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हादसे ने हटाया चमत्कार से परदा; भगदड़ में जिंदा बची रेनू का मोहभंग, बोलीं, 'लाशाें में दबी थी सेना संग भाग गए बाबा'

रेनू कहती हैं कि उनके लिए तो गांव वाले भैया भगवान बनकर आए थे। डेढ़ घंटे तक पानी मुंह पर डाला और हवा की। किसी तरह मुझे बाहर लेकर आए। दो घंटे बाद होश आया तब वे बस तक छोड़कर गए। उनकी वजह से ही वह बचकर आ सकी। अब वह नारायण साकार विश्व हरि को नहीं भगवान काे ही पूजेंगी।

By Yashpal Singh Edited By: Abhishek Saxena Updated: Sat, 06 Jul 2024 09:03 AM (IST)
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हाथरस हादसे में जिंदा बची रेनू की तस्वीर और बाबा के सत्संग स्थल का फाइल फोटो।

जागरण संवाददाता, आगरा। लाशों के ढेर नीचे दबी थी। थोड़ी देर तक होश रहा तो दिख रहा था कि लोग मेरे और बहनों के ऊपर से गुजर रहे थे। उठाने के बजाय पैरों से दबाते जा रहे थे। सेवादारों के साथ सूरज पाल सिंह (नारायण साकार विश्व हरि) भाग गए थे। ऐसे में आसपास के गांव के भैया भगवान बनकर आए।

मेरे साथ ही बहन ने शोर मचाया तो उन्होंने लाशों के बीच से खींचकर डेढ़ घंटे तक मेरी हवा की और पानी डाला। तब मुझे होश आया। हाथरस में सत्संग में हुई भगदड़ से जिंदा बचकर आई नगला किशनलाल की रेनू पर जाे बीती, उससे आंखों के सामने से चमत्कार का परदा हट गया है। अब वह कह रही है कि घर में रहकर भगवान की पूजा करूंगी।

2007 से जुड़ी थीं सत्संग में

टेढ़ी बगिया के नगला किशनलाल में रहने वाली रेनू ने बताया कि वह वर्ष 2007 से सूरज पाल सिंह के सत्संग से जुड़ी थीं। तब वह दो वर्ष तक लगातार सत्संग में गई थीं। इसके बाद नौकरी करने लगी और सत्संग में जाना बंद कर दिया। एक वर्ष से उनकी तबीयत खराब रहने लगी। कई महिलाओं ने फिर सत्संग में चलने को कहा तो वह फिर जाने लगीं।

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सत्संग के बाद जा रही थी सड़क पर

दो जुलाई को हाथरस के सिकंदराराऊ में भी वह सत्संग सुनने गई थीं। रेनू ने बताया कि सत्संग खत्म होने के बाद वे पंडाल से सड़क की ओर जा रहे थीं। उनके साथ पड़ोस में रहने वाली गुड्डी भी थीं। दोनों को सड़क की ओर खड़े सेवादारों ने पंडाल की ओर लौटा दिया।

रेनू ने कहा, कि बाबा आ रहे हैं, इसलिए पंडाल की ओर जाओ। पंडाल की ओर से आ रही भीड़ ने उन्हें धक्का मारा। इसके बाद वे सड़क किनारे गड्ढे में गिर पड़ीं। बेहोश होते- होते उन्होंने इतना देखा था कि उनके पास में पड़ीं अन्य बहनों और उनके ऊपर से लोग पैर रखकर चलते जा रहे थे। इसके बाद उन्हें होश नहीं रहा।

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पास के गांव के लोग बचाव को आ गए थे। गुड्डी के शोर मचाने पर एक भैया ने हाथ पकड़कर बाहर खींचा। तब वह लाशों के नीचे दबी हुई थीं। रेनू ने कहा कि बाबा अपनी सेना के साथ भाग गए थे। अगर वे नारायण साकार विश्व हरि होते तो जान बचाते।