Dbrau: शादी के लिए 11 हजार, नौकरी को 50000 में मार्कशीट, फर्जी अंकतालिकाएं बेचने वाले गैंग ने फिक्स कर रखे थे रेट
Agra News In Hindi विश्वविद्यालय जांच करने पहुंची एसटीएफ शक के दायरे में आए कर्मचारियों से पूछताछ। एसटीएफ को आरोपितों से पूछताछ में विश्वविद्यालय के कई कर्मचारियों के इसमें शामिल होने की जानकारी मिली है। गिरोह के लोग हेप डेस्क के आसपास अधिक सक्रिय रहते थे। शुक्रवार दोपहर एसटीएफ के इंस्पेक्टर हुकुम सिंह ने विश्वविद्यालय में करीब एक घंटा छानबीन की।
जागरण संवाददाता, आगरा। फर्जी अंकतालिका बेचने वाले गिरोह ने जरूरत के हिसाब से मूल्य तय कर रखा था। शादी के लिए लड़के-लड़कियों को 11 हजार और नौकरी वालों को 50 हजार रुपये फर्जी अंकतालिका देता था। अब तक करीब पांच हजार अंकतालिका वह बेच चुका है।
गिरोह से मिली जानकारी के बाद विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने शुक्रवार डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय पूछताछ करने पहुंची। हेल्प डेस्क की प्रभारी सहायक कुलसचिव ममता सिंह से अंकतालिकाओं को लेकर जानकारी की।
एसटीएफ ने ताजगंज के देवरी रोड स्थित रचना पैलेस में बुधवार को छापा मारा था। फर्जी अंकतालिका बनाने वाले गिरोह के सरगना एवं सुमित्रा देवी इंटर कालेज तेहरा के प्रबंधक नेकराम, डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में आउटसोर्सिंग कंपनी के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अर्जुन, आरके डिग्री कालेज बल्देव के साझीदार पंकज शर्मा और शिकाेहाबाद की जेएस यूर्नीवसिटी के टेक्निकल बाबू माेहित गुप्ता को गिरफ्तार किया था।
जरूरत के हिसाब से लेते थे पैसे
पंकज शर्मा और नेकराम ने पूछताछ में एसटीएफ को बताया कि वह लोगों की जरूरत के हिसाब से फर्जी अंकतालिका का मूल्य लेते थे। शादी के लिए वह बीए, बीकाम और बीएससी की फर्जी अंकतालिका बनाने के लिए 11 हजार रुपये लेते थे। इस पर विश्वविद्यालय का लोगो लगा होता था। शादी के लिए अधिकांश लड़के-लड़कियां दूसरे विश्वविद्यालय की अंकतालिका मांगते थे।
वहीं, निजी व अर्ध सरकारी कंपनियों में नौकरी के लिए आवेदन करने वालों से 40 से 50 हजार रुपये तक वसूलते थे। अधिकांश युवा बीएससी और बीकाम की फर्जी अंकतालिका व डिग्री लेते थे। इसमें अंकतालिका सत्यापन कराने का ठेका भी शामिल होता था। आरोपितो ने युवाओं को करीब पांच हजार फर्जी अंकतालिका बनाकर देने की बात स्वीकार की।
कर्मचारियों से जुड़े होने की जांच
अंकतालिका के जारी होने और उनके रख-रखाव के बारे में सहायक कुलसचिव ममता सिंह से जानकारी हासिल की। सीओ उदय प्रताप ने बताया फर्जी अंक तालिका बनाने वाले गिरोह के तार विश्वविद्यालय के कर्मचारियों से जुड़े होने की जांच की जा रही है।
साइबर कैफे से स्कूल संचालक बन गया
एसटीएफ के अनुसार सरगना नेकराम वर्ष 2007 में लोहामंडी थाने से कलर फोटो स्टेट से फर्जी अंकतालिका बनाने के मामले में जेल गया था। तब वह साइबर कैफे चलाता था। वह साइबर कैफे मालिक से स्कूल संचालक बन गया।
पंकज शर्मा के संपर्क में थे कर्मचारी
एसटीएफ की छानबीन में सामने आया है कि पंकज शर्मा के संपर्क में विश्वविद्यालय के कई कर्मचारी थे। मथुरा में वह आरके डिग्री कालेज में साझीदार है। वह अपनी कार में निदेशक का बोर्ड लगाकर चलता था। पंकज समेत सभी आरोपितों के मोबाइल की काल डिटेल खंगाली जा रही है।
हेल्प डेस्क पर करते थे खेल
पंकज शर्मा हेल्प डेस्क पर खेल करता था। वहां आने वाले ऐसे छात्रों को देखता जिनकी असली अंकतालिका खो गई हो। वह छात्रों को 24 घंटे में अंकतालिका बनवाकर देने की कहता। इसके लिए दो से तीन हजार रुपये लेता था।
अपने यहां से अंकतालिका बनाकर दे देता था। इसमें नामांकन संख्या, रोल नंबर, विषय और नंबर सही होते थे। विश्वविद्यालय का लोगो लगा होने के चलते इन अंक तालिकाओं पर कोई शक नहीं करता था। विश्वविद्यालय में भी सत्यापन होने पर यह पकड़ में नहीं आती हैं।