Lathamar Holi 2022: बरसाना की रंगीली गली, जहां आने के लिए देशी ही नहीं विदेशी भी हैं तरसते
Lathamar Holi 2022 उत्साह व उल्लास में डूबी है लठामार होली की गवाह रंगीली गली। चमक रही गली हर आने वाले का स्वागत करने को तैयार। 657 में जानकी दास भट्ट ने होली का विस्तार करते हुए लठामार होली नंदगांव व बरसाना के बीच शुरू कराई।
By Tanu GuptaEdited By: Updated: Tue, 01 Mar 2022 01:02 PM (IST)
आगरा, किशन चौहान। बरसाना की रंगीली गली। ये वह गली है, जहां द्वापर में कान्हा ने सखाओं संग गोपियों से होली खेली। करीब पांच हजार साल से भी अधिक समय बीत गया। कान्हा के रंग में रंगी ये गली आज भी चमक-दमक रही है। साढ़े पांच सौ साल पहले लठामार होली शुरू हुई, तो इस गली का रंग और भी चटक हो गया। हुरियारों की ढाल पर पड़ने वाले हर लठ की गूंज सुनने वाली रंगीली गली का अल्हड़पन आज भी वैसा ही है।
11 दिन बाद फिर होली पर हुरियारिनों के लठ बरसेंगे। गूंज सुनने को गली के कान फिर व्याकुल हैं। उत्साह और उल्लास में डूबी। ब्रज कौ दिन दूल्हे रंग भरयौ, हो-हो होरी बोलत डोलत रंगीली गली में सिगरयौ, गाढ़े रंग रंगयौ ब्रज संगही फाग खेलन कूं मचल्यौ। वृंदावन हित सुख दरत गान तान सुन मन हुलसयौ। बरसाना की जग प्रसिद्ध लठामार होली का जो नाता रंगीली गली से है, वह किसी से नहीं। रंगीली गली से चौक तक होली के रंग और रस में डूब जाता है। इस बार 11 मार्च को लठामार होली है। हर होली की गवाह, रंगीली गली, दूर देश से आने वाले हर शख्स का स्वागत करती है। नंदगांव के हुरियारों से प्रेम परिहास के बीच गाली होती है और फिर बरसाना की हुरियारिन उन पर लठ बरसाती हैं, हुरियारे अपनी ढाल से उन्हें रोकते हैं।
लठामार होली और रंगीली गली का उल्लास कैसा है, ये बुजुर्ग लक्ष्मी गोस्वामी से बेहतर और कौन बता सकता है। 45 बरस से लठामार होली खेल रही हैं। कहती हैं कि आज भी होली में वही जोश रहता है। ये होली तो राधा और कृष्ण के प्रेम की है। हां, भीड़ के साथ अश्लीलता थोड़ी बढ़ी है,इसे सुधारने की जरूरत है। सावित्री गोस्वामी भी करीब 30 वर्ष से लठामार होली खेल रहीं। कहती हैं उत्साह अभी भी बरकरार है। सालभर इसका इंतजार करते हैं। सौभाग्यशाली हैं, जो बरसाना में ससुराल मिली।
पहली बार लठ चलाने का उल्लासटीना गोस्वामी गोवर्धन के जतीपुरा की रहने वाली हैं। कई बार होली देखी, लेकिन पहली बार वह इस होली में नायिका बनेंगी। ऐसे में सास से लठ चलाने का हुनर सीख रही हैं। मीनू गोस्वामी आगरा के अछनेरा की हैं, अब तक लठामार होली केवल टीवी में देखी थी। इस बार खुद लठ चलाएंगी। इसकी तैयारी कर रही हैं। बाक्सये है इतिहास ब्रजाचार्य पीठ के प्रवक्ता घनश्यामराज भट्ट ने बताया कि पांच हजार वर्ष पहले रंगीली गली में ही कान्हा गोपियों संग होली खेलते थे। बाद में श्रील नारायण भट्ट ने इस स्थान को रंगीली गली के नाम से विख्यात किया। साढ़े पांच सौ वर्ष पहले नारायण भट्ट ने ब्राह्मण बालकों के साथ रासलीला मंचन के दौरान सबसे पहले राधाकृष्ण की होली को लठामार लीला में तब्दील किया। 1657 में जानकी दास भट्ट ने होली का विस्तार करते हुए लठामार होली नंदगांव व बरसाना के बीच शुरू कराई। इस दौरान गोस्वामी समाज की बरसाना की महिलाएं व नंदगांव के पुरुष इसमें प्रतिभाग किया। इसका उल्लेख प्रेमांकुर पुस्तक में मिलता है। राधारानी मंंदिर में नंदगांव के हुरियारे फाग गाते हैं, फिर इसी रंगीली गली से होकर नीचे होली खेलने आते हैं। इसी गली में द्वारों पर लठ लिए हुरियारिन खड़ी रहती हैं। यहां दोनों के बीच हास-परिहास के बाद होली होती है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।