Move to Jagran APP

Mudiya Purnima Mela: पांच दिन में गिरिराजजी को समर्पित होगा आठ करोड़ का भोग, सावन के पूरे महीने चलेगा भक्तों का रेला

Mudiya Purnima Mela मिनी कुंभ के नाम से विख्यात मुड़िया पूर्णिमा मेला 10 से 14 तक रहेगा। इसके बाद भी दो महीने तक गिरिराजजी का आंगन आस्था और धनवर्षा से मुस्कराता नजर आएगा। प्रसाद में चिनौरी चिड़वा मिश्री और पेड़ा का प्रचलन है।

By Tanu GuptaEdited By: Updated: Mon, 04 Jul 2022 03:43 PM (IST)
Hero Image
गोवर्धन में मुड़िया पूर्णिमा मेला 10 से 14 तक रहेगा।
आगरा, जागरण टीम। कोरोना काल के कारण दो साल प्रभावित रहे मुड़िया पूर्णिमा मेला में इस बार अपार भीड़ आने का अनुमान है। मेला को देखते हुए दुकानदारों ने प्रसाद का स्टाक करना शुरू कर दिया है। पर्वतराज की भूमि में प्रसाद के रूप में चिनौरी, चिड़वा, मिश्री और पेड़ा का खास महत्व है। गिरिराज प्रभु को प्रसाद लगाने के लिए करीब आठ करोड़ रुपए से अधिक प्रसाद की बिक्री का अनुमान है।

उत्तर भारत के मिनी कुंभ के नाम से विख्यात मुड़िया पूर्णिमा मेला 10 से 14 तक रहेगा। इसके बाद भी दो महीने तक गिरिराजजी का आंगन आस्था और धनवर्षा से मुस्कराता नजर आएगा। सावन का पूरा महीना, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और राधाष्टमी तक भक्त परिक्रमा को आएंगे। एक अनुमान के मुताबिक पांच दिवसीय मुड़िया पूर्णिमा मेला में विभिन्न प्रांतों से श्रद्धालु गिरिराजजी को नमन करने आते हैं, जिनकी संख्या एक करोड़ तक पिछले सालों में पहुंच चुकी है।

गिरिराज प्रभु के प्रसाद में चिनौरी, चिड़वा, मिश्री और पेड़ा का प्रचलन है। प्रसाद लगाकर भक्त अपने स्वजन को वितरित करने को खरीद कर ले जाते हैं। चिनौरी, चिड़वा और मिश्री सूखी सामग्री होने के कारण कई दिनों तक खराब नहीं होती। गिरिराज जी के प्रसाद में प्रयुक्त होने वाला चिड़वा गोंडल जिला राजकोट (गुजरात) से मंगाई गई , जबकि चिनौरी जयपुर (राजस्थान) से मंगाई जा रही है।द्ध मिश्री और पेड़ा आसपास क्षेत्र में उपलब्ध हो जाता है। मेला में भीड़ की अधिकता को देखते हुए थोक व्यापारी और फुटकर दोनों ही विक्रेता स्टाक कर रहे हैं। इस प्रसाद के गोवर्धन में चुनिंदा थोक विक्रेता हैं, हालांकि फुटकर तीन हजार से अधिक है। मेला के दौरान गिरिराजजी के मंदिरों और बस स्टैंड के समीप अस्थाई दुकानें भी लगती है। करीब चालीस रुपये की किलो चिड़वा चिनौरी सौ रुपये तक किलो तक बिकते हैं। थाेक विक्रेता कहते हैं कि करीब पांच करोड़ का स्टाक किया गया है। मेला के दौरान वाहन प्रतिबंधित होने के कारण प्रसाद मेला शुरू होने से पहले आ जाता है। अधिकतर स्थाई दुकानों पर माल भेजा जा चुका है। अस्थाई दुकानदार मेला से दो-तीन दिन पूर्व ही खरीदते हैं। दो महीने चलने वाले मेले में इस बार उन्होंने आठ करोड़ रुपये की बिक्री होने का अनुमान बताया।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।