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Guru Purnima 2022: वेदों के रचियता महर्षि वेदव्यास की ब्रज धाम में है तपस्थली, पढ़ें आज भी क्या है महत्व

Guru Purnima 2022 कान्हा की धरा पर महर्षि वेदव्यास ने किया था तप। कृष्ण गंगा घाट रहा है वेदव्यास की तपस्थली। महर्षि वेदव्यास ने की है चारो वेदों की रचना। 28 वें द्वापर में श्री नारदजी की प्रेरणा से श्रीव्यासजी ने कृष्ण गंगा घाट पर श्रीमद् भागवत की रचना की।

By Tanu GuptaEdited By: Updated: Tue, 12 Jul 2022 06:23 PM (IST)
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कान्हा की धरा पर महर्षि वेदव्यास ने किया था तप
आगरा, जागरण टीम। कान्हा की धरा आदि गुरु महर्षि वेदव्यास की तपस्थली रही है। यहां कृष्ण गंगा घाट पर उन्होंने तप किया। इसी घाट पर श्रीमद् भागवत ग्रंथ की रचना भी की। ब्रज धरा गुरुओं की खान के रूप में पहचानी जाती है। भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली गुरुओं की धाम रही है। यह धरा भूमि बड़े-बड़े गुरुओं के लिए श्रद्धा का केंद्र रही है। गुरु पूर्णिमा चारों वेदों के रचयिता वेदव्यास की जन्मतिथि भी है। वह आदि गुरु भी हैं। वेदव्यासजी ने नारदजी की प्रेरणा से भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली पर तप किया था।

बाराह कल्प के अंतर्गत वैवस्त मनुवन्तर के 28 वें द्वापर में श्री नारदजी की प्रेरणा से श्रीव्यासजी ने कृष्ण गंगा घाट पर श्रीमद् भागवत की रचना की। पहले स्कंध के सात अध्याय के 12 वें श्लोक से की थी। भागवत में 12 स्कंध, 335 अध्याय हैं। श्रीमद्र भागवत कथा आयोजन समिति के संस्थापक अमित भारद्वाज बताते हैं कि कृष्णगंगा घाट को सरस्वती पत्तन तीर्थ भी कहा जाता है। पूर्व में यहां सरस्वती नदी यमुना में आकर मिलती थी, वर्तमान में सरस्वती नदी का लोप हो चुका है। कृष्णगंगा सरस्वती का पर्याय है। इस कारण वर्तमान में यह कृष्णगंगा घाट कहलाता है। वायु पुराण में व्यास तपोस्थली के रूप में यह स्थान स्पष्ट वर्णित है, उसमें दिए गए श्लोक में कहा गया है की मथुरापुरी में सोम तीर्थ व बैकुंठ तीर्थ के मध्य कृष्णगंगा नामक स्थान कृष्ण द्वैपायन वेद व्यास का तपोस्थल है। इसके अलावा वराह पुराण व स्कंद पुराण में भी इस स्थान का वर्णन है। कहा गया है कि यहां व्यासजी ने अनेक संहिताओं की रचना की।

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