Agra News: ये रिश्ता है अनोखा; मासूमों को अकेले स्कूल जाने में लगा डर तो रक्षक बने देसी श्वान, दिल छूती है बच्चों और कुत्तों की दोस्ती
Agra News दो मासूम भाई-बहनों को स्कूल ले जाने और वापस लाने की जिम्मेदारी दो श्वान निभा रहे हैं। मासूमों द्वारा खिलाई गई सूखी रोटी ने श्वानों में इतना प्रेम भर दिया है कि जब तक भाई - बहन पढ़ते हैं तो वो भी भूखे प्यासे स्कूल के गेट पर बैठे रहते हैं। जानवर और इंसान का यह अनोखा प्यार क्षेत्र में चर्चा का विषय बन चुका है।
By Jagran NewsEdited By: Abhishek SaxenaUpdated: Thu, 26 Oct 2023 11:13 AM (IST)
जागरण संवाददाता, (अविनाश जायसवाल) आगरा। पिता आजीविका के लिए घर से दूर परदेस गए और बच्चों को पढ़ाने के लिए मां ने कोठियों में चूल्हा-चौका और झाड़ू पोंछा करना शुरू कर दिया।घर पर अकेले बच्चों को स्कूल जाने और लौटने में डर लगता था।
दिन भर घर पर अकेले रहने वाले मासूमों के द्वारा प्यार से जूठी रोटी खिलाने से मोहल्ले के आवारा श्वानों को उनसे इस कदर मोहब्बत हो गई कि अब वो उनके बिना एक मिनट रहने को तैयार नहीं हैं।
चार और पांच वर्ष के हैं दोनों श्वान
श्वान सुबह बच्चों को स्कूल तक छोड़ने के बाद गेट पर घंटों भूखे प्यासे इंतजार करते हैं और छुट्टी होने पर उन्हें वापस घर छोड़ते हैं। इसके बाद ही कुछ खाते-पीते हैं। दो श्वानों और चार और पांच वर्ष के भाई - बहनों की दोस्ती स्कूल में सभी को पता है और अब क्षेत्र में भी इसकी चर्चा होने लगी है। लोग इस दोस्ती को देख कर कई दशक पहले आई फिल्म तेरी मेहरबानियां की कहानी से जोड़ कर लोगों को सुनाते हैं।ये भी पढ़ेंः पश्चिमी यूपी में 10 दिन के अंदर तीसरा दौरा; धर्म और विकास का सेतु बांधेंगे योगी आदित्यनाथ, गोरखनाथ आश्रम में भागवत कथा का करेंगे शुभारंभमासूम बच्चों और आवारा श्वानों की दोस्ती की यह बेमिसाल कहानी आगरा के गैलाना रोड की है। यहां रजनी अपने चार वर्षीय जय और पांच वर्ष की नेहा के साथ झोपड़ी में रहती हैं। पति संजू परिवार के पालन के लिए अहमदाबाद में मजदूरी पर रंगाई - पुताई का काम करते हैं। रजनी कोठियों में काम करके परिवार का पालन कर रही हैं।
ऐसे संवर रहा भविष्य
रजनी ने बताया कि उनके दोनों बच्चे सरकारी स्कूल में निशुल्क पढ़ रहे थे। वो चाहती थी कि बच्चे अच्छे कांवेंट स्कूल में पढ़ें और भविष्य में बड़े आदमी बनें। कोठियों में काम करने जाने के दौरान रास्ते में पड़ने वाला प्रीमियर इंटरनेशनल स्कूल देख उनकी इच्छा और बढ़ जाती थी। उन्होंने काम मांगने के बहाने स्कूल की डायरेक्टर डा सुमेधा सिंह से मिलीं।ये भी पढ़ेंः Fire In Patalkot Express: रेलवे ने जारी किया हेल्पलाइन नंबर; इंजन से चौथे कोच में भड़की आग छह मिनट में दूसरे कोच तक पहुंची
बच्चों की प्रतिभा और उसकी मां की इच्छा देख उन्होंने दोनों को अपने स्कूल में प्ले ग्रुप में दाखिला दे दिया,हालांकि मां की स्ववलंबिता देखते हुए उन्होंने निशुल्क की बजाय नाम मात्र की फीस ही मां रजनी को बताई।
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