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National Endangered Species Day: जीव-जंतु हो रहे हैं विलुप्त, बढ़ रहा मानव प्रजाति के लिए खतरा

सफेद गिद्ध और सारस क्रेन नहीं आते हैं आगरा में नजर। लोगों को करना होगा पक्षियों व जलीय जीवों की सुरक्षा के प्रति जागरूक। आइयूसीएन ने लुप्तप्राय प्रजातियों के निर्धारण को मानक तय कर रखे हैं। लुप्तप्राय प्रजातियांं वे हैं जिनकी संख्या 10 वर्षों में 50-70 फीसद तक घटी है।

By Prateek GuptaEdited By: Updated: Fri, 21 May 2021 12:15 PM (IST)
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पहले बहुतायत में नजर आने वाले सफेद गिद्ध अब आगरा में नहीं दिखते।

आगरा, निर्लोष कुमार। मनुष्य ने विकास और सुख-सुविधाओं के नाम पर प्रकृति का जमकर दोहन किया है। जीव-जंतुओं के विलुप्त होने से मानव प्रजाति भी खतरे की चपेट में है। आगरा में लुप्तप्राय इजिप्सियन वल्चर दिखना बंद हो गए हैं और राज्य पक्षी सारस क्रेन विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गया है। लुप्तप्राय प्रजाति दिवस की सार्थकता तभी सार्थक हो सकेगी, जब लुप्तप्राय प्रजातियों की जानकारी, उनके आवासों की सुरक्षा, प्राकृतिक महत्व के बारे में लोगों को जागरूक किया जा सकेगा।

आगरा में दिखने वाली जलीय जीव व पक्षी वर्ग की लुप्तप्राय प्रजातियां

पक्षी वर्ग: इंटरनेशनल यूनियन फार कंजर्वेशन आफ नेचर (आइयूसीएन) की गंभीर संकटग्रस्त सूची में शामिल पक्षियों की प्रजातियों में इजिप्सियन वल्चर (क्रिटिकल एनडेन्जर्ड), इंडियन स्कीमर (एनडेन्जर्ड), ब्लैक-बिल्ड टर्न (एनडेन्जर्ड), सारस क्रेन (वल्नरेविल), ग्रेटर-स्पोटिड ईगल (वल्नरेविल), रिवर टर्न (वल्नरेविल), ब्लैक-हेडेड आईबिश (नीयर थ्रेटेन्डेड), रिवर लेपविंग (नीयर थ्रेटेन्डेड),

ओरिएंटल डार्टर (नीयर थ्रेटेन्डेड), डालमेशन पेलिकन (नीयर थ्रेटेन्डेड) और ब्लैक-नेक्ड स्टार्क (नीयर थ्रेटेन्डेड) आगरा में दिखाई देती हैं।

जलीय जीव: आगरा में चंबल नदी में जलीय जीवों में लुप्तप्राय घड़ियाल (क्रिटिकल एनडेन्जर्ड), गंगेटिक डाल्फिन (एनडेन्जर्ड) एवं लुप्तप्राय कछुए की साल, ढोर, पचेड़ा, स्योतर, कटहेवा, सुंदरी, प्रजातियां मौजूद हैं।

यह है मानक

बायोडायर्विसटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसायटी के अध्यक्ष डा. केपी सिंह ने बताया कि आइयूसीएन ने लुप्तप्राय प्रजातियों के निर्धारण को मानक तय कर रखे हैं। लुप्तप्राय प्रजातियों में उन्हें रखा गया है, जिनकी संख्या 10 वर्षों में 50-70 फीसद तक घटी है। पांच हजार वर्ग किमी से कम के भौगोलिक क्षेत्रफल या 500 वर्ग किमी से कम का स्थानीय संख्या वाली प्रजातियों और जिन प्रजातियों के वयस्क 2500 से कम हैं, उन्हें लुप्तप्राय श्रेणी में रखा जाता है।

लगातार घट रहे सफेद गिद्ध

बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसायटी द्वारा एकत्र आंकड़ों के आधार पर आगरा में सफेद गिद्ध (इजिप्सियन वल्चर) की संख्या लगातार तेज गति से कम हो रही है। वर्ष 2017 में सफेद गिद्ध 50 थे, जो 2018 में 16 और 2019 में 12 सफेद गिद्ध रिकार्ड किए गए थे।

सारस क्रेन भी हो रहे विलुप्त

भारत में उप्र में सर्वाधिक राज्य पक्षी सारस क्रेन हैं। आगरा की स्थिति सारस क्रेन के मामले में बहुत खराब है। वर्ष 2017 में कीठम व बाह में दो जोड़े सारस क्रेन रिकार्ड किए गए थे। इसके बाद उनकी गणना नहीं हो सकी। आगरा के आसपास मैनपुरी में सर्वाधिक सारस क्रेन हैं। इसके बाद मथुरा, अलीगढ़, हाथरस, फीरोजाबाद, एटा व इटावा का नंबर है।

यह हैं लुप्त होने के कारण

डा. केपी सिंह बताते हैं पक्षियों व अन्य जीवों की प्रजातियों के विलुप्त होने का कारण मानवीय गतिविधियां हैं। सूखते व सिकुड़ते वेटलैंड्स, हैबिटाट का नष्ट होना, पर्यावरण में विदेशी प्रजातियों की घुसपैठ, अंधाधुंध शिकार, पर्यावरणीय प्रदूषण, बीमारी व अानुवंशिक कारण, वनों की कटाई व जलवायु परिवर्तन प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं।

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