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Kartik Month 2022: पढ़ें वो 7 नियम जिनके पालन से दामाेदर मास में मिलती श्रीविष्णु की विशेष कृपा

Kartik Month 2022 आठ नवंबर तक है कार्तिक मास। भगवान विष्णु को अतिप्रिय है कार्तिक मास। भगवान कृष्ण के एक नाम दामोदर पर भी इस मास को संबोधित किया जाता है। ब्रह्ममुहूर्त साधना का इस मास में होता है विशेष महत्व।

By Tanu GuptaEdited By: Updated: Tue, 11 Oct 2022 05:47 PM (IST)
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Kartik Month 2022: आठ नवंबर तक है कार्तिक मास।
आगरा, तनु गुप्ता। सनातन धर्म में कार्तिक मास Kartik Month का खास महत्व है। इस महीने को बेहद पवित्र माना जाता है। शास्त्रों में इस महीने में व्रत और तप करना महत्वपूर्ण बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार इस महीने में जो मनुष्य संयम के साथ नियमों का पालन करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार कार्तिक मास में सात नियमों का पालन करना आवश्यक बताया गया है। इन नियमों का पालन करने से मनुष्य को समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। यह माह भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है।

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इन 7 नियमों का करें पालन

1- तुलसी के पौधे की पूजा करना और उनकी सेवा करना इस महीने में बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है। कहते हैं कि कार्तिक मास में तुलसी पूजा का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।

2- कार्तिक मास में जमीन पर सोना चाहिए, ऐसा माना जाता है कि जमीन पर सोने से मन में पवित्र विचार आते हैं।

3- कार्तिक महीने में शरीर पर तेल नहीं लगाया जाता है, इस महीने में सिर्फ एक दिन यानी नरक चतुर्दशी पर ही तेल लगाया जाता है।

4- कार्तिक के पवित्र महीने में दीपदान जरूर करना चाहिए। कहा जाता है कि इससे पुण्य की प्राप्ति होती है। इस महीने में नदी, पोखर, तालाब आदि में दीपदान किया जाता है।

5- इस महीने में खाने- पीने को लेकर भी कई नियम हैं। कार्तिक मास में दाल खाना निषेध होता है। इस महीने उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राई आदि नहीं खाना चाहिए।

6- कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। इस माह में ब्रह्मचर्य का पालन न करना अशुभ माना गया है।

7- कार्तिक मास में संयम बरतने की सलाह दी जाती है। इस दौरान किसी तरह के झगड़े या विवाद में न पड़ें।

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कार्तिक नियम सेवा कर भक्त कर रहे पुण्य अर्जित

कार्तिक के महीने में नियम सेवा करने को देशभर के श्रद्धालुओं ने वृंदावन में डेरा डाल रखा है। नियम सेवा करने वाले श्रद्धालुओं की दिनचर्या सुबह भोर में मंगला आरती से शुरू हो रही है, तो दिन में मंदिरों के दर्शन शाम को दीपदान व रात की शयन आरती के साथ संपन्न होती है। ऐसे में दिनभर श्रद्धालु मंदिर दर मंदिर दौड़ रहे हैं। सुबह से शाम तक भक्तों की टोलियां ढोल, मृदंग और मंजीरा लिए हरिनाम संकीर्तन कर शहर में भ्रमण कर रहे हैं।

ठा. राधादामोदर मंदिर में कार्तिक महोत्सव पर हर दिन उत्सवों की श्रृंखला चल रही है। नियम सेवा करने वाले श्रद्धालु मंदिर की सुबह मंगला आरती के साथ दिनभर के चार पहर आरती और शाम को दीपदान के साथ रात की शयन आरती तक में शामिल होकर, मंदिर की चार परिक्रमा कर रहे हैं। मंदिर में मान्यता है कि चार परिक्रमा करने से गिर्राजजी की सप्तकोसीय परिक्रमा का पुण्य मिलता है। यही कारण है कि महीनेभर नियम सेवा करने वाले श्रद्धालुओं ने डेरा डाल रखा है। भोर में श्रद्धालु मंगला आरती करने के साथ मंदिर की परिक्रमा के बाद पंचकोसीय परिक्रमा शुरू कर देते हैं। 

धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी

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