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Exit Poll 2024: भाजपा ने जिन सीटों पर किया था क्लीन स्वीप, आज ब्रज की उन सीट पर कांटे की लड़ाई, मैनपुरी में कभी नहीं मिली जीत!

UP Politics यूपी में एग्जिट पोल के नतीजों में भाजपा को एक बार फिर से बड़ी जीत मिलती दिख रही हैं। लेकिन ब्रज की सीटों पर कांटे की टक्कर है। समाजवादी पार्टी से मुकाबले में भाजपा को कुछ सीटों पर मुंह की खानी पड़ सकती है ये जानकार मान रहे हैं। आगरा मथुरा फतेहपुर सीकरी मैनपुरी फिरोजाबाद एटा और अलीगढ़ की सीटों पर साख की लड़ाई है।

By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Mon, 03 Jun 2024 08:24 AM (IST)
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Lok Sabha Result: ब्रज मंडल में सीटें आठ, किसके होंगे ठाठ

जागरण टीम, आगरा। ब्रज में मतदाता का ऊंट किस करवट बैठा है, यह मंगलवार को साफ हो जाएगा। इस दिन मतगणना के साथ ही आगरा और अलीगढ़ मंडल की आठ लोकसभा सीटों का फैसला ईवीएम से निकलकर जनता के सामने होगा। वर्ष 2019 के चुनाव में ब्रज की आठ सीटों में से सात भाजपा ने जीती थीं। केवल मैनपुरी सीट ही सपा जीत सकी थी।

मथुरा सीट पर हेमामालिनी तीसरी बार चुनाव मैदान में हैं, तो मैनपुरी सीट पर सपा की विरासत को बचाने के लिए डिंपल यादव हैं। यहां भाजपा से पर्यटन मंत्री और सदर विधायक ठाकुर जयवीर सिंह टक्कर दे रहे हैं। एटा सीट पर भाजपा से राजवीर सिंह तीसरी बार अपना भाग्य अजमा रहे हैं तो गठबंधन में सपा से देवेश शाक्य मैदान में हैं।

फतेहपुर सीकरी सीट पर दूसरी बार लड़ रहे भाजपा के राजकुमार चाहर को कांग्रेस प्रत्याशी रामनाथ सिकरवार से टक्कर मिलने के दावे किए जा रहे हैं। फिरोजाबाद सीट पर सपा से अक्षय यादव अपनी खोई सीट को फिर से पाने को बेकरार हैं। भाजपा ने यहां से नए चेहरे विश्वदीप सिंह को उतारा है।

आगरा सीट पर केंद्रीय मंत्री प्रो.एसपी सिंह बघेल जीत दोहराने को बेकरार हैं। उनके सामने बसपा से पूजा अमरोही हैं। अलीगढ़ से भाजपा के सतीश गौतम तीसरी बार मैदान में हैं तो हाथरस से प्रदेश के राजस्व मंत्री अनूप वाल्मीकि मैदान में है। एक्जिट पोल के बाद सियासी पारा चढ़ गया है। मंगलवार को परिणाम सामने होगा। टीम जागरण की रिपोर्ट... 

हेमा की हैट-ट्रिक पर टिकी नजर

मथुरा। इस सीट पर जैसी उम्मीद थी, चुनाव का रंग उससे अलग ही नजर आया। भाजपा की प्रत्याशी हेमा मालिनी के सामने कमजोर माने जा रहे उनके प्रतिद्वंद्वियों ने मतदान के दिन ऐसा रंग दिखाया कि कई चेहरों पर हवाइयां उड़ती नजर आईं। इस सीट पर मतदान प्रतिशत भी कम रहने से कई अटकलें लगाई जाती रहीं। कम मतदान किसके पक्ष और किसके विरोध में जाएगा, यह मंगलवार को साफ हो जाएगा।

इस सीट पर हेमा मालिनी की हैट-ट्रिक पर अब सबकी नजर टिकी हैं। पार्टी नेतृत्व ने 75 की उम्र के नियम को तोड़ कर हेमा पर दांव खेला है। हेमा मालिनी ने इस सीट पर पहला चुनाव वर्ष 2014 में लड़ा और रालोद के जयंत चौधरी को करीब 3.30 लाख मतों के अंतर से हराया। 2019 में रालोद के कुंवर नरेंद्र सिंह सपा और बसपा के समर्थन से मैदान में थे।

