Janmashtami 2020: जानिए कौन से हैं गोवर्धन धारी के पसंदीदा 56 भाेग, क्या है मान्यता
Janmashtami 2020 भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाया था तब लगातार सात दिन तक उन्होंने अन्न जल ग्रहण नहीं किया था। आठवें दिन ब्रजवासियों ने लगाए थे 56 भाेग।
By Tanu GuptaEdited By: Updated: Tue, 11 Aug 2020 01:38 PM (IST)
आगरा, जागरण संवाददाता। 56 भाेग, ये शब्द हम सभी बचपन से ही सुनते आए हैं। भगवान को 56 भाेग का प्रसाद लगता है। ब्रज में तो तमाम मंदिरों पर विभिन्न अवसरों पर 56 भाेग के आयोजन होते ही रहते हैं लेकिन क्या कभी ये सोचा है कि 56 भाेग का आंकड़ा आया कहां से? इस बाबत धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी बताते हैं कि शात्रों में वर्णित है कि बाल रूप में भगवान कृष्ण दिन में आठ बार (अष्ट पहर) भोजन करते थे। मां यशोदा उन्हें तरह-तरह के पकवान बनाकर खिलाती थीं। यह बात तब कि है जब इंद्र के प्रकोप से सारे ब्रज को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाया था, तब लगातार सात दिन तक उन्होंने अन्न जल ग्रहण नहीं किया था। आठवें दिन जब बारिश थम गई, तब कृष्ण ने सभी ब्रजवासियों को अपने-अपने घर जाने को कहा और गोवर्धन पर्वत को जमीन पर रख दिया। इन सात दिनों तक भगवान कृष्ण भूख रहे थे। मां यशोदा के साथ ही सभी ब्रजवासियों को यह जरा भी अच्छा नहीं लगा कि दिन में आठ बार भोजन करने वाले हमारा कन्हैया पूरे सात दिन भूखा रहा। इसके बाद पूरे गांव वालों ने सातों दिन के आठ प्रहर के हिसाब से पकवान बनाए और भगवान को भोग लगाया। तब से छप्पन भोग की प्रथा चली आ रही है।
ये हैं वो छप्पन भोग
- भक्त (भात)- सूप (दाल)
- प्रलेह (चटनी)- सदिका (कढ़ी)- दधिशाकजा (दही शाक की कढ़ी)- सिखरिणी (सिखरन)- अवलेह (शरबत)- बालका (बाटी)- इक्षु खेरिणी (मुरब्बा)- त्रिकोण (शर्करा युक्त)- बटक (बड़ा)
- मधु शीर्षक (मठरी)- फेणिका (फेनी)- परिष्टश्च (पूरी)- शतपत्र (खजला)- सधिद्रक (घेवर)- चक्राम (मालपुआ)- चिल्डिका (चोला)- सुधाकुंडलिका (जलेबी)- धृतपूर (मेसू)- वायुपूर (रसगुल्ला)- चन्द्रकला (पगी हुई)- दधि (महारायता)- स्थूली (थूली)- कर्पूरनाड़ी (लौंगपूरी)- खंड मंडल (खुरमा)- गोधूम (दलिया)
- परिखा- सुफलाढय़ा (सौंफ युक्त)- दधिरूप (बिलसारू)- मोदक (लड्डू)- शाक (साग)- सौधान (अधानौ अचार)- मंडका (मोठ)- पायस (खीर)- दधि (दही)- गोघृत- हैयंगपीनम (मक्खन)- मंडूरी (मलाई)- कूपिका (रबड़ी)- पर्पट (पापड़)- शक्तिका (सीरा)- लसिका (लस्सी)- सुवत- संघाय (मोहन)- सुफला (सुपारी)
- सिता (इलायची)- फल- तांबूल- मोहन भोग- लवण- कषाय- मधुर- तिक्त- कुटू- अम्ल
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