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Migratory birds in Agra: प्रजनन के लिए आगरा पहुंचा यूरेशियन स्पून-बिल, खासियत आपको कर देगी हैरान

Migratory birds in Agra यूरेशियन स्पून-बिल का उत्तर भारत में आगरा स्थित सूर सरोवर बर्ड सेन्चुरी व भरतपुर राजस्थान के केवलादेव नेशनल पार्क में वृहद स्तर पर प्रजनन होता है। बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसाइटी जोधपुर झाल पर प्रजनन के अनुकूल हेविटाट विकसित करने के प्रयास कर रही है।

By Tanu GuptaEdited By: Updated: Wed, 30 Jun 2021 05:29 PM (IST)
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आगरा की कीठम झील में कलरव करता स्पून बिल का जोड़ा।
आगरा, जागरण संवाददाता। प्रकृति अपने आपमें अद्भुत है। इसे जितना जानने की कोशिश करेंगे उतनी जिज्ञासा बढ़ती जाएगी। प्रकृती की रचनाएं एक से बढ़कर एक हैं। अगर पक्षियों की बात करें तो इनके रंग तो आकर्षित करते ही हैं इनकी शारीरिक बनावटें भी अद्भुत होती हैं। यूरेशियन स्पून-बिल का रंग तो धवल सफेद होता है लेकिन इसकी चोंच चम्मच का आकार लिए होती है इसीलिए इसे स्पून-बिल कहते हैं। विश्व भर में इसकी अलग अलग प्रजातियां पाई जाती हैं। भारत के दक्षिण में भी यह प्रजाति दिखती है। उत्तर भारत में मानसून के दौरान इसका आगमन होता है। आगरा के कीठम झील व मथुरा के जोधपुर झाल पर इसका आगमन होता है और यह सर्दियों तक यहां प्रजनक निवास पर रहता है।

स्पून ( चम्मच) के आकार की चोंच के कारण कहते हैं स्पून बिल

यूरेशियन स्पूनबिल का वैज्ञानिक नाम प्लेटालिया ल्यूकोरोडिया है। इसे काॅमन स्पूनबिल भी कहते हैं। इसे आईबिस और स्पूनबिल के परिवार थ्रेस्कीओर्निथिडे में वर्गीकृत किया गया है। स्पून-बिल सफेद रंग का होता है और चोंच चम्मच के आकार की होती है। ब्रीडिंग प्लमेज के दौरान वयस्कों में नुकीले और झुके हुए पंखों की एक शिखा सिर पर विकसित हो जाती है और गर्दन और ब्रेस्ट के बीच व चोंच की नोक पर पीले रंग के धब्बे हो जाते हैं। झीलें, तालाब, नदी के डेल्टा, नहरें, दलदली झाड़ियों के साथ दलदल इसके प्राकृतिक हेविटाट हैं। लेकिन यह ताजा स्वच्छ व नमकीन पानी को अधिक पसंद करते हैं। स्पून-विल के भोजन में मेंढक, क्रस्टेशियंस , टैडपोल, छोटी मछली, जलीय कीड़े, शैवाल, झींगा व अकशेरूकीय जीवों के साथ कुछ जलीय वनस्पतियां भी शामिल हैं। यह जिग-जैग पद चालन करते हुए भोजन करते हैं। इस प्रक्रिया के अंतर्गत यह भोजन को ढूंढकर अपनी चम्मच जैसी चोंच में पकड़े हुए जिग-जैग गति करते हुए चलते हैं जिससे इनका भोजन मेंढक, मछली पानी से धुल कर साफ हो जाता है ।

विश्व में पाई जाती हैं स्पून-बिल की छः प्रजातियां

विश्व में स्पूनबिल्स की छह प्रजातियां पाई जाती हैं। यह छह प्रजातियां आकार और व्यवहार में बहुत समान होती हैं। यह शरीर के आकार, पैरों के रंग व बिल द्वारा अलग अलग प्रजातियों को पहचाना जा सकता है।

यूरेशियन स्पून-बिल

 यह भारत सहित एशियाई व यूरोपीय देशों में मिलती है।

ब्लैक फेस्ड स्पूनबिल

यह प्रजाति चीन, ताइवान, कोरिया और जापान में पाई जाती है।

अफ्रीकी स्पूनबिल

यह अफ्रीका व मेडागास्कर में पाई जाती है।

रॉयल स्पूनबिल

दक्षिण पूर्व ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड व इंडोनेशिया में पाई जाती है।

यलो बिल स्पूनबिल

दक्षिण पूर्व ऑस्ट्रेलिया में मिलती है।

रोज़ेट स्पूनबिल

यह प्रजाति दक्षिण अमेरिका, कैरिबियन, टेक्सास व लुसियाना में पाई जाती है।

अंडे देने के लिए एक ही घोंसले को सालों तक करते हैं इस्तेमाल

पक्षी विशेषज्ञ डॉ केपी सिंह के अनुसार स्पूनबिल मोनोगैमस होते हैं। इनका प्रजनन काल मानसून के अंत से प्रारंभ हो जाता है। यह अन्य प्रजातियों के साथ कोलोनियल नेस्टिंग में प्रजनन करते हैं। इनके घोंसले ईग्रेट, हैरोन एवं कोर्मोरेन्ट की प्रजातियों के साथ मिश्रित रूप से मिलते हैं। घोंसला खरपतवार या टहनियों से बनाते हैं। घोंसले अधिकतर पानी की नजदीकी उपलब्धता वाले घने कांटेदार पेड़ो जैसे बबूल , जंगल जलेबी , छोंकर आदि पर बनाते हैं। घोंसले 12 से 15 फुट तक की ऊंचाई पर बनाए जाते हैं। घोंसला दोनों नर व मादा मिलकर बनाते हैं। एक जोड़े द्वारा एक ही घोंसले का उपयोग कई वर्षों तक किया जाता है। मादा एक क्लच में तीन से पांच अंडे देती है। दोनों नर व मादा 24 से 25 दिनों तक इनक्यूबेट करते हैं। बच्चों का पालन-पोषण नर व मादा संयुक्त रूप से करते हैं।

आगरा व भरतपुर में होता है बड़े स्तर पर प्रजनन

डॉ केपी सिंह के अनुसार यूरेशियन स्पून-बिल का उत्तर भारत में आगरा स्थित सूर सरोवर बर्ड सेन्चुरी व भरतपुर राजस्थान के केवलादेव नेशनल पार्क में वृहद स्तर पर प्रजनन होता है। बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसाइटी द्वारा जोधपुर झाल पर इनके प्रजनन के अनुकूल हेविटाट विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। वैश्विक स्तर पर इनकी ब्रीडिंग रेंज यूरोप से उत्तर पश्चिम अफ्रीका, लाल सागर, भारत और चीन तक फैली हुई है। सर्दियों में प्रजनन के क्षेत्रों में कर्नाटक राज्य के कई हिस्सों सहित यूरोप और एशिया के कई क्षेत्र शामिल हैं। बीआरडीएस की सदस्य व डाॅ भीमराव अम्बेदकर विश्वविद्यालय आगरा की पीएचडी शोध छात्रा हिमांशी सागर द्वारा स्पून-बिल का कीठम झील स्थित सूर सरोवर बर्ड सेन्चुरी आगरा में पहला अध्ययन किया जा रहा है।

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