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आगरा में पालनहार मां का संघर्ष; बेटी की सिपुर्दगी को हाईकोर्ट पहुंची, राजकीय बाल गृह शिशु में 15 महीने से निरुद्ध है बालिका

Agra Latest News In Hindi आठ साल तक वह बच्ची परिवार का हिस्सा बनकर रही। अब कानून की दीवार खड़ी हो गई है। बच्ची बाल शिशु गृह में है और मां उसे पाने के लिए अधिकारियों के पास भटक रही है। किन्नर से जिस बच्ची को पाकर मीना का पूरा परिवार निहाल हो उठा था उसी बच्ची को लेकर सात वर्ष बाद किन्नर की नीयत बदल गई थी। -

By Jagran NewsEdited By: Abhishek SaxenaUpdated: Wed, 22 Nov 2023 07:12 AM (IST)
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उच्च न्यायालय इलाहाबाद में गुरुवार को 10 शीर्ष केसों में होगी सुनवाई
जागरण संवाददाता, आगरा। राजकीय बाल गृह (शिशु) में 15 महीने से निरुद्ध बालिका की सिपुर्दगी के लिए पालनहार मां ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। इसका संज्ञान लेते हुए न्यायालय ने प्रशासन से रिपोर्ट तलब की है। उच्च न्यायालय ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है किबाल कल्याण समिति द्वारा बाल हित में फैसला नहीं लिया गया है। गुरुवार को 10 शीर्ष केसों में मामले की सुनवाई उच्च न्यायालय में की जाएगी।

लावारिस हालत में किन्नर को मिली थी बच्ची

नवंबर 2014 में किन्नर को बालिका लावारिस हालत में मिली थी। किन्नर इसे टेढ़ी बगिया की रहने वाली महिला को सौंप दिया था। पालनहार मां ने नवजात बच्ची का उपचार करा उसका जीवन बचाया। नवंबर 2021 में किन्नर लौटकर आया और बालिका को पालनहार मां के घर से बिना बताए लेकर चला गया। इसे पुलिस और चाइल्ड लाइन ने फर्रूखाबाद से मुक्त कराया।

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बाल कल्याण समिति के सामने पेश करने पर बालिका को पालनहार मां की सिपुर्दगी में दे दिया।आठ महीने बाद बालिका को दोबारा बाल गृह में निरुद्ध कर दिया गया। बाल कल्याण समिति ने इसका कारण पालनहार की आय स्थायी न होना बताया। पालनहार मां 15 महीने से बेटी को दोबारा पाने के लिए भटक रही है। बाल आयोग से लेकर अधिकारियों के चक्कर काट रही है। जिला मुख्यालय पर भी धरना दिया था।

मां रूप में पहचानी पालनहार

बालिका के हित की लड़ाई लड़ रहे सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस के अनुसार उच्च न्यायालय ने अपने पत्र में कहा है कि बालिका को मुक्त कराने पर बाल कल्याण समिति फर्रूखाबाद की काउंसलिंग में उसने पालनहार को मां के रूप में पहचाना और उसके साथ जाने की इच्छा जाहिर की थी। इसी आधार पर बालिका को पालनहार मां की सिपुर्दगी में दिया गया था। सात वर्ष तक वह पालनहार मां के पास रही है। इस दौरान किसी भी जैविक माता-पिता ने बच्ची के लिए दावा नहीं किया है।

सामाजिक कार्यकर्ता के अनुसार बालिका ने अपनी हर काउंसलिंग में पालनहार काे अपनी मां बताया। उसके साथ जाने की इच्छा जताई है। उसके सभी प्रपत्रों आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र और स्कूल में पालनहार माता-पिता के नाम दर्ज है।

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