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अब भूमि को लेकर नहीं होगा विवाद, डिजिटल सर्वेक्षण से एक क्‍लिक में मिलेगी पूरी जानकारी

विशेषज्ञों का कहना है कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अक्सर भूमि को बेचने की शिकायतें सामने आती हैं। डिजिटल सर्वेक्षण ऐसा संभव नहीं हो सकेगा। ऐसी घटनाओं पर भी अंकुश लगेगा। भूमि कीमती संपत्तियों में शामिल है। यह निवेश को भी आकर्षित करती है। औद्योगीकरण को बढ़ावा देती है और विकास को प्रेरित करती है। इतना ही नहीं प्रशासन को जमीनी विवाद से निपटने में आसानी होगी।

By Ali Abbas Edited By: Vivek Shukla Updated: Thu, 25 Jul 2024 02:39 PM (IST)
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भूमि विवाद को डिजिटल सर्वेक्षण से सुलझाया जाएगा। जागरण (सांकेतिक तस्‍वीर)

जागरण संवाददाता, आगरा। बहरामपुर एत्मादपुर के गिर्राज सिंह की भूमि का विवाद दो साल से लंबित हैं। तहसीलदार एत्मादपुर की कोर्ट में हर माह तारीख मिल जाती है। भूमि पर कब्जे का वाद कब निपटेगा, यह कोई नहीं कर सकता है लेकिन गिर्राज सिंह इसे लेकर परेशान हैं।

कुछ यही स्थिति ताजगंज के श्याम बहादुर की है। पड़ोसी राजेंद्र कुमार से एक मीटर भूमि को लेकर विवाद हो गया। इसकी शिकायत प्रशासनिक अधिकारियों से की गई। एसडीएम कोर्ट में यह वाद ढाई साल से लंबित हैं। जिले में गिर्राज और श्याम बहादुर अकेले नहीं हैं बल्कि प्रशासनिक अधिकारियों की कोर्ट में चार हजार राजस्व वाद (भूमि भी) लंबित हैं। केंद्रीय बजट में डिजिटल भूमि सर्वेक्षण का रास्ता साफ हो गया है।

सर्वेक्षण होने से भूमि को लेकर कम लड़ाई होंगी। इससे कोर्ट में वाद कम पहुंचेंगे। एक क्लिक पर फार्मर (किसान) रजिस्ट्री पोर्टल खुल जाएगा। इससे सभी सरकारी विभागों को सत्यापन में भी आसानी रहेगी। अभी यह कार्य लेखपालों द्वारा किया जाता है। इससे कार्यों में पारदर्शिता आएगी। भूमि को लेकर फर्जीवाड़ा पर भी अंकुश लगेगा।

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कृषि विभाग ने जनवरी 2024 में डिजिटल क्राप सर्वे शुरू किया था। राजस्व और कृषि विभाग के प्रतिनिधियों ने खेत-खेत पहुंच डाटा अपलोड किया। जिले के 932 गांवों में सर्वे के बाद रिपोर्ट शासन को भेज दी गई। अब केंद्र सरकार डिजिटल भूमि सर्वेक्षण कराएगी।

डीएम प्रशासन अजय कुमार सिंह ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसे प्रदेश के कुछ जिलों में लागू किया गया था। इसमें ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) और 3 डी लेजर स्कैनर जैसे उन्नत उपकरणों का प्रयोग किया जाता है। भूमि सर्वेक्षण का डाटा फार्मर रजिस्ट्री पोर्टल में फीड किया जाएगा।

यह कार्य होने से भूमि वादों में कमी आएगी। अगर कोई शिकायत आती है तो एक क्लिक पर पूरा डाटा खुलकर सामने आ जाएगा। उन्होंने बताया कि पारदर्शिता भी बढ़ेगी। खासकर नए उद्योगों को भूमि कहां-कहां हैं। यह आसानी से पता चल सकेगा।

नहीं होना पड़ेगा परेशान

किसान नेता श्याम सिंह चाहर का कहना है कि डिजिटल भूमि सर्वेक्षण होने से कितनी भूमि ली गई। किसान के पास कितनी भूमि बची है। यह क्लिक पर यह डाटा सामने आ जाएगा। इससे अधिकारी किसानों से अतिरिक्त भूमि नहीं ले सकेंगे। किसान नेता सोमवीर यादव का कहना है कि भूमि वाद में कमी आने से किसानों का समय और पैसा दोनों बचेगा।

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डिजिटल भूमि सर्वेक्षण के फायदे

- फार्मर रजिस्ट्री पोर्टल की मदद से एक क्लिक पर भूमि रिकार्ड को देखा जा सकेगा।

- भूमि पर कब्जा होने पर आसानी से पता चल सकेगा। नए सिरे से पैमाइश की जरूरत नहीं होगी।

- तहसीलों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। इससे समय और पैसा दोनों बचेंगे।

- रिकार्ड से किसी भी तरीके से छेड़छाड़ नहीं हो सकेगी।

- खसरा नंबर को नहीं छिपा सकेंगे।

- ऋण सुविधाओं में आसानी रहेगी।

- आय, जाति, निवास, हैसियत प्रमाण पत्रों को बनवाने में भी आसानी रहेगी।

- फसलों की बीमा के भुगतान में भी आसानी।

- नए उद्योगों को भूमि मिलने में भी दिक्कत कम होगी।

न फाड़ सकेंगे पेज, न होगी चोरी

अब तक कलक्ट्रेट स्थित राजस्व अभिलेखागार, तहसील सदर स्थित निबंधन विभाग के मुख्य रिकार्ड रूम में पुराना रिकार्ड रखा है। इन कार्यालयों में अक्सर महत्वपूर्ण दस्तावेज फटने या बंदरों द्वारा उठाकर ले जाने के मामले कई बार सामने आए हैं। रिकार्ड डिजिटल होने के बाद यह नहीं हो सकेगा।