इस चुनाव में भी हेमा मालिनी को 60.79 प्रतिशत वोट मिले। जीत का अंतर 2.93 लाख रहा। इस पर बार उनके सामने बसपा ने जाट प्रत्याशी सुरेश सिंह और कांग्रेस ने मुकेश धनगर को मैदान में उतारा। इन्हें हेमामालिनी के सामने कमजोर प्रत्याशी माना जा रहा था। मगर, जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ा, समीकरण बदलते देखे गए।

कांग्रेस ने मुस्लिम मतों में ठीकठाक सेंधमारी की। सजातीय प्रत्याशी होने के कारण धनगरों का मत भी मिला। ऐन चुनाव से पहले रालोद नेता कुंवर नरेंद्र सिंह के नेतृत्व में एक धड़े ने हेमा का विरोध किया। ये धड़ा मुकेश धनगर के साथ देखा गया। इस बार बीते दो चुनावों के मुकाबले मतदान बेहद कम 49.49 प्रतिशत ही रहा। डैंपियर नगर निवासी संतोष अग्रवाल कहते हैं, भाजपा के गढ़ माने जाने वाले क्षेत्रों में मतदाता कम निकले।

‘सपा के किले’ पर टिकी हैं सबकी निगाहें

मैनपुरी। उत्तरप्रदेश की हाट सीट में से एक इस लोकसभा सीट पर चुनावी घमासान साफ दिखाई दिया। चुनाव प्रचार के दौरान ही एक दूसरे के विरुद्ध जुबानी जंग दिखाई दी। प्रचार के अंतिम समय में यह तनाव सड़क पर भी उतर आया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में रोड शो के लिए मैदान में उतरे तो अखिलेश यादव ने सपा प्रत्याशी के लिए रोड शो किया। इस रोड शो की समाप्ति पर महाराणा प्रताप की मूर्ति का अपमान किए जाने का मुद्दा छाया रहा। एक्जिट पोल आने के बाद अब सभी की निगाहें रिजल्ट पर टिकी हुई हैं।

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मैनपुरी को सपा का गढ़ कहा जाता है। वर्ष 1996 से लगातार यहां सपा का ही सांसद हो रहा है। 2019 में सांसद बने मुलायम सिंह यादव का निधन होने के बाद 2022 में हुए उप चुनाव में सपा प्रमुख की पत्नी डिंपल यादव को मैदान में उतारा गया था, उन्होंने ढाई लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल की। इस बार डिंपल यादव फिर से चुनाव लड़ रहीं तो वहीं भाजपा ने सपा का गढ़ ढहाने के लिए प्रदेश सरकार के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री ठाकुर जयवीर सिंह को मैदान में उतारा। बसपा से शिवप्रसाद यादव भी चुनाव लड़ा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद मौर्य, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने चुनावी सभा को संबोधित किया तो सपा की ओर से सैफई परिवार ने एकजुटता दिखाई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में रोड शो किया तो अखिलेश यादव भी पीछे नहीं रहे।

शनिवार को एक्जिट पोल के परिणाम सामने आने के बाद राजनीतिक दलों के साथ जनता की भी धड़कनें तेजी से बढ़ने लगी हैं। मैनपुरी सीट में पांच विधान सभा क्षेत्र मैनपुरी सदर, भोगांव, किशनी करहल और इटावा की जसवंतनगर के मतदाता सांसद चुनते हैं। एक्जिट पोल आने के बाद सपा और भाजपा दोनों ही दलों के साथ जनता की भी धड़कनें बढ़ी हुई हैं।

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एक्जिट पोल के बाद चर्चा में जीत या हार

फिरोजाबाद। वर्ष 2019 में इस सीट को गंवा बैठी सपा ने इस बार जीत को पूरी ताकत लगा दी तो भाजपा ने शुरुआत में लड़खड़ाने के बाद मोर्चा संभाले रखा। बसपा ने मतदान के बाद ही इस सीट पर अपनी जीत तो लेकर हताशा जता दी। अब एक्जिट पोल आने के बाद लोकसभा सीट पर फिर से जीत-हार की चर्चा तेज हो गई है। भाजपा के समर्थकों को जोश बढ़ गया है। वहीं, सपा गठबंधन के समर्थक फर्जी बता रहे हैं।

