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एटा की छोटे मियां बड़े मियां की दरगाह पर कड़ी सुरक्षा के बीच जात शुरू, शनिदेव की भी हो रही पूजा

शनिदेव को तेल अर्पित किया जा रहा है। दरगाह के विश्राम स्थल पर दोनों मूर्तियां रखी गई हैं। सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त हैं। जलेसर में विवादित छोटे मियां बड़े मियां की दरगाह परिसर में खोदाई के दौरान शनिदेव और हनुमान की दो मूर्तियां निकलीं थीं।

By Tanu GuptaEdited By: Updated: Sat, 16 Apr 2022 10:15 AM (IST)
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छोटे मियां बड़े मियां दरगाह के विश्राम स्थल पर शनिदेव को तेल अर्पित किया जा रहा है।
आगरा, जागरण टीम। एटा के जलेसर स्थित छोटे मियां,बडे मियां की दरगाह पर शनीचरी जात कड़ी सुरक्षा में शुरू हो गई।बड़ी संख्या में श्रद्धालु जात के लिए पहुंचे हैं। शुक्रवार को दरगाह परिसर में हुई खोदाई के दौरान निकली शनिदेव और हनुमानजी की मूर्तियों की भी पूजा अर्चना हो रही है।

दरगाह स्थल पर रात से श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था। सुबह होते ही जात शुरू हो गई। पुलिस चौकी के निर्माण के लिए एक दिन पूर्व की गई नींव की खोदाई में निकलीं शनिदेव की मूर्ति को जेल अर्पित किया जा रहा है।बगल में ही हनुमानजी की मूर्ति रखी है। यह दोनों मूर्तियां फिलहाल अस्थाई तौर पर विश्राम स्थल पर रखीं गई हैं। श्रद्धालुओं को मूर्तियां निकलने की जानकारी पहले ही हो गई थी इसलिए श्रद्धा और ज्यादा उमड़ रही है। दरगाह स्थल और कस्बा के विभिन्न स्थानों पर पुलिस फोर्स की तैनाती की गई है। दरगाह स्थल के पांच किमी दायरे में धारा 144 लागू कर दी गई है। एसडीएम अलंकार अग्निहोत्री ने बताया कि प्रशासन की देखरेख में जात हो रही है। सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त हैं।

एएसआइ की टीम का हो रहा इंतजार

प्रशासन को एएसआइ की टीम का इंतजार है ताकि मूर्तियों के बारे में पड़ताल की जा सके कि वे कितनी पुरानी हैं। एसआइ के अधिकारियों को जिलाधिकारी अंकित अग्रवाल ने मूर्तियों के फोटो भेजे थे मगर सिफ फोटो से जांच नहीं हो सकती। इसलिए एएसआइ ने शनिवार को टीम भेजने का निर्णय लिया है।

 99 करोड़ के गबन के बाद सुर्खियों में है दरगाह

हाल ही में दरगाह कमेटी द्वारा 99 करोड़ के गबन के मामले का पर्दाफाश हुआ था और दरगाह कमेटी के अध्यक्ष अकबर अली समेत नौ पदाधिकारियों के खिलाफ गबन की जलेसर कोतवाली में एफआइआर दर्ज है। कमेटी के सदस्यों की संपत्ति की जांच चल रही है। प्रशासन ने दरगाह को अपने कब्जे में लेकर रिसीवर की नियुक्ति कर दी है। तब से प्रशासन की देखरेख में ही जात हो रही है और चढ़ावा सरकारी खाते में जमा हो रहा है। गबन का मामला सामने आने से पहले जलेसर क्षेत्र के दो दर्जन ग्रामीणों ने प्रशासन को शपथ पत्र देकर दरगाह स्थल पर शनि मंदिर होने का दावा किया था। श्रद्धालु यहां नारियल और कौड़ी भी चढ़ाते हैं।

नवरात्र में भी दरगाह पर उमड़ती श्रद्धालुओं की भीड़

जलेसर के लोगों ने दरगाह परिसर में खोदाई कराए जाने की मांग की है ताकि यह पता चल सके कि यहां शनिदेव मंदिर के अवशेष तो नहीं। अभी तो खोदाई में सिर्फ दो मूर्तियां ही निकलीं हैं, लोग कह रहे हैं कि यहां बहुत कुछ छिपा है।जलेसर के विधायक संजीव दिवाकर ने कहा कि दरगाह स्थल पर पूर्व में शनिदेव मंदिर था इस बात के प्रमाण मिलने शुरू हो गए हैं और क्षेत्र के लोग चाहते हैं कि यहां पर्याप्त खोदाई कराई जाए ताकि सही स्थिति सामने आ सके। उन्होंने कहा कि मुस्लिम आक्रांताओं ने शनि मंदिर तोड़कर दरगाह बना दी। इस दरगाह की प्रबंध कमेटी का इतना आतंक था कि कोई कुछ बोलता नहीं था। भाजपा शासन में दबंगों का पर्दाफाश हुआ। इस अवसर पर भाजपा नेता रामजीलाल राजपूत, सुरेश राजपूत, गीतम सिंह राजपूत, महेंद्र सिंह राजपूत, जयपाल कुशवाह, अमित विद्रोही, संजीव वर्मा, मनोज बजरंगी, राहुल पाठक, श्याम कुमार जाटव, गोपाल प्रसाद, विनीत कुमार, उमेश कुमार, लखन यादव, भूपेंद्र सिंह, भरत शर्मा, धर्मेंद्र कुमार, पुष्पेंद्र कुमार, मदारी सिंह, रामगोपाल, श्यामादेवी, गुलाबो देरी आदि मौजूद थे।

