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Gandhi Jayanti 2024: देश कर रहा बापू को नमन, आगरा के आश्रम से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा ही गायब

Gandhi Jayanti 2024 Agra News महात्मा गांधी की जयंती आज देश में मनाई जा रही है। आगरा में भी बापू आए थे और यहां कुछ दिन रुके थे। उनकी स्मृति में एक स्मारक का निर्माण भी कराया गया। जो आज बेहद बदहाल स्थिति में है। महात्मा गांधी की संगमरमर की प्रतिमा इस कदर खराब है कि उसे पहचान पाना भी मुमकिन नहीं है। एक प्रतिमा भी गायब हो गई है।

By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Wed, 02 Oct 2024 09:20 AM (IST)
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गांधीजी की प्रतिमा पिछले वर्ष कमरे में डस्टबिन के बराबर में थी। प्रतिमा अब गायब हो चुकी है। जागरण आर्काइव

जागरण संवाददाता, आगरा। यमुना किनारा स्थित जिस गांधी आश्रम के चबूतरे पर बैठकर महात्मा गांधी वैष्णव जन तो तेने कहिए...गाया करते थे, वह आज बदहाल है। चबूतरे की ईंटें तक गायब हो गई हैं। आश्रम से गांधीजी की प्रतिमा गायब है। प्रतिमा के बारे में किसी को जानकारी नहीं है।

आज गांधी जयंती है। गांधीजी ने एक लाठी के सहारे अंग्रेजों के छक्के छुड़ाकर देश को आजादी दिलाई थी। देश-विदेश में अहिंसा का संदेश दिया था। आज उनके आश्रम से ही उनकी प्रतिमा लापता है। वर्ष 1929 में गांधीजी आगरा आए थे। उनके साथ करीब 250 साथी भी थे। स्वास्थ्य खराब होने पर वह रामकृष्ण दास मेहरा की बगीची में ठहर गए थे। 11 दिन यहां ठहरने के बाद स्वस्थ होने पर वह यहां से चले गए थे।

सूत कातते हुए प्रतिमा हुई थी स्थापित

गांधीजी के वर्ष 1948 में निधन के बाद ब्रजमोहन दास मेहरा ने यह बगीची रामकृष्ण दास मेहरा की स्मृति में गांधी आश्रम को दान कर दी। इसके बाद यहां गांधी आश्रम बन गया। आश्रम में गांधीजी की चरखे पर सूत कातते हुए प्रतिमा थी। प्रतिमा के साथ चश्मा और धोती भी हुआ करती थी। प्रशासन को इतना समय नहीं मिला कि गांधीजी की प्रतिमा की फटी धोती बदल दे।

चार-पांच वर्ष पूर्व छेत्रीय निवासी जगदीश यादव ने बाजार से खरीदकर प्रतिमा को धोती पहनाई थी। एक वर्ष पूर्व गांधीजी की खंडित प्रतिमा व टूटे चश्मे को कमरे से हटाकर बराबर वाले बंद कमरे में रख दिया गया था। विडंबना यह है कि आज प्रतिमा गायब है। गांधी आश्रम की देखभाल करने वालों को भी नहीं पता कि गांधीजी की प्रतिमा कहां गई।

संगमरमर की प्रतिमा भी बदहाल

आश्रम में अब केवल एक संगमरमर की प्रतिमा है। उसे देखकर यह स्पष्ट नहीं होता कि वह गांधीजी की प्रतिमा है, क्योंकि उसकी आंखों पर चश्मा नहीं है। न ही कोई अन्य पहचान है। खतरे में गांधी आश्रम गांधी आश्रम की छत वर्षा में टपकी थी। गांधी आश्रम के छज्जों के पत्थर भी टूटकर गिरने लगे हैं। गांधी आश्रम का भवन अपने अस्तित्व को बचाने की जंग लड़ रहा है। करीब आठ वर्ष पूर्व एडीए ने यहां सुंदरीकरण कराया था, लेकिन उसके बाद यहां की सुध किसी ने नहीं ली।

उपदेश देने वाले चबूतरे से ईंटें उखड़ीं

आश्रम में चबूतरे पर बैठकर गांधीजी जनता से संवाद किया करते थे। आज चबूतरे की हालत बहुत दयनीय है। चबूतरे की ईंटें उखड़ चुकी हैं। उनके स्थान को सुधारने की फिक्र किसी को नहीं है।

गांधी आश्रम की देखभाल जब तक मैं करता था तब तक गांधीजी की प्रतिमा आश्रम में थी। एक वर्ष पहले गांधी आश्रम की चाबी क्षेत्रीय पार्षद ने ले ली थी। मेरे पास चाबी करीब छह माह पहले दोबारा आई। उससे पहले से ही गांधीजी की प्रतिमा गायब है। इसकी जानकारी मुझे नहीं दी गई। -जगदीश यादव, क्षेत्रीय निवासी

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गांधी आश्रम की चाबी मेरे पास थी, लेकिन मैं पिछले वर्ष दो अक्टूबर को गांधी आश्रम गया था। उसके बाद मैं अभी तक नहीं गया हूं। गांधीजी की प्रतिमा आश्रम से गायब होने की जानकारी मुझे नहीं है। चाबी नगर निगम के कर्मचारी बसंत लाल और जगदीश यादव के पास भी ररहती है। -श्याम सुंदर, पार्षद पति

गांधी आश्रम से गांधीजी की प्रतिमा गायब होने की जानकारी नहीं है। मैं जानकारी करके बताता हूं। -बसंत लाल, नगर निगम कर्मचारी 

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