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द्वारिका प्रसाद माहेश्‍वरी जयंती: बाल गीतायन रचकर द्वारिका बन गए थे बच्चों के गांधी

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की 102वीं जयंती आज। एक दिसंबर, 1916 को हुआ था रोहता में जन्म।

By Prateek GuptaEdited By: Updated: Sat, 01 Dec 2018 05:51 PM (IST)
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द्वारिका प्रसाद माहेश्‍वरी जयंती: बाल गीतायन रचकर द्वारिका बन गए थे बच्चों के गांधी
आगरा, जागरण संवाददाता। काव्य रचना से साहित्य के सागर की कल-कल और चुनिंदा मोतियों को उन्होंने पिरोया था। बच्चों के शब्दों के सागर में सैर कराकर वो मन हर्षाते थे तो युवाओं व बुजुर्गों को भी नई विधा सिखाते थे। काव्य शिरोमणि द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी बाल गीतायन को रचकर बच्चों के गांधी के नाम से मशहूर हो गए। उनकी हर रचना बाल मन के साथ बड़ी उम्र वर्ग के लोगों को भी प्रेरित करने वाली होती थीं।

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का जन्म ग्वालियर रोड स्थित रोहता में एक दिसंबर, 1916 को किसान परिवार में हुआ था। उच्च शिक्षा ग्रहण करते हुए उन्होंने अपने पिता की खेती में सहायता की। वो प्रतिदिन साइकिल से आगरा आते थे। इसके बाद उन्होंने इंग्लैंड में एक वर्ष तक अध्ययन किया। सहायक शिक्षक से उपशिक्षा निदेशक के पद तक का सफर उन्होंने किया। बाल गीतायन की रचना कर उन्होंने बच्चों को 176 कविताओं का तोहफा दिया था। उनकी कविताएं आज भी बच्चों के स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल हैं। हर रचना से बाल मन आज भी प्रेरित होता है। उनकी अधिकांश रचनाएं देश प्रेम, वीरता, प्रकृति आदि पर आधारित थीं।

शनिवार को उनकी 102वीं जयंती है। उनके पौत्र प्रांजल माहेश्वरी बताते हैं कि उनकी प्रतिमा आगरा में एमजी रोड पर सुभाष पार्क तिराहे पर लगी है। इसका अनावरण तत्कालीन राज्यपाल विष्णुकांत शास्त्री ने किया था। जयपुर हाउस से प्रताप नगर तक के मार्ग का नामकरण उनके नाम पर किया गया। गणतंत्र दिवस की परेड में सेना द्वारा उनके गीत वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो... पर मार्च पास्ट किया जाता है। प्रसिद्ध गायिका उषा उत्थुप द्वारा संसद भवन के केंद्रीय हॉल में स्व. माहेश्वरी के गीत इतने ऊंचे उठो कि जितना ऊंचा गगन है... का सस्वर गायन प्रधानमंत्री एवं अन्य मंत्रियों की उपस्थित में किया गया था।

51 कविताओं का होगा जल्द अंग्रेजी में प्रकाशन

बच्चों के गांधी के नाम से प्रसिद्ध कवि स्व. द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की 51 बाल कविताओं का जल्द अंग्रेजी में प्रकाशन होने जा रहा है। यह काम अहिंदी भाषी राज्यों के बच्चों के लिए किया जा रहा है। इसके साथ ही उनकी एक समीक्षात्मक पुस्तक का प्रकाशन भी जल्द होने जा रहा है।

स्मृति में दिया जाता है सम्मान

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की स्मृति में हिंदी भाषा क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को उनके नाम से सम्मान दिया जाता है। नंदन के पूर्व संपादक जय प्रकाश भारती, वरिष्ठ आइएएस विनोद चंद पांडे, वरिष्ठ पत्रकार योगेंद्र कुमार, चिकित्सक डॉ. आरएस पारिक, डॉ. एचएस असोपा और डॉ. एमसी गुप्ता को इस सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।

शिक्षण कार्य से शुरू किया था करियर

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी ने अपने करियर की शुरुआत शिक्षण कार्य से की थी। वे उपनिदेशक शिक्षा पद से सेवानिवृत हुए थे। उन्‍होंने शिक्षा के व्‍यापक प्रसार और स्‍तर के उन्‍नयन के लिए अनथक प्रयास किए थे। उन्‍होंने कई कवियों के जीवन पर वृत्‍त चित्र बनाकर उन्‍हें याद करते रहने के उपक्रम दिए थे। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला पर जैसे महाकवि पर उन्‍होंने वृत्‍त चित्र बनाया था। यह एक कठिन कार्य था। राजकीय सेवा में रहते हुए ही उन्होंने साहित्य साधना आरंभ कर दी थी। उन्होंने साहित्य सृजन काव्य संग्रह के अलावा खंड काव्य, बाल साहित्य, कथा- कहानी, द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी रचनावली, प्रौढ़ नवसाक्षरोपयोगी काव्य, शिक्षा विषयक और जीवन यात्रा के रूप में साहित्य के समृद्ध खजाने की तरह है।उन्‍होंने आगरा को ही अपना काव्‍य क्षेत्र बनाया था। केंद्रीय हिंदी संस्‍थान को वह एक तीर्थ स्‍थल की तरह मानते थे।

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