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Sharad Purnima 2020: जानिए वो वजह जिसके कारण शरद पूर्णिमा की रात खीर बन जाती है अमृत

Sharad Purnima 2020 शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा का पूजन कर खीर का प्रसाद बांटा जाता है. माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति की आयु बढ़ती है और चेहरे पर कान्ति आने के साथ शरीर स्वस्थ बना रहता है।

By Tanu GuptaEdited By: Updated: Wed, 28 Oct 2020 01:18 PM (IST)
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शरद पूर्णिमा 30 अक्टूबर, रविवार को मनाई जा रही है।

आगरा, जागरण संवाददाता। शरद ऋतु की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा का व्रत करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। इस साल शरद पूर्णिमा 30 अक्टूबर, रविवार को मनाई जा रही है। शरद पूर्णिमा की रात को खीर बनाकर चांदनी रात में रखने की परंपरा लंबे समय से चल रही है। ऐसा माना जाता है ऐसा करने से खीर में औषधीय गुण आ जाते हैं जिसे ग्रहण करने पर व्यक्ति को काफी फायदा होता है। पर क्या आप जानते हैं इस दिन खीर बनाने का तरीका बाकी दिनों की तुलना में थोड़ा अलग होता है। शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाने के लिए व्यक्ति को कुछ खास नियमों का पालन करना पड़ता है। जिसकी अनदेखी करने पर व्यक्ति को इस व्रत का पूरा लाभ नहीं मिल पाता है। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी बताते हैं कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन चांद अपनी 16 कलाओं से पूरा होकर रातभर अपनी किरणों से अमृत की वर्षा करता है। माना जाता है कि इस दिन खीर को खुले में रखने से ओस के कण के रूप में अमृत बूंदें खीर के पात्र में भी गिरेंगी जिसके फलस्वरूप यही खीर अमृत तुल्य हो जायेगी, जिसको प्रसाद रूप में ग्रहण करने से प्राणी आरोग्य एवं कांतिवान रहेंगे।

वैज्ञानिक महत्व

शरद पूर्णिमा की रात को छत पर खीर को रखने के पीछे वैज्ञानिक तथ्य भी छिपा है। खीर दूध और चावल से बनकर तैयार होता है। दरअसल दूध में लैक्टिक नाम का एक अम्ल होता है। यह एक ऐसा तत्व होता है जो चंद्रमा की किरणों से अधिक मात्रा में शक्ति का शोषण करता है। वहीं चावल में स्टार्च होने के कारण यह प्रक्रिया आसान हो जाती है। इस खीर का सेवन सेहत के लिए महत्वपूर्ण बताया जाता है।

खीर का बर्तन कैसा हो

सबसे पहले खीर बनाते या चांदनी रात में रखने से पहले उसके पात्र का ध्यान रखें। शरद पूर्णिमा के दिन खीर किसी चांदी के बर्तन में रखें। यदि चांदी का बर्तन घर में मौजूद न हो तो खीर के बर्तन में एक चांदी का चम्मच ही डालकर रख दें। इसके अलावा आप खीर रखने के लिए मिट्टी, कांसा या पीतल के बर्तनों का भी उपयोग कर सकते हैं। खीर को चांदनी रात में रखते समय ध्यान रखें कि खीर रखने के लिए कभी भी स्टील, एल्यूमिनियम, प्लास्टिक, चीनी मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल न करें। ऐसा करने पर आपकी सेहत प्रभावित हो सकती है। 

खीर बनाने का तरीका

शरद पूर्णिमा पर बनाई जाने वाली खीर अन्य दिनों की तुलना में थोड़ी अलग होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन बनाए जाने वाली खीर मात्र एक व्यंजन नहीं होती बल्कि यह एक दिव्य औषधि मानी जाती है। इस खीर को किसी भी दूध से नहीं बल्कि गाय के दूध और गंगाजल बनाना चाहिए। अगर संभव हो सके तो प्रसाद की खीर को चांदी के बर्तन में ही बनाएं। हिंदू धर्म में चावल को हविष्य अन्न यानी देवताओं का भोजन माना गया है। कहा जाता है कि महालक्ष्मी भी चावल से बने भोग से प्रसन्न होती हैं। संभव हो तो शरद पूर्णिमा की खीर को चंद्रमा की ही रोशनी में बनाना चाहिए। ध्यान रखें कि इस ऋतु में बनाई खीर में केसर और मेंवों का प्रयोग न करें। दरअसल, मेवा और केसर गर्म प्रवृत्ति के होने से पित्त बढ़ा सकते हैं। खीर में सिर्फ इलायची का ही प्रयोग करना चाहिए।

कैसे करें खीर का सेवन

शरद पूर्णिमा पर अश्विनी नक्षत्र में चंद्रमा पूर्ण 16 कलाओं से युक्त होता है। खास बात यह है कि चंद्रमा की यह स्थिति साल में सिर्फ एक बार ही बनती है। कहा जाता है कि इस रात चंद्रमा के साथ अश्विनी कुमारों को भी खीर का भोग लगाने से लाभ होता है। ऐसा करते समय अश्विनी कुमारों से प्रार्थना करनी चाहिए कि हमारी जो इन्द्रियां शिथिल हो गई हों, उनको पुष्ट करें। ऐसी प्रार्थना करने के बाद फिर उस खीर का प्रसाद ग्रहण करना चाहिए। 

शरद पूर्णिमा पर खीर का भोग लगाने से लाभ

शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा का पूजन कर खीर का प्रसाद बांटा जाता है. माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति की आयु बढ़ती है और चेहरे पर कान्ति आने के साथ शरीर स्वस्थ बना रहता है।  

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