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Radha Ashtami 2022: पहाड़ पर बसा है राधारानी मंदिर, 250 सीढ़ियां चढ़कर होते हैं दर्शन, 400 साल पुराना इतिहास

Famous Temple Of Mathura ब्रज में जन्माष्टमी के बाद राधा अष्टमी मनाई जाती है चार सितंबर को राधा अष्टमी धूमधाम से मनाई जाएगी। मथुरा में राधा रानी का मंदिर है जहां चार सौ साल पहले ओरछा नरेश इसका निर्माण कराया था।

By Abhishek SaxenaEdited By: Updated: Thu, 01 Sep 2022 04:17 PM (IST)
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Famous Temple Of Mathura: राधा रानी की बाल लीला स्थली बरसाना ब्रजभूमि का हृदय है।

आगरा, जागरण टीम। राधा रानी की बाल लीला स्थली बरसाना ब्रजभूमि का हृदय है। यह दिल्ली-आगरा राजमार्ग पर स्थित कोसीकलां से 7 किमी और मथुरा से वाया गोवर्धन 47 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां राधा रानी का विशाल मंदिर है, जिसे लाडली महल के नाम से भी जाना जाता है।

400 साल पहले हुआ था निर्माण

इस मंदिर में विराजित राधा रानी की प्रतिमा को ब्रजाचार्य श्रील नारायण भट्ट ने बरसाना स्थित ब्रहृमेश्वर गिरि नामक पर्वत में से संवत् 1626 की आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को निकाला था। इस मंदिर में दर्शन के लिए 250 सीढि़यां चढ़नी पड़ती हैं। यहां राधाष्टमी के अवसर पर भाद्र पद शुक्ल एकादशी से चार दिवसीय मेला जुड़ता है। इस मंदिर का निर्माण आज से लगभग 400 वर्ष पूर्व ओरछा नरेश ने कराया था।

इस मंदिर के निकट ही जयपुर वाला मंदिर है। बरसाना के चारों ओर अनेक प्राचीन व पौराणिक स्थल हैं। यहां स्थित जिन चार पहाड़ों पर राधा रानी का भानुगढ़, दान गढ़, विलासगढ़ व मानगढ़ हैं, वे ब्रहृमा के चार मुख माने गए हैं।

चारों तरफ पर्वत शिखर

इसी तरह यहां के चारों ओर सुनहरा की जो पहाड़ियां हैं, उनके आगे पर्वत शिखर राधा रानी की अष्टसखी रंग देवी, सुदेवी, ललिता, विशाखा, चंपकलता, चित्रा, तुंग विद्या व इंदुलेखा के निवास स्थान हैं। यहां स्थित मोर कुटी, गहवखन व सांकरी खोर आदि भी अत्यंत प्रसिद्ध है।

कान्हा के बाल सखा लूट लेते थो दूह व दही

सांकरी खोर दो पहाड़ियाें के बीच एक संकरा मार्ग है। कहा जाता है कि बरसाने की गोपियां जब इसमें से गुजर कर दूध-दही बेचने जाती थीं तो कृष्ण व उनके ग्वाला-बाल सखा छिपकर उनकी मटकी फोड़ देते थे और दूध-दही लूट लेते थे।

चार दिवसीय मेला जुड़ता है

बरसाना राधा के पिता वृषभानु का निवास स्थान था। यहीं पर भगवान श्रीकृष्ण की प्रेमिका राधा का जन्म हुआ था।

लाड़ली महल यहां सुबह-शाम भक्तों का तांता लगा रहता है। यहां राधाष्टमी के अवसर पर भाद्र पद शुक्ल एकादशी से चार दिवसीय मेला जुड़ता है। यहां की अधिकांश पुरानी इमारतें 300 वर्ष पुरानी हैं। जहां पर यह मंदिर स्थित है वहां से पूरा बरसाना गांव दिखता है।

प्राचीन व पौराणिक स्थल

बरसाना का जयपुर मंदिर भी है पास ही

बरसाना में राधा रानी के मंदिर से महज कुछ ही दूरी पर जयपुर-नरेश का बनाया हुआ विशाल मंदिर भी है जो पहाड़ी के दूसरे शिखर पर बना है। इस मंदिर को देखकर ऐसा लगता है कि यह किसी राजा का भव्य राजमहल है।

इस तरह पहुंच सकते हैं बरसाना

बरसाना दिल्ली-आगरा राजमार्ग पर स्थित कोसीकलां से 7 किमी और मथुरा से 50 किमी जबकि गोवर्धन 23 किमी की दूरी पर स्थित है। आप बस, कार या टैक्सी के जरिए यहां पहुंच सकते हैं। बरसाना के लिए दिल्ली, आगरा और मथुरा से नियमित रूप से बसें चलाई जाती हैं।

अगर आप ट्रेन के जरिए बरसाना पहुंचाना चाह रहे हैं तो यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन कोसीकलां है। बरसाना में रहने के लिए काफी संख्या में धर्मशालाए मौजूद हैं।

बरसाना की होली पूरे विश्व भर में लोकप्रिय

दिल्ली से 114 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मथुरा जिले में बरसाना की होली पूरे विश्व भर में लोकप्रिय है। बरसाने में होली का उत्सव 45 दिनों तक मनाया जाता है जिसे देखने के लिए पर्यटक भारी संख्या में यहां आते हैं। कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर भी यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है। 

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