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ब्रिटिश काल में बना मानसिक स्वास्थ्य संस्थान आर्थिक रूप से 'बीमार', आगरा का है आज भी इससे नाम

वर्ष 2013 के बाद से संस्थान का नहीं बढ़ा बजट महंगाई के साथ बढ़ी मरीजों की संख्या 19.50 करोड़ के बजट में से मिल रहे 12 से 13 करोड़ एमफिल के लिए शिक्षक नहीं पीएचडी नहीं हो सकी शुरू।

By Prateek GuptaEdited By: Updated: Tue, 28 Jun 2022 12:53 PM (IST)
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आगरा में ब्रिटिश काल में बनाया गया मानसिक स्वास्थ्य संस्थान।
आगरा, जागरण संवाददाता। ब्रिटिश काल में सैनिकों मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के लिए लिए बना मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय आर्थिक रुप से "बीमार" है। संस्थान का पिछले नौ साल से बजट नहीं बढ़ा है, जितना बजट है वह भी पूरा नहीं मिल रहा है। ऐसे में महंगाई, मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ एमडी और एमफिल के कोर्स शुरू होने से चिकित्सकीय सेवाएं संचालित करने में आर्थिक संकट आड़े आ रहा है। जबकि देशभर में आज भी लोग आगरा को इस अस्पताल से जानते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय के संचालन के लिए राज्य सरकार से बजट जारी होता है। 2013 से संस्थान के लिए 19.50 करोड़ का बजट आवंटित किया जा रहा है। इसमें से हर साल 12 से 13 करोड़ ही बजट मिल रहा है। इन नौ साल में मरीजों की संख्या में 25 प्रतिशत तक इजाफा हुआ है। संस्थान में एमडी और एमफिल के कोर्स भी संचालित हैं। साथ ही महंगाई भी बढ़ी है। एमफिल की 20 सीटें हैं लेकिन शिक्षक नहीं हैं। शिक्षक न होने से पीएचडी भी शुरू नहीं हो पा रही हैं। संस्थान की शैक्षिक गतिविधियों में गिरावट आ रही है। मरीजों की दवाओं की उपलब्धता कम हुई है, मरीजों को बाजार से दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं।

यूजर चार्ज से जुटा रहे 2 से 2.50 करोड़, फीस बढ़ाने का प्रस्ताव

बजट की कमी होने पर संस्थान यूजर चार्ज से दो से 2.50 करोड़ रुपये सालाना जुटा रहा है। यहां एमफिल की फीस 45 हजार रुपये है, इसे 1.50 लाख रुपये बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा गया है। इसके साथ ही संस्थान में प्रशिक्षण के लिए आ रहे बाहरी छात्रों से भी शुल्क लिया जा रहा है।

1859 में हुई मानसिक आरोग्यशाला की स्थापना

आजादी की 1857 की क्रांति के समय नार्दन प्रोविंस के लेफ्टिनेंट गवर्नर केल्विन का कार्यालय आगरा में था। वे अपना मानसिक संतुलन खो बैठे। सैनिक भी तनाव में थे, क्वीन विक्टोरिया की अनुमति के बाद ब्रिटिश सैनिकों के इलाज के लिए 1859 में आगरा में मानसिक आरोग्यशाला की स्थापना की गई। 1947 में यह राज्य सरकार के अधीन आ गया। 1995 में शैक्षिक गतिविधि और सुविधाएं बढ़ाने के लिए मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय को स्वायत्तशासी संस्थान बना दिया गया।

मानसिक स्वास्थ्य संस्थान का खर्चा

मरीजों के खाने पर - करीब एक करोड़

दवाओं पर - करीब 1.50 करोड़

चिकित्सा शिक्षक और कर्मचारियों की तनख्वाह - 12 करोड़ से अधिक

संस्थान में सुविधाएं

बेड -800

मरीज भर्ती -450 से 500

ओपीडी में मरीज -230 से 260

हर रोज यूजर चार्जेज पर्चा -10 रुपये

प्राइवेट वार्ड का शुल्क - एसी रूम दो हजार रुपये हर रोज नान एसी रूम एक हजार रुपये हर रोज

कोर्स , सीट

एमडी मनोचिकित्सा -08

एमफिल साइकि्याट्री सोशल वर्क 10

क्लीनिकल साइकि्याट्री - 10

संस्थान का बजट 19.50 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 30 करोड़ रुपये करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। एमफिल का शुल्क बढ़ाने का प्रस्ताव भी भेजा गया है।

डा. ज्ञानेंद्र कुमार, निदेशक मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय 

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