Dussehra 2022: इनको है रावण से लगाव, दहन होते ही निकल पड़ते हैं आंसू, दशानन पाल रहा पांच पीढ़ियों का पेट
Agra Dussehra News परिवार में पांच पीढ़ियों से हो रहा रावण का पुतला बनाने का काम l तीन भाई और स्वजन इसी काम से पाल रहे हैं पेट। पुतला बनाने के पहले करते हैं इबादत। कुंभकर्ण का केवल बनता है सिर।
By Tanu GuptaEdited By: Updated: Wed, 05 Oct 2022 02:30 PM (IST)
आगरा, जागरण संवाददाता। राम तुम्हारे युग का रावण (Ravan) अच्छा था, दस के दस सिर बाहर रखता था। इस पंक्ति पर तर्क-वितर्क हो सकता है, मगर अमीरूद्दीन के लिए रावण सचमुच अच्छा है। पांच पीढ़ियों से रावण उनके परिवार का पेट पालने का काम करता आ रहा है। उनके परदादा ने मात्र 2500 रुपये से रावण का पुतला बनाने का काम शुरू किया। अमीरूद्दीन इसी काम से एक महीने में 15 हजार रुपये कमा लेते हैं। इस काम से उन्हें इतना लगाव है कि जब रावण के पुतले में आग लगती है तो वह रो पड़ते हैं।
शहर के रामलीला मैदान में रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले तैयार हैं। इस काम को अमीरूद्दीन और उनकी टीम ने पूरा किया है। मथुरा के भरतपुर गेट निवासी अमीरुद्दीन की पांच पीढि़यां इसी काम को करती आ रही हैं। रामलीला कमेटी के मीडिया प्रभारी राहुल गौतम ने बताया, आगरा में इस काम को करने वाला कोई ढंग का कलाकार नहीं है। ऐसे में यहां भी पुतला बनाने उनके अग्रज तभी से आ रहे हैं।यह भी पढ़ेंः Dussehra 2022: आगरा में लेजर लाइट से होगा रावण के 100 फीट ऊंचे पुतले का दहन, देखें दशहरा पूजा का शुभ मुहूर्त
पांच पीढ़ी पहले दादा ने शुरू किया था रावण का पुतला बनाने का कामअमीरुद्दीन के परदादा अमीरबख्श ने रावण का पुतला बनाने का काम शुरू किया। अब अमीरुद्दीन और उनके तीन भाई इस काम को कर रहे हैं। इस वर्ष भी अमीरुद्दीन ने आगरा में, उनका बड़ा भाई छोटेलाल ने मथुरा में और छोटा भाई शहजाद ने मुंबई में पुतला बनाया है। अमीरुद्दीन कहते हैं, उनके संयुक्त 12 सदस्यों वाले परिवार का पेट इसी काम से भरता है। दशहरा गुजरने के बाद उनका परिवार छोटे-छोटे पुतले बनाकर बेचता है। समय-समय पर देवी और देवताओं की मूर्ति भी बना लेते हैं। मगर, कभी ताजिया नहीं बनाया। पूछने पर कहते हैं, कभी मन ही नहीं किया।
45 दिन में बन पाते हैं दहन के लिए तीन पुतले
अमीरुद्दीन बताते हैं, रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण का पुतला बनाने में करीब 45 दिन का समय लगता है। इतनी मेहनत के बाद जब दशहरा के दिन उन्हें जलते देखते हैं तो आंख गीली हो जाती है। कई बार तो राम में तीर संधान के बाद आग भी उन्हें ही लगानी पड़ती है।यह भी पढ़ेंः Mainpuri News: बर्तन व्यवसाई ने की गोली मारकर आत्महत्या, व्यापार में घाटे से था परेशान
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