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Fatehpur Sikri: शेख सलीम चिश्ती दरगाह की कोई मिसाल नहीं, ताजमहल से है समानता, बालीवुड फिल्मों की हुई है शूटिंग

Fatehpur Sikri आगरा में ताजमहल के साथ ही कई ऐतिहासिक स्मारकें हैं। फतेहपुर सीकरी में अकबर ने शेख सलीम चिश्ती की दरगाह बनवाई थी। आज यहां नेता अभिनेता और आम आदमी आकर मत्था टेकते हैं और मन्नत का धागा बांधते हैं। कई फिल्मों की शूटिंग भी यहां हाे चुकी है।

By Abhishek SaxenaEdited By: Updated: Mon, 01 Aug 2022 03:39 PM (IST)
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Fatehpur Sikri: दोनों मकबरे हैं। दोनों ही इमारतों में संगमरमर का इस्तेमाल और खूबसूरत नक्काशी की गई है।

आगरा, जागरण टीम। फतेहपुर सीकरी का Tomb of Salim Chishti संगमरमर की बेहद खूबसूरत नक्काशी का उदाहरण है।

जैसे आगरा में यमुना किनारे स्थित सफेद पत्थर से बना दुनिया की ऐतिहासिक स्माकर ताजमहल का कोई सानी नहीं है तो यहां से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित फतेहपुर सीकरी में मौजूद शेख सलीम चिश्ती की संग-ए-मरमर से आवृत दरगाह की भी दूसरी कोई मिसाल नहीं।

ताजमहल और दरगाह में है कई समानताएं

आगरा के ताजमहल और फतेहपुर सीकरी की दरगाह इन दोनों में कई समानताएं हैं। शेख सलीम चिश्ती की दरगाह को मुगल बादशाह अकबर ने फतेहपुर सीकरी में बनवाया, तो ताजमहल को अकबर के पौत्र शाहजहां ने। ये दोनों मकबरे के रूप में जाने जाते हैं।

इन इमारतों में सफेद संगमरमर का इस्तेमाल हुआ है और बेहद खूबसूरत नक्काशी हुई है। खासियत ये है कि एक इश्क-ए-हकीकी (खुदा से मुहब्बत) का आला मरकज है और दूसरा इश्क-ए- मिजाजी (दुनियावी मुहब्बत) का।

पूरी दुनिया में मशहूर है सीकरी की दरगाह

सीकरी की दरगाह पूरी दुनिया में मशहूर है, ये बात भी सामने आती है कि मुगल बादशाह अकबर के कोई औलाद नहीं थी। उन्होंने शेख सलीम चिश्ती के दर पर माथा टेका और उनकी मुराद पूरी हुई। इसी के बाद उन्होंने चिश्ती की दरगाह को संगमरमरी आस्ताने से महफूज कर दिया।

आज भी शेख सलीम चिश्ती की दरगाह पर जियारत करने और मन्नत का धागा बांधने देश-विदेश से लोग आते हैं। शेख साहब एक प्रसिद्ध सूफी संत थे और उन्होंने सूफी मतानुसार ही हिंदू-मुसलमानों में कोई भेद किए बिना अपनी रहमत लुटाई।

ये है सलीम चिश्ती की दरगाह की खासियत

फतेहपुर सीकरी में शेख सलीम चिश्ती की समाधि फर्श से लगभग एक मीटर ऊंचाई पर निर्मित मंच सरीखी है। इसके प्रवेश द्वार पर पांच सीढ़ियां हैं। मुख्यद्वार पर चार पिलर हैं, इनमें गुजराती शैली की बेहद कलात्मक सर्पाकार आकृतियां उकेरी गई हैं। संगमरमर की जालीदार दीवारों में ज्यामितीय आकृतियों के साथ बेलबूटों की नक्काशी है। खंभों के नीचे के भाग घंटे की तरह लंबाकार हैं। ऊपरी सिरे पर अर्धचक्र बना है।

मुख्य समाधि के चारों ओर संगमरमर की जाली

दरगाह में मुख्य समाधि के चारों ओर संगमरमर की जाली है, जिस पर बारीक नक्काशी का काम है। यहां लोग मन्नत का धागा बांधते हैं। मुख्य कक्ष के दरवाजे पर कुरान की आयतें लिखी हैं, जिस परिसर में चिश्ती की दरगाह है उसके उत्तरी भाग में बादशाही दरवाजा, पश्चिमी हिस्से में जामा मस्जिद और सामने यानी दक्षिणी भाग में बुलंद दरवाजा है।

कई फिल्मों की हो चुकी है शूटिंग

फतेहपुर सीकरी में कई फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। कच्चे धागे, परदेस जैसी बालीवुड की फिल्मों में सीकरी की दरगाह को फिल्माया जा चुका है। फिल्म की सफलता के लिए अभिनेता और अभिनेत्रियां यहां आकर मन्नत का धागा बांध चुकी हैं। 

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