Happy Janmashtami: वृंदावन के इस मंदिर में हुआ कृष्ण जन्म, पंचगव्य से किया गया महाभिषेक
Happy Janmashtami पंचगव्य से ठा. राधारमणलाल का किया महाभिषेक। यहां दिन में मनाया गया श्रीकृष्ण जन्मोत्सव। मान्यता है ठा. राधारमणलालजू भोर में प्रकट हुए थे। इसलिए दिन में ही आराध्य का जन्मोत्सव मनाने यहां पर परंपरा चली आ रही है।
By Tanu GuptaEdited By: Updated: Fri, 19 Aug 2022 12:44 PM (IST)
मथुरा, जागरण संवाददाता। सोलह कलाओं के अवतारी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मा का उल्लास यूं तो पूरे ब्रजमंडल में छाया है। मथुरा समेत दुनियाभर में रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। लेकिन, सप्तेदेवालयों में शामिल ठा. राधारमण मंदिर में दिन में ही भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव उल्लास पूर्वक मनाया। आराध्य ठा. राधारमणलालजू के श्रीविग्रह का पंचामृत से महाभिषेक हुआ तो दर्शन को भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य मंदिर सेवायत आराध्य का पंचामृत से महाभिषेक कर रहे थे और दर्शन को पहुंचे श्रद्धालुओं के जयकारे से वातावरण गुंजित हो रहा था।
ठा. राधारमण मंदिर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर शुक्रवार की सुबह 9 बजे मंदिर सेवायतों ने आराध्य के श्रीविग्रह का दूध, दही, शहद, घी, शर्करा एवं इत्र, यमुनाजल व जड़ी-बूटियों से वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य महाभिषेक शुरू किया तो दर्शन को भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। मंदिर सेवायत श्रीवत्स गोस्वामी, शरदचंद्र गोस्वामी, अभिषेक गोस्वामी, पद्मनाभ गोस्वामी, सुमित गोस्वामी, अनुराग गोस्वामी, पुंडरीक गोस्वामी समेत अनेक गोस्वामी आराध्य का महाभिषेक कर रहे थे। मंदिर में मौजूद श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण के जयकारे लगाकर आनंदित हो रहे थे।
सप्तदेवालयों में शामिल राधादामोदर मंदिर में सुबह 9.30 बजे सेवायत कृष्ण बलराम गोस्वामी, कनिका गोस्वामी ने गिरिराज चरणशिला और ठाकुरजी के श्रीविग्रहों का दूध, दही, शहद, घी, शर्करा एवं इत्र तथा वनौषधियों से महाभिषेक किया। शाम को छप्पन भोग अर्पित किए। शाह बिहारी मंदिर में राधारमणलालजू महाराज का पंचगव्य से सेवायत प्रशांत शाह ने अभिषेक किया।
इसलिए दिन में मनाया जाता है जन्मोत्सव
भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरा में जन्म लिया और खुशियां गोकुल में मनाई गईं। मथुरा-गोकुल सहित देश दुनिया में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव रात में होता है। लेकिन राधारमण मंदिर में दिन में ही श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसके पीछे मान्यता है ठा. राधारमणलालजू भोर में प्रकट हुए थे। इसलिए दिन में ही आराध्य का जन्मोत्सव मनाने की परंपरा है।
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