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Commander Sanjeev Gupta; 'कतर में 17 महीने की कैद जीवन भर रहेगी याद'; घर आए कमांडर संजीव गुप्ता बोले− मोदी हैं तभी मुमकिन हुई रिहाई

Commander Sanjeev Gupta Navy Veterans in Qatar Jail 17 माह कैद के दौरान सिर्फ टीवी का सहारा था। उस पर भी अरबी भाषा के चैनल ही आते थे। सिर्फ एक भारतीय चैनल टीवी पर आता था और उससे ही सजा की जानकारी मिली। मन तनाव में आ गया पर उस समय मन में सकारात्मक सोच भगवान में आस्था और देश पर भरोसा कर इतना समय काट पाए।

By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Tue, 20 Feb 2024 02:31 PM (IST)
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मंगलवार को परिवार के पास आगरा पहुंचे कमांडर संजीव गुप्ता
जागरण संवाददाता, अविनाश जायसवाल, आगरा। Sanjeev Gupta Interview in Beginning and PM Modi in Between content कतर में फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद सरकार के प्रयासों से रिहा हुए नौ सेना के सेवा निवृत्त कमांडर संजीव गुप्ता मंगलवार को अपने घर आगरा के दयालबाग पहुंचे। यहां कालोनी वासियों और परिवार के सदस्यों ने उनका भव्य स्वागत किया।

दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में उन्होंने कतर में 17 महीने की तन्हाई कैद को जीवन भर याद रहने की बात कही। उन्होंने कहा कि छह माह बाद ही प्रधानमंत्री और भारत पर भरोसा हो गया था कि वो मुझे रिहा करवा लेंगे।

यहां ' मुझे ' शब्द का प्रयोग करने पर कमांडर बताया कि हिरासत में लिए जाने के बाद उन्हें सजा सुनाए जाने तक अन्य किसी के बारे में पता ही नहीं था। 17 माह उन्हें अकेले कमरे में बंद रखा गया। रिहा होने के बाद एयरपोर्ट जाने से पहले कतर के इंडिया हाउस में हम सबकी मुलाकात हुई।

हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर यकीन था। भरोसा था कि हमारा देश हमें सुरक्षित निकाल लेगा। हमारी रिहाई में सरकार और कतर के बीच संबंध काम आए हैं। भारतीय राजदूत विपुल ने जमीनी स्तर पर काम किया और हर माह मुलाकात कर हिम्मत देते रहे।

जनवरी 2018 में गए थे कतर

कमांडर संजीव गुप्ता न बताया कि नौ सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद 2 जनवरी 2018 को कतर गए थे। वहां अल दहरा कंपनी में डायरेक्टर थे। कंपनी का कतर की सेना से अनुबंध हुआ था। उसी के तहत वहां के नेवल आफिसरों को प्रशिक्षण दे रहे थे। पता नहीं किसने कतर की सेना को भ्रमित कर गलत जानकारी दे दी। अचानक हम आठ लोगों को जासूसी के आरोप में पकड़ लिया गया। 30 दिनों तक पूछताछ की गई और फिर सजा सुना दी गई। 

गनीमत रही परिवार आ गया था भरता

कमांडर संजीव गुप्ता ने बताया कि कतर बहुत अच्छा शहर है। वहां 8.5 लाख भारतीय नौकरी कर रहे हैं। वो और उनकी पत्नी रेखा गुप्ता और छोटी बेटी साथ रह रहे थे। बेटी ने इंटरमीडिएट तक पढ़ाई की। इसके बाद वो भारत आ गई। जून 2022 में बेटी की पढ़ाई के कारण रेखा नौकरी छोड़ कर भारत चली गईं। अगस्त 2022 में उन्हें पकड़ लिया। साथियों में एक के माता पिता भी कतर में ही उनके साथ रहते थे। उन्हें वापस आने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

परिवार में अब आई खुशी

संजीव गुप्ता के पिता राजपाल गुप्ता ने बताया कि बेटे को फांसी की सजा सुनाई जाने की जानकारी के बाद पूरा परिवार व्यथित हो गया था। प्रधानमंत्री की ओर से विदेश मंत्री डा जयशंकर ने लगातार संपर्क किया और परिवार को हिम्मत देते रहे। सजा की जानकारी के बाद परिवार में कोई मुस्कुराया तक नहीं होगा। हर वक्त चिंता सताती रहती थी। भाई अनिल गुप्ता, राजीव गुप्ता और भाभी रजनी ने कहा कि इतना डर था कि अगर फोन बजता था तो भी सांसे तेज हो जाती थीं। भाई की रिहाई सरकार की कामयाबी है।

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मौका मिला तो करेंगे समाजसेवा

कमांडर संजीव गुप्ता ने बताया कि अब दोबारा देश से बाहर जाने का विचार नहीं है। यहीं रहकर समाज की सेवा करना चाहते हैं। युवाओं को देश के निर्माण में सहभागी बनाने के लिए काम करेंगे। प्रधानमंत्री ने मौका दिया तो उनके सपनों को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करूंगा।

चौथे स्तंभ का जताया आभार

कमांडर संजीव गुप्ता और उनके पूरे परिवार ने मामले पर मीडिया का सकारात्मक व्यवहार अपनाने पर धन्यवाद दिया है। संजीव का कहना है कि मामले को राजनीतिक रुख नहीं दिया गया और सरकार को भी अपना काम आसानी से करने का समय मिला। तभी रिहाई संभव हो पाई।

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