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JEE Result: आगरा में किसान के बेटे देवांश ने किया कमाल, 12 की उम्र में 99.91 परसेंटाइल, पढ़े सफलता की कहानी

JEE Result 2023 Agra Devansh Story जेईई में किसान दंपती के बेटे ने किया कमाल। आठवीं तक घर में पढ़ाई 10वीं से गया स्कूल 99.91 परसेंटाइल। बिना कोचिंग घर में की थी तैयारी 12वीं के परिणाम का इंतजार।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek SaxenaUpdated: Tue, 02 May 2023 06:19 AM (IST)
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किसान के बेटे ने किया कमाल, 12 वर्ष उम्र में 12वीं का इम्तिहान, 99.91 परसेंटाइल लाकर देवांश ने किया कमाल
आगरा, जागरण टीम, (विनती शर्मा)। 12 की उम्र में 12वीं की परीक्षा। इसके साथ ही घर पर जेईई (मैन) की तैयारी। किसान के लाड़ले ने ऐसा कमाल किया कि सुनने वाले भी हैरान रह गए। जिस उम्र में सामान्य बच्चे सातवीं में पढ़ते हैं, उसमें देवांश ने 99.91 परसेंटाइल पाकर लोगों को हैरान कर दिया। पढ़े लिखे किसान दंपती के होनहार बेटे की हर जगह चर्चा हो रही है।

घर पर की आठवीं तक पढ़ाई

ब्लाक बिचपुरी गांव बरारा में रहने वाले किसान दंपती के बेटे देवांश धनगर की कहानी विलक्षण प्रतिभा की बयानी करती है। 27 नंवबर 2010 को जन्मे देवांश की आठवीं तक की पढ़ाई बिना स्कूल जाए घर पर ही हुई। साल 2021 में 10 साल की उम्र में बोदला स्थित यूपी बोर्ड के सुंदरलाल मेमोरियल हायर सेकेंडरी स्कूल से 10वीं की परीक्षा दी और 80 प्रतिशत अंक पाए।

11वीं में सीबीएसई बोर्ड के आरके इंटर कालेज अलबतिया में प्रवेश लिया और घर पर ही इंजीनियरिंग की तैयारी शुरू कर दी। जनवरी में जेईई (मैन) की परीक्षा में 89 परसेंटाइल आई। इसके बाद अप्रैल में हुई परीक्षा का परिणाम आया तो कमाल हो गया। देवांश की मेहनत रंग लाई और 99.91 परसेंटाइल मिली। 12वीं के परीक्षा परिणाम का इंतजार कर रहे देवांश ने जेईई एडवांस की तैयारी शुरू कर दी है।

पुराने नोट्स से पढ़ा कोडिंग मास्टर देवांश

देवांश बताते हैं कि आठवीं तक की पढ़ाई घर में रहकर की। एमसीए करने के बाद पापा लाखन सिंह बघेल बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते हैं। उनके साथ मुझे भी पढ़ाते थे। जेईई (मैन) की तैयारी के लिए पुराने नोट्स और सेकेंड हैंड प्रैक्टिस बुक खरीदीं और घर पर ही तैयारी शुरू की।

देवांश भविष्य की योजनाओं पर बताते हैं कि आइआइटी से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग कर देवांश कैंब्रिज यूनिवर्सिटी, अमेरिका से पढ़ाई करना चाहते हैं और आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों के लिए देवांश एक एजूकेशन कंपनी खोलना चाहते हैं। देवांश को कोडिंग में महारत हासिल है। उसे कई पुरस्कार मिल चुके हैं।

नोएडा से नौकरी छोड़कर गांव में बसे थे लाखन

देवांश के पिता लाखन सिंह की अपनी अलग कहानी है। आरबीएस खंदारी से 1999 में एमसीए करने के बाद नोएडा में नौकरी शुरू की। पहले पिता चल बसे और फिर मां। घर संभालने के लिए वापस गांव लौटे, लेकिन आर्थिक संकट ने घेर लिया। इसके बाद उन्होंने घर में बच्चों को ट्यूशन देना शुरू किया। दूसरों के बच्चों को पढ़ाने के साथ अपने बेटे को भी पढ़ाया। बेटे की सफलता पर लाखन सिंह कहते हैं कि अब उसमें ही अपना भविष्य देखता हूं। 

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