Agra News: एक सांड के चक्कर में आधा दर्जन ट्रेनें लेट, आगरा दिल्ली रेलमार्ग पर टकराया पार्सल ट्रेन से
Indian Railway News पलवल से रूंधी के मध्य बुधवार को हुई घटना बेंगलुरु राजधानी सहित कई ट्रेनें रही प्रभावित। थर्ड और फोर्थ रेल लाइन से होकर गुजारी गई ट्रेनें कंट्रोल रूम में पहुंचे डीआरएम। आधा दर्जन ट्रेनाें के संचालन में हुआ विलंब।
By amit dixitEdited By: Prateek GuptaUpdated: Wed, 26 Oct 2022 10:20 PM (IST)
आगरा, जागरण संवाददाता। दिल्ली से आगरा आ रही पार्सल ट्रेन से बुधवार रात आठ बजे सांड टकरा गया। पलवल से रूंधी के मध्य हुई इस घटना ओवर हेड इक्विपमेंट (ओएचई) टूट गई। इससे ट्रेनों का संचालन प्रभावित हुआ। बेंगलुरु राजधानी सहित कई ट्रेनें खड़ी हो गईं। एक घंटे के बाद इन ट्रेनों को थर्ड और फोर्थ लाइन से होकर गुजारा गया जबकि रेलवे की टीम मौके पर पहुंच गई और ओएचई की मरम्मत का कार्य शुरू हो गया। घटना के बाद डीआरएम आनंद स्वरूप कंट्रोल रूम में पहुंच गए और ट्रेनों की जानकारी ली।
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रात आठ बजे हुआ हादसा
बुधवार को दिल्ली से पार्सल ट्रेन आगरा के लिए रवाना हुई। रात आठ बजे यह ट्रेन किमी नंबर 1473/5 के पास थी। तभी ट्रेन के इंजन से सांड टकरा गया। कैटल कार्ड की टक्कर से सांड मौके पर मर गया। सांड की हड्डी उछल कर ओएचई से जाकर टकरा गई। इससे ओएचई टूट गई। लोको पायलट ने किसी तरीके से पार्सल ट्रेन को इमरजेंसी ब्रेक लगाकर रोका। ओएचई टूटने से पलवल से रूंधी के बीच ट्रेनों का संचालन रुक गया।इससे बेंगलुरु राजधानी, संपर्क क्रांति एक्सप्रेस, एपी एक्सप्रेस, कर्नाटक एक्सप्रेस सहित आधा दर्जन से अधिक ट्रेनें रुक गईं। रात नौ बजे के बाद इन ट्रेनों को थर्ड और फोर्थ रेल लाइन से होकर गुजारा। ओएचई टूटने पर डीआरएम आनंद स्वरूप कंट्रोल रूम में पहुंच गए और ट्रेनों के संचालन की जानकारी ली। मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, उत्तर मध्य रेलवे हिमांशु शेखर ने बताया कि सांड के ट्रेन के इंजन से टकराने से ओएचई टूट गई थी। इससे बेंगलुरु राजधानी प्रभावित रही।
क्या है ओएचई
रेल ट्रैक के मध्य से होकर बिजली का तार गुजरता है। इसे ओएचई कहते हैं। इसी तार से ट्रेन के इंजन को विद्युत की आपूर्ति की जाती है। तार टूटने से इंजन को विद्युत की आपूर्ति बंद हो जाती है।कैटल गार्ड
प्रत्येक इंजन के आगे कैटल गार्ड लगा होता है। गार्ड आगे की ओर नुकीला होता है। इससे अगर कोई भी जानवर सीधे या फिर साइड से टकराता है तो वह पहिये के नीचे न आए। पहिये के नीचे जानवर के आने से ट्रेन के पटरी से उतरने का खतरा रहता है।
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