वर्ष 2019 में भाजपा प्रत्याशी चंद्रसेन जादौन ने यह सीट करीब 20 हजार के अंतर से जीती थी। उन्हें 4,95,819 मत प्राप्त हुए थे। सपा बसपा गठबंधन के अक्षय यादव को 4,67, 038 मत मिले थे। सपा ने अक्षय यादव को फिर उतारा। भाजपा ने अपना प्रत्याशी बदलते हुए विश्वदीप सिंह को मौका दिया था। उनके नाम पर भाजपा के अंदर विरोध के स्वर सुनाई दिए। इन्हें जल्द ही शांत कर दिया गया। भाजपा ने इस सीट पर जीत दोहराने को पूरा दम लगाए रखा। वहीं, सपा वापसी के लिए जोर लगाए रही।

सपा की ओर से अखिलेश यादव सहित पूरे सैफई परिवार प्रचार में उतरा। भाजपा की ओर से योगी आदित्यनाथ ने मोर्चा संभाला। एक्जिट पोल आने के बाद मतदाताओं के बीच जीत-हार के दावे किए जाते रहे। रविवार सुबह 10 बजे कोटला चुंगी चौराहा पर मिठाई की एक दुकान पर कोटला रोड पर रहने वाले विमल कुमार का कहना था, अब तो एक्जिट पोल ने भी बता दिया कि अबकी बार फिर मोदी सरकार। वहीं, वीरेंद्र यादव एक्जिट पोल से सहमत दिखाई नहीं दिए। सारे गणित बेमानी हैं। बोले, मुसलमान, यादव और बसपा का वोट सपा को मिला है उससे अक्षय यादव की जीत तय है।

सब ने खूब लड़ी लड़ाई अब फैसले की बारी आई

एटा। आसमान से आग बरस रही है तो माहौल सियासी ताप से तपने लगा है। एक्जिट पोल आने के बाद भाजपा जोश में है तो गठबंधन मजबूती से दावे पेश कर रहा है। दिन-रात एक कर चुनाव लड़े प्रत्याशियों को परिणाम तो चार जून को मिलेगा, लेकिन बयानबाजी जोरों पर हैं। सपा से जुड़े ब्रजेश कहते हैं एक्जिट पोल हमेशा धोखा देते रहे हैं। इन पर भरोसा नहीं करना चाहिए। चुनाव परिणाम कुछ और ही होंगे।

भाजपा से जुड़े अरविंद गोयल कहते हैं कि एक्जिट पोल पर विपक्ष हमेशा अविश्वास करती है, लेकिन आखिर में वही सच होता है। एटा लोकसभा सीट के लिए भाजपा के राजवीर सिंह, सपा के देवेश शाक्य, बसपा के मुहम्मद इरफान एड. सहित 10 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा है। परिणाम जानने के लिए 28 दिन का इंतजार मतदाताओं को करना पड़ा है।

भाजपा के राजवीर सिंह दो बार के सांसद हैं और तीसरी बार फिर से मैदान में हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चुनाव प्रचार के दौरान यहां की विधानसभा क्षेत्रों को मथ दिया था। इस क्षेत्र में 2009, 2014 और 2019 में कल्याण फैक्टर हावी रहा।

भाजपा प्रत्याशी राजवीर सिंह पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पुत्र हैं। इसलिए यह सीट महत्वपूर्ण मानी जा रही है। हालांकि, इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार के लिए नहीं आए, लेकिन भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने कोई कसर नहीं छोड़ी। मशीनरी जुटी रही। सपा के एकमात्र कद्दावर नेता अखिलेश यादव ही यहां आए।

बसपा प्रमुख मायावती ने मैनपुरी से ही यहां के लिए भी वोट मांगे। बसपा से जुड़े मदनलाल कहते हैं कि एक्जिट पोल का शिगूफा भाजपा हमेशा छोड़ती रही है। चार जून को मतगणना के दौरान भारतीय जनता पार्टी को आइना दिखाई दे जाएगा। भाजपा के समर्थक इससे सहमत नहीं हैं। वे इस सीट पर राजवीर की वापसी को तय मान रहे हैं।