Footwears: यूके, यूएस, यूरो नहीं अब दुनिया पहनेगी भारतीय आकार का जूता, एक लाख लोगाें पर हुआ सर्वे
Footwears सेंट्रल लेदर रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएलआरई) ने एक लाख लोगों पर कराया सर्वे अब चल रहा विश्लेषण। वैज्ञानिकों ने कहा कि लंबाई और परिधि से ही पैर का आकार निर्धारित नहीं हो सकता है। इससे भारतीयों के पैरों में आराम नहीं मिल पाता है।
आगरा, अम्बुज उपाध्याय। छह नंबर जूता साइज बड़ा है और सात नंबर कुछ ढीला लग रहा है। अरे मेरे तो आठ, नौ नहीं साढ़े आठ नंबर ही ज्यादा फिट आएगा। ऐसे संवाद अकसर जूता शोरूम पर सुनने को मिलते हैं। अब इससे जल्द ही राहत मिल जाएगी। यूके, यूएस और यूरो (फ्रांस) द्वारा निर्धारित किए गए आकार का जूता नहीं पहनना होगा। सेंट्रल लेदर रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएलआरई), चेन्नई ने इसके लिए एक लाख विभिन्न आयु वर्ग के लोगों पर सर्वे कराया है। संग्रहित डाटा का विश्लेषण किया जा रहा है, जिसके बाद जल्द भारतीय आकार निर्धारित होगा।
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यूके और यूएस निर्धारित करते थे साइज
भारत में बना जूता देश ही नहीं विश्व पटल पर अपनी चमक बिखेर रहा है। इसमें लगने वाले सोल का आकार यूके, यूएस द्वारा ही सबसे पहले निर्धारित किया गया। इसके बाद यूरो साइज भी बाजार में आया। इनके आधार पर बना जूता ही प्रयोग किया जा रहा है। भारतीयों के पैर का आकार अलग है। सीएलआरई के वैज्ञानिकों ने कहा कि लंबाई और परिधि से ही पैर का आकार निर्धारित नहीं हो सकता है। इससे भारतीयों के पैरों में आराम नहीं मिल पाता है।
सीएलआइआई चेन्नई ने भारतीय आकार निर्धारित करने के लिए प्रस्ताव दिया, जिसे भारत सरकार के डिपार्टमेंट फार प्रमोशन आफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड ने स्वीकार कर सर्वे कराने को कहा। अक्टूबर 2021 में सर्वे की शुरुआत हुई, जो मार्च 2022 तक समाप्त हो गया। इस दौरान चार से 55 आयु वर्ग के एक लाख लोगों के पैरों का आकार थ्री डी माध्यम से लिया गया। अब इस डाटा पर विश्लेषण चल रहा है, जल्द ही भारतीय आकार निर्धारित होगा। इसके बाद भारत के लोगों को स्थानीय स्तर पर निर्धारित जूता, जूता सोल का आकार मिल सकेगा।
थ्री डी स्कैनर से जुटाया गया डाटा
सीएलआरई एक्सटेंशन सेंटर कानपुर के प्रभारी वैज्ञानिक अभिनंदन कुमार ने बताया कि डाटा एकत्रित करने वालों को थ्री डी माध्यम से संकलन करना था। इसके लिए उन्हें थ्री-डी स्कैनर दिए गए थे। इनके माध्यम से डाटा संकलित किया गया है।
देशभर के 75 जिलों से किया गया लिए गया डाटा
देशभर के 75 जिलों को निर्धारित किया गया था, जहां से विभिन्न आयु वर्ग के पैरों के आकार का डाटा कलेक्शन करना था। इसके लिए स्कूल, कालेज, फैक्ट्री और हाउसिंग सोसायटी को चिन्हित कर टीम पहुंची और डाटा जुटाया गया। इसके लिए सीएफटीआइ, कालेज आफ लेदर टेक्नोलाजी कोलकाता, एमआइटी बिहार, आइआइआइएम जम्मू सहित अन्य संस्थान का सहयोग लिया गया था।
ये आयु वर्ग किए थे निर्धारित
चार से 11 वर्ष बच्चों के लिए
12 से 18 वर्ष, युवक, युवतियों के लिए
19 से 55 वर्ष महिलाओं एवं पुरुषों के लिए
निर्धारित अवधि में सर्वे करा एक लाख लोगों के पैर का नाप लिया गया है। इस पर विश्लेषण किया जा रहा है, जल्द ही भारतीय आकार निर्धारित होंगे।
अभिनंदन कुमार, प्रभारी वैज्ञानिक, सीएलआरआई एक्स्टेंशन सेंटर कानपुर