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नोटबंदी से सब्जियों का राजा अालू बना रंक, शीतगृहों ने मुहं फेरा

आलू की हालात बे-आबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले जैसी हो गयी। पुराने आलू को शीतगृह मालिकों ने बाहर फिंकवा दिया है। अकेले आगरा में ही 19 हजार मीट्रिक टन आलू खराब होने की आशंका है।

By Ashish MishraEdited By: Updated: Fri, 09 Dec 2016 12:26 PM (IST)
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आगरा (जेएनएन)। पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा की गयी नोटबंदी ने आलू को सब्जियों के राजा से रंक बना दिया है। भाव के फेर में राजा को शीतगृह से न निकालना किसानों को भारी पड़ गया। बेभाव होते ही शीतगृहों ने मुहं फेर लिया। हालात बे-आबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले जैसी हो गयी। पुराने आलू को शीतगृह मालिकों ने बाहर फिंकवा दिया है। अकेले आगरा जिला में ही करीब 19 हजार मीटिक टन आलू खराब होने की आशंका है। बीते साल आलू की अच्छी पैदावार हुई थी। आगरा जिले के 249 शीतगृहों में 19 लाख मीटिक टन आलू रखा गया। नया आलू आने से शीतगृह संचालक दो माह से किसानों को इसे ले जाने को कह रहे थे, पर बाजार में भाव नहीं था, इससे किसान चुप बैठ गए। जून-जुलाई में आलू का भाव स्थानीय मंडी में 800 सौ रुपये बैग तक पहुंच गया। और मुनाफा लेने के फेर में किसानों ने इसे बाहर नहीं निकाला। इसके बाद आलू के भाव ऐसे गिरे, जो फसल बुवाई तक संभल नहीं पाए। नए आलू के बाजार में आने से पुराने आलू को कोई सौ रुपया बोरा में भी लेने को तैयार नहीं है।

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शीतगृहों की मशीनें हुईं बंद : शीतगृहों में आलू रखने की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर तक होती है। उद्यान विभाग ने इसे 31 नवंबर तक रखने के लिए शीतगृह संचालकों को मना लिया। अब शीतगृहों में मशीनें बंद कर दी गयी हैं। थोड़े बचे आलू के कारण संचालक बिजली नहीं फूंकना चाहते। 1कचरे के ढेर पर आलू : संचालकों की मनुहार के बाद भी शीतगृहों में रखे आलू को लेने किसान नहीं आए तो उसे कचरे के ढेर पर फेंका जाने लगा है। संचालक गोपाल अग्रवाल ने बताया, छर्रा और हरे पड़ गए आलू को अब फेंकने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है। भाव नहीं होने से किसान भी इसे लेने में परहेज कर रहे हैं।

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40 हजार मीटिक टन आलू पर संकट: उप निदेशक उद्यान भैरम सिंह ने बताया, पहले भाव नहीं मिलने से किसानों से शीतगृहों से आलू नहीं निकाला। अब नोटबंदी और नए आलू के आने से कोई इसे नहीं पूछ रहा। मंडल के चारों जिलों में पैंतीस से चालीस हजार मीटिक टन आलू बेकार हो जाने की संभावना हो गई है।

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