Nidhivan: पशु-पक्षी भी शाम होते ही छोड़ देते हैं ये वन, समेटे हैं कई रहस्यमयी कहानियां
मथुरा के वृंदावन का टूर बनाएं तो जरूर देखें निधिवन। तुलसी तो आपने बहुत देखी होंगी लेकिन यहां की तुलसी अलग ही है। वहीं वृक्षों की शाखाएं नीचे की ओर हैं। यहां शाम होने के बाद नहीं जाता है यहां कोई मान्यता है कि आज भी कन्हैया रास रचाते हैं
आगरा, जागरण टीम। अगर आप धार्मिक पर्यटन के शौकीन हैं तो एक बार मथुरा-वृंदावन का प्लान जरूर बनाएं। यहां मौजूद है निधिवन। ये स्थान बेहद पवित्र, धार्मिक और रहस्यमयी है। इस लेख में आज हम आपको बताते हैं कि ऐसा कौन सा रहस्य है, जो इस जगह को खास बनाता है। आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि विदेशी पर्यटक भी इस जगह की ओर खिंचे चले आते हैं।
निधिवन की मान्यता, आज भी रास रचाते हैं भगवान श्रीकृष्ण
निधिवन की मान्यता है कि यहां आज भी हर रात कृष्ण-गोपियों संग रास रचाते हैं। यही कारण है की सुबह खुलने वाले निधिवन को संध्या आरती के बाद बंद कर दिया जाता है। इसके बाद निधिवन में कोई नहीं रहता है। निधिवन में दिन में रहने वाले पक्षी भी शाम होते ही इस वन को छोड़कर चले जाते है।
निधिवन में तुलसी के पेड़ बनते हैं गोपियां
निधिवन में तुलसी के पेड़ हैं। यहां तुलसी का हर पौधा जोड़े में है। मान्यता है कि जब श्रीकृष्ण और राधा रासलीला करते हैं तो ये तुलसी के पौधे गोपियां बन जाती हैं और सुबह होने पर तुलसी के पौधे में परिवर्तित हो जाते हैं। यहां लगे वृक्षों की शाखाएं ऊपर की ओर नहीं बल्कि नीचे की ओर बढ़ती हैं। ये पेड़ ऐसे फैले हैं कि रास्ता बनाने के लिए इन पेड़ों को डंडे के सहारे रोका गया है।
निधिवन के अंदर है रंग महल
निधिवन के अंदर ही है 'रंग महल' है। जिसके बारे में मान्यता है की रोज रात यहां पर राधा और कृष्ण रास रचाते हैं। रंग महल में राधा और श्रीकृष्ण के लिए रखे गए चंदन की पलंग को शाम सात बजे के पहले सजा दिया जाता है। पलंग के बगल में एक लोटा पानी, राधाजी के श्रृंगार का सामान और दातुन संग पान रख दिया जाता है।
रंग महल का बिस्तर मिलता है अस्त-व्यस्त
'रंग महल' के पट सुबह पांच बजे खुलते हैं। उस समय बिस्तर अस्त-व्यस्त, लोटे का पानी खाली, दातुन कुची हुई और पान खाया हुआ मिलता है। रंगमहल में भक्त केवल श्रृंगार का सामान ही चढ़ाते है और प्रसाद स्वरुप उन्हें भी श्रृंगार का सामान मिलता है।
निधिवन के आसपास घरों में नहीं हैं खिड़कियां
निधिवन के समीप बने घरों में वन की तरफ खिड़कियां नहीं हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि शाम के बाद कोई इस वन की तरफ नहीं देखता, जिन लोगों ने देखने का प्रयास किया वे अंधे हो गए या फिर पागल हो गए।
कुछ लोगों ने वन की तरफ बनी खिड़कियों को ईंटों से बंद कर रखा है। जिससे कोई चाहकर भी इस वन की तरफ नहीं देख सके। वृंदावन में ऐसे कई बुर्जुग हैं जो इस वन से जुड़ी कई रहस्यमय कहानियां बताते हैं।
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