जब भी मिलती हैं अपनेपन से मिलती हैं।

- डा. मधु भारद्वाज, साहित्यकार