Purushottam Month 2020: पुरुषोत्तम मास आत्म व ग्रह शुद्धि का पावन मास, जानिए कब से हो रही है शुरुआत
Purushottam Month 2020ः
By Tanu GuptaEdited By: Updated: Mon, 24 Aug 2020 05:17 PM (IST)
आगरा, जागरण संवाददाता। मल मास ,अधिक मास या पुरुषोत्तम मास हर तीन वर्ष में एक बार अतिरिक्त माह के रूप में प्रकट होता है । हिंदू धर्म में यह माह बहुत ही विशेष महत्व रखता है। इस पूरे माह मे शादी ब्याह, गृह प्रवेश, कर्ण छेदन, मुंडन आदि मांगलिक कार्य निषेध होते है। किंतु पूजा-पाठ , व्रत-उपवास , दान-पुण्य , जप योग, ग्रह शुद्धि, पंचतत्व संतुलन आदि के लिए यह माह अति श्रेष्ठ है।
आधुनिक वास्तु एस्ट्रो विशेषज्ञ दीप्ति जैन के अनुसार पुरुषाेत्तम मास में किए हुए पुण्य कर्म 10 गुना अधिक फल देते हैं। यह माह आत्म चिंतन व व्यक्तिगत वास्तु सुधारने का अलौकिक समय है। इस वर्ष यह माह 18 सितम्बर से प्रारंभ होकर 16 अक्टूबर 2020 तक रहेगा। इस काल में मांगलिक कार्य करना निषेध है। किंतु इस काल में स्वयं का विश्लेषण कर आत्मशुद्धि व ग्रह शुद्धि करना उचित परिणाम देता है। ध्यान लीन होकर एकाग्रचित मन से किया हुआ कर्म उचित फल देता है। मनुष्य शरीर पांच तत्वों से निर्मित है। अग्नि ,वायु ,पृथ्वी ,जल व आकाश। इन पांच तत्वों का संतुलन व्यक्ति को क्रियाशील व ऊर्जावान बनाता है। इस काल में ज्योतिष द्वारा कुंडली विश्लेषण करा उचित दान व ग्रहण करने से पंचभूतों का संतुलन स्थापित कर सकते हैं। स्वयं की वस्तु विश्लेषण अति आवश्यक है। एक संतुलित व्यक्ति ही जीवन की सभी बाधाओं को पार कर अपना व दूसरों का भला कर सकता है। स्वस्थ तन व मन , स्वस्थ जीवन का आधार है।
इस काल में अपने गृह व ऑफिस की वास्तु विश्लेषण करा उचित उपाय करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं । भगवान विष्णु और शिव की पूजा अर्चना करने से शरीर और आत्मा दोनों का शोधन होता है।भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त कर व्यक्ति सम्मान धन , आकर्षण व सुख पाता है। इस कार में पीले रंग के वस्त्र ग्रहण का विष्णु शास्त्रों का पाठ करना शुभ फल देता है। केसर तिलक व हरसिंगार के फूल विष्णु चरण में अर्पण करने से व्यक्ति को धन धान्य व सुख की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति पीलिया ,पुरानी खांसी ,कान के दर्द व उदर के रोगों से पीड़ित है, वह इस माह में पीले वस्त्र व केसरिया मिष्ठान भोग लगाकर दान करे तो उचित लाभ होगा। मंदिरों में केले का पेड़ लगाने से धन की प्राप्ति व सम्मानित जीवन प्राप्त होता है। रुका हुआ पैसा खुल कर आय के नए स्रोत बनते हैं।
इस माह में शिव आराधना का उचित फल मिलता है। शिव आत्मा का कारक है । शिव मंत्रों का निरंतर जाप करने से अवसाद व मानसिक चिंताएं दूर होती हैं। भगवान शिव को चमेली के पुष्प अर्पण कर चंदन का टीका लगाएं। जिन विद्यार्थियों का पढ़ाई में चित्त नहीं लगता , वह इस माह में शिव अराधना कर चांदी का पिरामिड अध्ययन कक्ष में स्थापित कर सकते हैं। किंतु यह उपाय विशेषज्ञ की निगरानी में करें ।एकाग्रता में वृद्धि आती है। जिन व्यक्तियों को सर्दी-जुकाम, गुप्त रोग ,गठिया, टीबी. ,खांसी आदि रोग से पीड़ित हैं वह इस काल में दुग्ध दान कर अवश्य करें। खीर का वितरण करना भी शुभ फल देगा। अस्पताल में पानी की टंकी लगवाने से उचित लाभ होगा।
अधिक मास, मलमास, पुरुषोत्तम मास मे मांगलिक कार्य करना निषेध है , किंतु इस माह का सही उपयोग करके हम नकारात्मकता को सकारात्मक दृष्टि प्रदान कर सकते हैं। सामाजिक समारोह से छुट्टी पाकर आत्म शुद्धि करने का यह शुभ अवसर है।
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