पुष्य नक्षत्र आज, सोना की जमकर होगी खरीदारी; अहोई अष्टमी पर माताएं व्रत रखकर करेंगी संतान की दीर्घायु की कामना
पुष्य नक्षत्र के शुभ अवसर पर सोने की खरीदारी में तेजी देखने को मिल रही है। बाजार में सोने के आभूषणों की जमकर खरीदारी हो रही है। अहोई अष्टमी का व्रत भी आज मनाया जा रहा है जिसमें माताएं संतान की दीर्घायु और कल्याण के लिए व्रत रखती हैं। दीवाली पर्व से पहले बाजार रात में गुलजार हो रहे हैं।
जागरण संवाददाता, आगरा। दीपावली और सहालग की खरीदारी के लिए बाजार में रौनक है। ऐसे में गुरु पुष्य नक्षत्र ने बाजार को और रफ्तार दे दी है। इस दिन सोना खरीदना शुभ माना जाता है और बाजार ने भी इसकी पूरी तैयारी कर ली है।
सोने के अभूषणों के शोरूम से लेकर पुराने बाजार तक गुरुवार को जमकर रौनक रहनी है। सोने के मूल्यों में लगातार वृद्धि हो रही है और बुधवार को मूल्य हाजिर में 80900 रुपये प्रति 10 ग्राम पहुंच गया है। मूल्यों में और वृद्धि की आशंका से हर कोई सोने का कुछ न कुछ खरीद कर रखना चाहता है।
भूमि की खरीद करना भी है शुभ
ऐसे में शुभ अवसरों का इंतजार रहता है। गुरु पुष्य नक्षत्र में खरीदारी के लिए विक्रेताओं ने तैयारी कर ली है तो लाइटवेट से लेकर हैवी में खूब डिजायन तैयार हैं। आचार्य पंडित चंद्रेश कौशिक ने बताया कि पुष्य नक्षत्र पर सोना, वाहन, भूमि की खरीद करना शुभ होता है।सोने को संजोने के लिए महिलाओं को अवसर चाहिए, जो पुष्य नक्षत्र के रूप में मिल रहा है। टेंपल, नवरानी से लेकर डेली वियर कलेक्शन की बड़ी रेंज उपलब्ध है। अनुराग बंसल, फ्रेंचाइजी, तनिष्क एमजी रोड, सिकंदरा बोदला रोड
पुष्य नक्षत्र आभूषणों की खरीद के लिए शुभ माना जाता है। हमारें पास सभी वर्ग के लिए बड़ी रेंज, डिजायन उपलब्ध है। इस अवसर पर लोग जमकर खरीदारी करते हैं। सत्येंद्र बंसल, कनक सानवी ज्वेल्स, एमजी रोड
सोने का मूल्य लगातार बढ़ रहा है, जिससे हर कोई खरीद कर रखना चाहता है। पुष्य नक्षत्र सहित दूसरे शुभ मुर्हूत का इंतजार रहता है। आनंद प्रकाश, आभूषण ज्वेलर्स, एमजी रोडसोने से लेकर डायमंड और विभिन्न तरह के आभूषणों की बड़ी रेंज उपलब्ध हैं। पुष्य नक्षत्र में लोग जमकर खरीदारी करते हैं। प्रतीक नागवानी, लालचंद शोभराज संस ज्वेलर्स
अहोई अष्टमी का व्रत आज
संतान की दीर्घायु की कामना के लिए माताएं गुरुवार को अहोई अष्टमी का व्रत रखेंगी। कार्तिक मास की अष्टमी को होने वाले पर्व की तैयारियों में माताएं एक दिन पहले तक जुटी रहीं। गुरुवार को दिनभर व्रत रहने के बाद माताएं शाम को अहोई अष्टमी की कथा सुनेंगी और फिर तारों को अर्घ्य देकर व्रत का परायण करेंगी। अहोई अष्टमी पर महिलाएं सुबह भोर में उठकर स्नान कर व्रत का संकल्प लेंगी और निर्जल उपवास करेंगी। दोपहर में घर की एक दीवार पर अहोई माता का चित्र उकेरेंगी या उनका चित्र लगाएंगी। साथ ही पूजा की थाली तैयार करेंगी।
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शाम ढलते ही तारे निकलने से पूर्व तैयार होकर अहोई अष्टमी की कथा सामूहिक रूप से सुनेंगी और संतान की रक्षा और दीर्घायु की कामना करेंगी। रात्रि में तारे निकलने पर उन्हें अर्घ्य देकर व्रत खोलेंगी
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