Multilevel Parking Agra: सीईसी ने पर्यटन विभाग पर बरकरार रखा जुर्माना, आगरा में मल्टीलेवल पार्किंग के लिए लगाने होंगे 20 गुना पेड़
शिल्पग्राम में मल्टीलेवल पार्किंग के निर्माण को काटे जाने हैं 11 पेड़। सुप्रीम कोर्ट ने सीईसी की शर्तों के पालन का मांगा है एफीडेविट। पार्किंग के निर्माण की लागत पूर्व में करीब 35 करोड़ रुपये आंकी गई थी। इस पर अब तक नौ करोड़ रुपये व्यय हो चुके हैं।
By Prateek GuptaEdited By: Updated: Wed, 27 Apr 2022 10:56 AM (IST)
आगरा, जागरण संवाददाता। सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी (सीईसी) ने पर्यटन विभाग पर मल्टीलेवल पार्किंग के निर्माण को 20 गुना पेड़ लगाने का जुर्माना बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने पर्यटन विभाग से सीईसी की शर्तों के पालन को एफीडेविट मांगा है। ताज ट्रेपेजियम जोन में एक पेड़ काटने के एवज में नियमानुसार 10 पेड़ लगाने होते हैं। नियम व जुर्माने को मिलाकर 11 पेड़ काटने के एवज में 330 पेड़ लगाने होंगे।
शिल्पग्राम में मल्टीलेवल पार्किंग का निर्माण होना है। यहां पेड़ काटने की अनुमति नहीं होने से 20 मई, 2017 से काम बंद है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले माह सीईसी की शर्तों को माने जाने का एफीडेविट पर्यटन विभाग से माना था। सीईसी की शर्तों के अनुसार पर्यटन विभाग को 11 पेड़ काटने के एवज में 330 पेड़ लगाने हाेंगे। इनमें से 110 पेड़ शिल्पग्राम में लगाए जाएंगे और 220 पेड़ लगाने को वन एवं वन्य जीव विभाग द्वारा जगह चिह्नित की जाएगी। पर्यटन विभाग ने इसके लिए वन विभाग से एस्टीमेट तैयार करने व पेड़ लगाने को जगह चिह्नित करने को कहा है। पार्किंग के निर्माण की लागत पूर्व में करीब 35 करोड़ रुपये आंकी गई थी। इस पर अब तक नौ करोड़ रुपये व्यय हो चुके हैं। उपनिदेशक पर्यटन राजेद्र कुमार रावत ने बताया कि वन विभाग द्वारा दो से तीन दिन में एस्टीमेट तैयार कर उपलब्ध करा दिया जाएगा। उसके बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
अखिलेश यादव ने किया था शिलान्यास
मल्टीलेवल पार्किंग का शिलान्यास पांच जनवरी, 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया था। आर्किटेक्ट ने शुरुआत में यहां लगे पेड़ों को डिजाइन में शामिल किया था। बाद में उसने 11 पेड़ काटने की आवश्यकता जताई थी। पर्यटन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। शिल्पग्राम में निरीक्षण को आई सीईसी की टीम ने बिना अनुमति के काम शुरू करने पर अापत्ति जताते हुए पर्यटन विभाग पर 20 गुना पेड़ लगाने का जुर्माना लगाया था। सुप्रीम कोर्ट ने इसी याचिका पर उप्र सरकार से विजन डाक्यूमेंट मांगा था। विजन डाक्यूमेंट जमा होने के बाद याचिका खारिज करते हुए पर्यटन विभाग को नए सिरे से याचिका दायर करने को कहा गया था।
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