जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने गिनाईं श्रीहनुमान चालीसा में कई त्रुटियां, कहा- रामचरित मानस बनेगा राष्ट्रीय ग्रंथ
Swami Rambhadracharya तुलसीपीठाधीश्वर रामभद्राचार्य ने दैनिक जागरण से की वार्ता। कहा रामचरितमानस बनेगा राष्ट्रीय ग्रंथ। युवाओं को संतों के चरणों में बैठने का अभ्यास करना होगा। तभी जीवन में भगवान श्रीराम की कृपा आएगी और परिवार में भी समृद्धि आएगी।
आगरा, जागरण संवाददाता। रामायण के अद्भुत प्रवक्ता, प्रकांड विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने श्रीहनुमान चालिसा की चौपाइयों में चली आ रहीं शाब्दिक त्रुटियों की ओर ध्यान खींचा है। उन्होंने कहा कि टंकण की इन अशुद्धियों को ठीक किया जाना चाहिए। श्रीरामचरितमानस में भी मैंने कई संशोधन किए हैं। उन्होंने कहा, रामचरितमानस जल्द ही राष्ट्रीय ग्रंथ बनेगा। पाक अधिकृत कश्मीर भी जल्द ही अखंड भारत का हिस्सा बनेगा।
हनुमान की शंकर के पुत्र नहीं बल्कि स्वयं उनका रूप
रामकथा के लिए इन दिनों आगरा आए तुलसीपीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने मंगलवार को यह बात जागरण से बातचीत में कही। उन्होंने बताया, श्रीहनुमान चालीसा में हम पढ़ते हैं, शंकर सुबन केसरी नंदन। इसमें त्रुटि है, इसकी जगह शंकर स्वयं केसरी नंदन होना चाहिए। कारण, हनुमान जी शंकर जी के पुत्र नहीं, बल्कि स्वयं उनका ही रूप हैं।
इसी तरह 27वीं चौपाई में लिखा है सब पर राम तपस्वी राजा। इसमें तपस्वी शब्द में त्रुटि है, सही शब्द है सब पर रामराज सिर ताजा। 32वीं चौपाई में लिखा है राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा। इसमें भी त्रुटि है। सही चौपाई है राम रसायन तुम्हरे पासा, सादर हो रघुपति के दासा। इसी तरह 38वी चौपाई जो सतबार पाठ कर कोई लिखा है। इसमें सही शब्द है, यह सतबार पाठ कर जोही।
रामचरित मानस को मिले राष्ट्रीय ग्रंथ का दर्जा
रामभद्राचार्य ने कहा, श्रीरामचरित मानस तमाम समस्याओं का एक समाधान है। हमारा प्रयास है कि श्रीरामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ का दर्जा दिया जाए। जल्द ही सभी सांसद मिलकर इसके लिए एक विशेष प्रस्ताव पारित कराएंगे। उनका कहना था कि अखंड भारत की संकल्पना जल्द सिद्ध होगी। पाक अधिकृत कश्मीर भी जल्द ही दोबारा भारत में शामिल हो जाएगा। देश के युवा प्रतिभावान और सशक्त हैं, जो देश को फिर से विश्वगुरु बनाएंगे।
चित्रकूट धाम में श्रीराम कथा
राम से ही सबके काम है। राम हैं तो आराम है। समाज के सारे काम हैं। राजनीति के राज हैं। राम से बिना कैसा राज। राम जैसे राज के लिए जरूरी है विवेक। विवेक के लिए जरूरी है संत संगत। तभी बनेगा सुसंगत समाज, सधेगी राजनीति। युवा शक्ति अखंड, सशक्त, समृद्ध और बुद्धिमान भारत बनाएगी। युवाओं में सब है, बस चाहिए तो केवल सुसंगत विवेक। चित्रकूट धाम में श्रीराम कथा के दूसरे दिन तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने समाज से लेकर राजनीति तक को अपने विचारों से छुआ।
समाज, राजनीति, युवा नीति को उन्होंने बिनु सत्संग विवेक न होई, राम कृपा बिनु सुलभ न सोई चौपाई के सार से समझाने की कोशिश की। कहा, राम निरंतर युवा है। उनमें विवेक गहराइयों तक है। मगर, उन्हें यह विवेक संतों की संगत में प्राप्त हुआ। इसे देश की युवा शक्ति से जोड़ते हुए कहा, देश का युवा सशक्त व शक्तिशाली है। यदि उनके जीवन में विवेक आ जाए, तो भारत अखंड व विश्वगुरु बन जाएगा।