विश्राम स्थल पर रहेंगे शनिदेव और बजरंगबली, दरगाह पर भगवा झंडे

जलेसर स्थित छोटे मियां बडे मियां की दरगाह परिसर में की गई पुलिस चौकी के निर्माण के लिए की गई खोदाई के दौरान निकलीं शनिदेव और बजरंगबली की मूर्ति विश्राम स्थल पर रखीं गईं हैं। दोनों ही देव अब बिना परकोटे वाले विश्राम स्थल पर ही रहेंगे और यहीं पूजा-अर्चना होती रहेगी। सुरक्षा के लिहाज से पुलिस की तैनाती गई है। मूर्तियों वाले स्थान पर डीजे बजाने की अनुमति नहीं है।यह विश्राम स्थल पिलर के सहारे बना है, चौतरफा कवर्ड नहीं है और न ही कोई गेट है। फौरी तौर पर प्रशासन ने रस्सियों से चारों पिलर को कबर कर दिया है, लेकिन यह सुरक्षा नाकाफी है क्योंकि कोई भी पशु मूर्तियों तक आसानी से पहुंच सकता है इसलिए श्रद्धालु भी मांग कर रहे हैं कि सुरक्षति घेरा बनवा दिया जाए, हालांकि प्रशासन ने इस संबंध में अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है। शनिदेव और बजरंगबली की जो लोग पूजा करना चाहते हैं वे आसानी से कर सकते हैं पर इस कोई रोक नहीं है। उधर दरगाह पर भगवा झंडे लहरा रहे हैं। इसके पीछे एक कारण यह भी माना जा रहा है कि प्रशासन ने दरगाह कमेटी के नौ सदस्यों को जो नोटिस दिए उनमें शनिदेव मंदिर का जिक्र किया था, नोटिसों में शनिदेव मंदिर के साथ बड़े मियां दरगाह लिखा हुआ था तब से कागजों में शनिदेव मंदिर का नाम दरगाह के साथ जुड़ गया है।

आस्था का उमड़ा ज्वार

शनिदेव और हनुमानजी की मूर्तियां खाेदाई में निकलने के बाद जलेसर देहात ग्राम पंचायत और उसके आसपास के गांवों के लोगों तक जब यह भनक पहुंची तो लोग उमड़ पड़े और शनिदेव और बजरंगबली के जयकारे लगाने लगे। तमाम लोगों ने शनिदेव का तेल से अभिषेक भी किया और भजन-कीर्तन होने लगा। जलेसर देहात ग्राम पंचायत के प्रधान शैलेंद्र सिंह राजपूत ने बताया कि प्रतिदिन मंदिर की तरह यहां पूजा-अर्चना की जाएगी। प्रशासन ने जो निर्देश दिए हैं उसका भी पालन किया जाएगा। हम कोई ऐसा कार्यक्रम आयोजित नहीं करेंगे, जिससे किसी वर्ग की भावनाएं आहत हों। मूर्तियां खोदाई में निकलीं हैं इस वजह से लोगों की भावनाएं और ज्यादा उमड़ रहीं हैं।

दरगाह में अंदर घोड़ों की आकृति

जिन लोगों ने शनिदेव मंदिर होने का दावा किया है उन्होंने कई तर्क भी दिए हैं। प्रशासन को सौंपे गए शपथ पत्रों में कहा गया है कि किसी भी दरगाह पर नारियर और काैड़ी नहीं चढ़ाई जाती, लेकिन यहां दोनों ही चीजें चढ़ाई जाती हैं जो इस बात का प्रमाण हैं कि यहां शनिदेव मंदिर था। दरगाह के अंदर दीवार पर घोड़े की आकृति बनी है, जबकि किसी मुस्लिम इबादतगाह में दीवारों पर कोई आकृति नहीं होती। किसी भी मुस्लिम दरगाह पर शनीचर की जात के नाम से कोई जात नहीं होती, जबकि यहां शनीचरी जात कही जाती है। यही वजह है कि सबसे ज्यादा यहां हिंदू श्रद्धालु आते हैं।

दरगाह कमेटी करती रही गुमराह

जलेसर देहात ग्राम पंचायत की पूर्व प्रधान गुड्डो देवी ने भी वर्ष 2014 में प्रशासन को शपथ पत्र देकर दावा किया था कि यहां छोटे मियां न बड़े मियां बल्कि सिर्फ शनिदेव ही हैं। पूर्व में मंदिर को तोड़कर यहां दरगाह बना दी गई। छोटे मियां और बड़े मियां कौन हैं इस बारे में दरगाह कमेटी वाले भी आज तक स्पष्ट रूप से नहीं बता सके। दरगाह कमेटी लोगों को गुमराह करती रही, लोग यहां बुधवार और शनिवार को जात करने आते थे। दरगाह कमेटी वालों ने यह प्रचारित कर रखा था कि यहां बड़े मियां और छोटे मियां की जात होती है, लेकिन यह कोई नहीं बता पाया कि इस जात में नारियल क्यों चढ़ता है, जबकि हिंदू श्रद्धालु हमेशा यही कहते रहे कि वे शनिदेव की जात के लिए आते हैं, मगर उनकी सुनने वाला कोई नहीं था।

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