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आगरा जामा मस्जिद विवाद: जीपीआर सर्वे पर हुई बहस, 30 नवंबर को होगी अगली सुनवाई

जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे श्रीकृष्ण की मूर्ति होने के दावे को लेकर मंगलवार को अदालत में बहस हुई। वादी पक्ष का दावा है कि औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर के विग्रह को कुदसिया बेगम की सीढ़ियों के नीचे दबवा दिया था। प्रतिवादी पक्ष ने इस दावे का विरोध किया है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 30 नवंबर को तय की है।

By Jagran News Edited By: Sakshi Gupta Updated: Tue, 12 Nov 2024 06:49 PM (IST)
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आगरा जामा मस्जिद मामले में अगली सुनवाई 30 नवंबर को होगी। (तस्वीर जागरण)
जागरण संवाददाता, आगरा। जामा मस्जिद की सीढ़ियों का ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) सर्वे कराने से संबंधित वाद में मंगलवार को लघु वाद न्यायालय में बहस हुई। योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट और श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट द्वारा दायर वाद में कटरा केशवदेव मंदिर के भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह के जामा मस्जिद की सीढ़ियों में दबे होने का दावा किया गया है। मामले में अगली सुनवाई 30 नवंबर को होगी।

योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट के भगवान श्रीकृष्ण लला विराजमान आदि बनाम उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड आदि वाद में मंगलवार को लघु वाद न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव के न्यायालय में बहस हुई। वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के पहले महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम ने अपनी रिपोर्ट 'ए टूर इन ईस्टर्न राजपूताना 1882-83' में औरंगजेब द्वारा श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर के श्रीकृष्ण विग्रह को कुदसिया बेगम की सीढ़ियों के नीचे दबवाने का उल्लेख किया है।

जदुनाथ सरकार ने पुस्तक 'मआसिर-ए-आलमगीरी-ए हिस्ट्री आफ द एंपरर औरंगजेब आलमगीर' में श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर के श्रीकृष्ण विग्रह आगरा की बेगम साहिब मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबवाने का उल्लेख किया है। प्रतिवादी जामा मस्जिद प्रबंध समिति ने भी आपत्ति में यह बात स्वीकारी है। कुदसिया बेगम और बेगम साहिब एक ही हैं।

1920 में जामा मस्जिद को सरंक्षित घोषित किया गया था

एएसआई ने वर्ष 1920 में जामा सजिद को संरक्षित घोषित किया था। जामा मस्जिद के नोटिफिकेशन में मस्जिद के चारों तरफ किसी प्रकार के निर्माण और किसी प्रकार के इस्लामिक आयोजन का उल्लेख नहीं है। वर्तमान में जामा मस्जिद के चारों तरफ रोड है। मस्जिद में बनी दुकानों का उपयोग व्यापारिक उद्देश्य से हो रहा है। जामा मस्जिद राष्ट्रीय महत्व का स्मारक है, जिसके चारों तरफ 100 मीटर के दायरे में कोई निर्माण नहीं हो सकता है।

प्रतिवादी एएसआई ने आज तक इस पर कार्रवाई नहीं की है। उधर, श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट आदि बनाम उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड आदि में लघु वाद न्यायाधीश के न्यायालय में सुनवाई हुई। वादी अधिवक्ता विनोद कुमार शुक्ला ने बताया कि न्यायालय ने ट्रस्ट की पत्रावली प्रस्तुत की। न्यायालय ने जामा मस्जिद की सीढ़ियों के जीपीआर सर्वे पर सुनवाई को 30 नवंबर की तिथि नियत की।

ज्ञानवापी में हुआ था वैज्ञानिक सर्वे का आदेश

योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट के अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने कहा कि वाराणसी के जिला जज ने ज्ञानवापी वाद में वैज्ञानिक सर्वे का आदेश दिया था। राम मंदिर में एएसआई ने सर्वे किया था। एएसआई ने सूचना का अधिकार में जानकारी दी है कि जामा मस्जिद में उत्खनन व अन्वेषण नहीं किया गया है। जामा मस्जिद का कितना भाग भूमि के नीचे दबा है, यह जीपीआर सर्वे व अन्य वैज्ञानिक विधि से जांच में ही पता चल सकेगा।

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