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Ram Mandir: ऐसा था कारसेवकों का जुनून, महज 24 घंटे के अंदर आगरा की सेंट्रल जेल में बना दिया था मंदिर

सेंट्रल जेल में 24 घंटे में बना दिया था मंदिर केंद्रीय कारागार परिसर में बने मंदिर में स्थापित हनुमान जी की मूर्ति श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण आंदोलन के दौरान कार सेवकों ने चबूतरा बना सबसे पहले हनुमान जी की मूर्ति को रखा थाl नगला अजीता के 14 राम भक्तों ने 32 वर्ष पहले रखी थी मंदिर की नींव l केंद्रीय कारागार में चबूतरानुमा मंदिर आज भव्य रूप ले चुका है

By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Tue, 16 Jan 2024 01:23 PM (IST)
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Agra Jail के मंदिर में आयोजित भागवत के दौरान सजावट और भजन-कीर्तन करते बंदी l सौ. सुनील पाराशर

जागरण संवाददाता, आगरा। वह माहौल भी ऐसा था। जय श्रीराम के नारे के बीच उत्साह, उमंग और उल्लास जोर पर था। बस एक ही धुन, मंदिर वहीं बनाएंगे। इसी धुन को लेकर नगला अजीता जगदीशपुरा के 14 कार सेवक चले तो अयोध्या के लिए थे मगर, पहुंच गए केंद्रीय कारागार। जोश यहां भी कम नहीं हुआ। यहां दो हजार से अधिक कार सेवक पहले से बंद थे।

कार सेवकों ने जेल परिसर में ही मंदिर बनाने का एलान कर दिया। जय श्रीराम के नारों के बीच परिसर में पड़ी ईंटों को एकत्रित कर 24 घंटे में चबूतरा बनाया। जेल के बाहर बने 150 वर्ष पुराने सीता-राम मंदिर से हनुमान जी की मूर्ति एक मुलाकाती से मंगाई और स्थापित कर दी। सुबह और शाम भजन-कीर्तन शुरू कर दिया। कार सेवकों द्वारा बनाया गया यह चबूतरा आज भव्य मंदिर का रूप ले चुका है।

देश से आ रहे थे कारसेवक

नगला अजीता के रहने वाले विश्व हिंदू परिषद ब्रज प्रांत उपाध्यक्ष (वर्तमान में) सुनील पाराशर बताते हैं, कार सेवा के लिए देश भर से लोग आ रहे थे। दूसरे राज्यों से आने वाले कार सेवकों को पुलिस कैंट रेलवे स्टेशन पर ही पकड़ लेती थी। यहां से उन्हें केंद्रीय कारागार भेजा जा रहा था। नगला अजीता के सुनील पाराशर के साथ अरुण पाराशर, बाबू बंसल, केदार उप्रैती, वैद्यनाथ पाराशर, संतोष पाराशर समेत 14 लोग भी कार सेवा से पहले पुलिस ने गिरफ्तार कर केंद्रीय कारागार में बंद कर दिए थे।

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जेल के बाहर भी पुलिस द्वारा पकड़कर लाए हजारों कार सेवक डेरा डाले थे। वे बताते हैं, श्रीराम जन्मभूमि पर कार सेवा के लिए जाने की धुन सवार थी। वहां नहीं जा सके तो जेल की चारदीवारी के अंदर ही मंदिर बनाने का निर्णय किया। अपने साथ बंद 14 साथियों के साथ परिसर में पड़ी ईंटों को एकत्रित करना शुरू किया। अन्य कार सेवकों को मंदिर के लिए चबूतरा बनाने का पता चला तो वह जोश से भर उठे।

हनुमानजी की मूर्ति स्थापित कर दी

दो हजार कार सेवकों ने 24 घंटे में ही चबूतरा बना उस पर हनुमान जी की मूर्ति स्थापित कर दी। सुनील पाराशर बताते हैं, 14 दिन बाद जेल से रिहा होने पर परिसर में बने मंदिर को भव्य रूप देने का प्रयास जारी रहा। जेल प्रशासन के सहयोग और बंदियों के श्रमदान से चार वर्ष में भव्य मंदिर बनकर तैयार हुआ। मंदिर में वर्तमान में श्रीराम-जानकी, हनुमान, भोलेनाथ समेत अन्य देवी-देवताओं की मूर्तिया स्थापित हैं हैं। बंदियों द्वारा तीन दशक से लगातार पूजा की जाती है। भागवत का आयोजन किया जाता है।

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सजायाफ्ता बंदियों को बैरकों में कर दिया था

सुनील पाराशर बताते हैं पूरी जेल राम मय थी। जेल प्रशासन ने सजायाफ्ता सभी बंदियों को बैरकों में बंद कर दिया था। जबकि कार सेवकों को खुले परिसर में रखा गया था। कार सेवक परिसर में जय श्रीराम का नारा लगाते तो बैरक में बंद बंदियों की ओर से यही नारा सुनाई देता था।