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Holi 2020: बिहारी जी के आंगन में महकी केसर, जगमोहन में बैठ ठाकुर जी ने भक्‍तों संग खेली होली

रंगभरनी एकादशी पर जमकर उड़ा अबीर-गुलाल गूंजे होली के रसिया!

By Tanu GuptaEdited By: Updated: Fri, 06 Mar 2020 11:35 AM (IST)
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Holi 2020: बिहारी जी के आंगन में महकी केसर, जगमोहन में बैठ ठाकुर जी ने भक्‍तों संग खेली होली

मथुरा, जेएनएन। मोर मुकुट, कटि काछिनी, श्वेत वस्त्रों पर सुनहरा श्रृंगार और चांदी के सिंहासन पर बैठ हाथ में चांदी की पिचकारी और कमर पर गुलाल का फैंटा बांध जब आराध्य बांकेबिहारी ने दर्शन दिए तो भक्तों को आनंद का ठिकाना नहीं था। हुरियारे बने बांकेबिहारी की पिचकारी से जब टेसू के रंगों की बौछार हुई तो आस्था और उमंग हिलोरें मारने लगीं। होरी के आनंद में मदमस्त श्रद्धालुओं का अल्हड़पन और पिचकारी से छूटते रंग, उड़ता गुलाल और भीड़ को चीरकर आगे बढ़ने की जद्दोजहद। बांकेबिहारी मंदिर मेंं श्रद्धा का आनंद बरसता रहा।

राधा भई श्याम, श्याम श्यामा रंग डूब गए... की गूंज से के साथ बांकेबिहारी मंदिर में शुरू हुई रंगों की होली का आनंद लेने को देश ही नहीं विदेश से भी हजारों श्रद्धालुओं ने वृंदावन में डेरा डाल रखा था। सुबह मंदिर के पट खुुलने से पहले ही भक्तों का हुजूम मंदिर के बाहर पहुंच गया। जब ठा. बांकेबिहारी ने दर्शन दिए तो निहाल हो गए उनके भक्त। मंदिर में उल्लास ऐसा छाया कि क्या बूढे और क्या जवान हर कोई होली के अद्भुत रंग में रंगा नजर आया। ठाकुरजी की पिचकारी से निकला रंग ऐसा कि टोलियों में मंदिर पहुंचे श्रद्धालु भी आपस में एक-दूसरे को नहीं पहचान पा रहे थे।

परिक्रमा में बनी मानव श्रृंखला

रंगभरनी एकादशी पर शुक्रवार की सुबह झमाझम बारिश के बावजूद भक्तों के कदम नहीं थमे। परिक्रमा करने को देश के अलग अलग शहरों से आए श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ने लगा। बारिश के समय भले ही श्रद्धालुओं की संख्या कम थी। लेकिन बारिश थमी और धूप निकली तो परिक्रमा में भक्तों का हुजूम बढ़ता नजर आ रहा है।

यह है मान्यता

वृंदावन में माना जाता है कि प्रिया (राधारानी) प्रियतम (भगवान श्रीकृष्ण) ने प्रेम भरी लीलाएं की थीं। उन्हीं लीलाओं में से एक लीला है होली। रंगभरनी एकादशी से प्रिया-प्रियतम होली की लीलाओं में मग्न हो जाते हैं। प्रेम के जिस रस में डूबे रहते हैं, भक्तगण उसी प्रेम रस का पान करते हैं। इस दिन ठाकुर बांकेबिहारी जी महाराज गर्भगृह से निकलकर बाहर आ जाते हैं और लगातार पांच दिन तक बाहर ही रहकर रसिकों के साथ होली खेलते हैं। इस दिनों भक्तों को ठाकुर बांकेबिहारी जी का अद्भुत शृंगार देखने को मिलता है। बिहारी जी पांच दिन तक लगातार मलमल की सफेद पोशाक धारण करते हैं। कमर गुलाल फैंटा है तो हाथ में फूलन की छड़ी है।

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