Move to Jagran APP

Dwarika Prasad Maheshwari के बाल साहित्य को फिर से नया रूप देने की तैयारी, रचनाएं बाल गीत कोष में हो रहीं संकलित

Dwarika Prasad Maheshwari death Anniversary बाल गीत संग्रह समेत कई कृतियां प्रकाशित होने की तैयारी में। आज है बाल साहित्यकार द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की पुण्य तिथि। आगरा रहा है कालजयी साहित्यकार की जन्म और कर्म स्थली। साहित्य पर आलोचना की एक पुस्तक भी होगी प्रकाशित।

By Tanu GuptaEdited By: Updated: Mon, 29 Aug 2022 10:46 AM (IST)
Hero Image
बाल साहित्यकार द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की प्रतिमा। दूसरे चित्र में उनका छाता, घड़ी व अन्य सामान।
आगरा, संदीप शर्मा। जितनी सांसें मिली मुझे, वे खोई नहीं, न अब खोऊंगा। बुझते-बुझत भी पूनम के बीज अमावस में बोऊंगा।। बाल साहित्य के जादूगर द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की यह पंक्तियां सार्थक होने जा रही हैं। उनके बाल गीतों के संग्रह बाल गीत कोश के माध्यम से इसे मुकाम तक पहुंचाने के काम में उनके सुपुत्र डा. विनोद कुमार माहेश्वरी जुटे हैं। बाल गीत संग्रह का प्रकाशन भी शुरू हो चुका है। इसका संपादन प्रसिद्ध साहित्यकार व कवि डा. ओम निश्चल व डा. विनोद कुमार माहेश्वरी ने किया।

डा. विनोद कुमार माहेश्वरी बताते हैं कि पिता द्वारा लिखी गई हर कविता आज भी एक विशेष संदेश देती है। हर पंक्ति पढ़कर बाल मन हर्षित होकर शब्दों के संसार में गोते लगाने लगता है, तो युवा और बुजुर्ग नए भाव सीखते हैं। उनके बाल साहित्य के असीम सागर से खास मोतियों को चुनकर यह बाल गीत संग्रह तैयार किया गया है, जो जल्द ही समाज को समर्पित किया जाएगा।

इन पुस्तकों को किया प्रकाशित

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की चुनी हुई बाल कविताओं का अंग्रेजी अनुवाद कर एक पुस्तक उनके पुत्र प्रकाशित करा चुके हैं, जिससे अहिंदी भाषी क्षेत्र के बच्चों भी उनकी बाल कविताओं का आनंद ले पा रहे हैं।

यह भी है तैयारी

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की तीन खंड में प्रकाशित प्रश्नावली के नवीन व संशोधित संस्करण पर भी तेजी से काम चल रहा है। उनके साहित्य पर आलोचना की एक पुस्तक डा. ओम निश्चल के संपादन में प्रकाशित होने वाली है। 

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।