karwa chauth 2022: सुहाग के पर्व पर पूजा के साथ जरूरी है ये श्रृंगार भी, पढ़ें हर आभूषण का क्या है महत्व
karwa chauth 2022 सोलह श्रृंगार के साथ मनाए करवा चौथ। 13 अक्टूबर को है करवा चौथ का त्यौहार। नख से शिखा तक महिलाओं के पहने जाने वाले आभूषणों का होता है वैज्ञानिक महत्व भी। महिला के स्वास्थ्य से जुड़ा है हर आभूषण।
आगरा, जागरण संवाददाता। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत किया जाता है। इस वर्ष यह व्रत 13 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। आधुनिक वास्तु एवं एस्ट्रो विशेषज्ञ दीप्ति जैन के अनुसार कारवा चौथ सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास माना जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जल उपवास करती हैं। चंद्र दर्शन के पश्चात अपना व्रत की पारना करती हैं। शिव- पार्वती से अपने पति की दीर्घायु का वर मांगती हैं।
करवा चौथ पर सोलह श्रृंगार है महत्वपूर्ण
भारतीय संस्कृति कितनी सुंदर है। इस संस्कृति में होने वाले हर तीज त्यौहार व रस्म रिवाज़ के पीछे आध्यात्मिक व वैज्ञानिक रहस्य छिपे हैं। भारतीय महिलाओं के पहनावे को ही ले लीजिए पूरा विज्ञान छिपा है सोलह श्रृंगार में। यह श्रृंगार ही नहीं अपितु महिला का रक्षा कवच है।
सिंदूर
सिंदूर चूना, पारद व हल्दी का मिश्रण होता है। सिंदूर में मिला पारद महिला को शांति व ठंडक देता है। यह सिंदूर महिला के सहस्त्र धार चक्र को प्रभावित करता है। सिंदूर का रंग महिला को शक्ति प्रदान करता है।
बिंदी
माथे में लगी बिंदिया महिला के आज्ञा चक्र को प्रभावित करती है। आज्ञा चक्र का स्थान भ्रकुटी के बीच में होता है। इस स्थान को दबाने से व्यक्ति की स्मरणशक्ति में बढ़ोतरी होती है। महिला जब इस स्थान पर बिंदी लगाती है तो जाने अनजाने आज्ञा चक्र को दबाती है। भौंह के मध्य स्थित पीनियल ग्रंथि हमारे विचारों तथा हारमोंस को भी प्रभावित करती हैं। इस ग्रंथि को स्पर्श करने से व्यक्ति की एकाग्रता शक्ति में बढ़ोत्तरी होती है।
यह भी पढ़ेंः Rekha Birthday: जब पर्दे पर रेखा-अमिताभ को रोमांस करते देख रो पड़ीं थीं जया बच्चन, यहां पढ़ें पूरा किस्सा
गजरा
जिस स्थान पर महिला गजरा पहनती हैं वहां गर्दन के पीछे रीड़ की हड्डी कपाल से जुड़ती है। हमारी तंत्रिकाएं इस स्थान से रीड़ की हड्डी द्वारा प्रवेश कर पूरे शरीर में पहुंचती हैं। इस नाज़ुक स्थान से हम वातावरण में मौजूद स्पंदनों को ग्रहण करते हैं। मोगरे की सुगंध हमारे शरीर में प्रवेश करने वाले स्पदनों को संतुलित कर हमें प्रसन्नता व शांति प्रदान करती है। मोगरे की सुगंध थकावट को दूर कर ताजगी लाती है।
मांग टीका
मांग टीका या बोरला महिला के शिखा से लेकर ललाट तक जा रही नसों को प्रभावित करती है। यह महिला के आज्ञा चक्र को भी संतुलित करती है।मस्तिष्क की नसों को भी संतुलन देता है मांग टीका।
नाक की नथ
नाक में पहनी नथ महिला को प्रसव की पीड़ा को कम करने में सहायक है। साथ ही महिला के मस्तिष्क की तरंग दैध्र्य को भी नियंत्रित करती है।
कंगन
हाथों में पहने कंगन महिला के रक्त संचार को नियंत्रित करते हैं तथा शरीर से निकली ऊर्जा को शरीर के अंदर वापस भेजने में सहायक है।
बिछुए
पैरों के बिछुये महिला को महावारी नियंत्रित करते हैं तथा पृथ्वी से निकली ऊर्जा को महिला के पूरे शरीर में पहुंचाने मे सहायक हैं। पैरों की उंगली जिसमें बिछुए पहने जाते हैं उसकी नस गर्भाशय की ओर जाती है। बिछुए पहनने से जननांग पुनः जीवित होता है।
अंगूठी
हाथों की उंगली में मौजूद नसे मस्तिष्क तक जाती हैं। उंगलियों पर पहनी अंगूठी महिला के मस्तिष्क को मजबूती देती है। सुगमता तथा आत्मविश्वास का अनुभव कराती है हाथों में पहनी अंगूठी।
कमरबंद
कमर में बंधी कमरबंद महिला की कमर में अतिरिक्त मांस इकट्ठा होने नहीं देती। तथा उसके शरीर को सुडौलता प्रदान करती हैं।
काजल
आंखों में लगा घर का बना काजल सौंदर्य के साथ-साथ आंखों को सूर्य की तेज किरणों से बचाव करता है। प्रदूषण व धूल मिट्टी से भी सुरक्षा देता है आंखों का काजल।
मंगलसूत्र
गले में पहना मंगलसूत्र महिला को बुरी नज़र से बचाव करता है। साथ ही रक्त संचार नियंत्रित व रक्त परिसंचरण भी करता है। गले की शोभा मंगलसूत्र होता है। मंगलसूत्र के काले मोती महिल को वातावरण में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा से बचाव करते हैं। मंगलसूत्र के सोने के मोती उस नकारात्मक ऊर्जा का शोधन कर महिला को शांति व समृद्धि का एहसास कराते हैं।
पायल
पैरों की पायल महिला के शरीर की उर्जा को संतुलित करती है। पायल की छमछम वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करती है। चांदी की पायल शरीर के ताप को भी नियंत्रित करती है।
झुमके
कानों में पहनने झुमके महिला को स्त्री जनित रोगों से बचाव करते हैं। यह वह एक्यूप्रेशर पॉइंट होता है जिसे स्पर्श करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।
बाजूबंद
बाजू में पहना बाजूबंद सौंदर्य के साथ-साथ हाथों के रक्त संचार को नियंत्रित करता है। यह बाहों में अतिरिक्त चर्बी को जमने से बचाव करता है।
मेहंदी
हाथ पांव में लगी मेहंदी महिला को शांति व ठंडक प्रदान करती है। त्यौहारों व उत्सवों के दौरान हुई थकावट में तरावट देती है मेहंदी। मेहंदी नज़र से भी बचाती है महिला को। पैरों में लगा महावर महिला को ठंडक व सौंदर्य प्रदान करता है।
इत्र
पूरे श्रृंगार के बाद इत्र लगाया जाता है। इत्र महिला के श्रृंगार को पूर्णता प्रदान करता है। हर इत्र का अपना एक अलग उद्देश्य होता है। यह सुंदरता के साथ साथ महिला को सुरक्षा भी प्रदान करता है। जैसे गुलाब का इत्र महिला को संतुलन व साहस प्रदान करता है। चमेली एकाग्रता, मोगरा शांति व चंदन शुद्धता प्रदान करता है।
आधुनिक वास्तु एवं एस्ट्रो विशेषज्ञ दीप्ति जैन