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1971 युद्ध : तंगेज पुल को कब्‍जाना चाहती थी पाकिस्‍तानी फौज, भारतीय वायु सेना ने फेर दिया मंसूबों पर पानी

सन 1971 की लड़ाई में दो पैरा ब्रिगेड के पैराट्रूपर्स का हौसला और जज्बा देख भाग खड़े हुए थे पाकिस्तानी जवान। पश्चिम बंगाल में तंगेज के पास था पुल समय रहते पाक सेना को नहीं मिल सकी कोई मदद। रिटायर्ड फौजी नहीं भूलते युद्ध के उस मंजर को।

By Prateek GuptaEdited By: Updated: Thu, 16 Dec 2021 04:35 PM (IST)
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भारत और पाकिस्‍तान के बीच 1971 में युद्ध के बाद समझौते का एक पुराना चित्र।
आगरा, जागरण संवाददाता। यूं तो भारत और पाकिस्तान के बीच तीन दिसंबर 1971 को युद्ध शुरू हो गया था लेकिन दो पैरा, तीन पैरा और सात पैरा को अदम्य साहस दिखाने का मौका बाद में मिला। आगरा से दो पैरा ब्रिगेड की टुकड़ी कोलकाला, पश्चिम बंगाल स्थित बोटेनिकल गार्डन में एकत्रित हुई। 11 दिसंबर की रात आठ बजे पैराट्रूपर्स को छलांग लगानी थी। यह छलांग काफी अहम थी। तंगेज क्षेत्र के पास एक पुल था। इस पुल की अहमियत थी क्योंकि इसी से भारतीय सेना का रसद और सैन्य उपकरण गुजरने थे। यह बात पाकिस्तानी सेना को अच्छी तरीके से पता थी। पाकिस्तानी सेना इस पुल पर किसी तरीके से कब्जा करना चाहती थी। इसी के चलते दो पैरा के पैराट्रूपर्स को पुल अपने कब्जे में लेने का आदेश मिला। पाकिस्तानी सेना ने पुल के समीप पहुंचना शुरू कर दिया। सेवानिवृत्त मेजर शिव कुंजरू (युद्ध के समय कैप्टन) ने बताया कि पुल को बचाने के लिए प्लान बदलना पड़ा। शाम चार बजे पैराट्रूपर्स को छलांग लगाने के लिए कहा गया। इसके लिए डकोटा सहित अन्य विमानों का प्रयोग किया गया। जैसे ही भारतीय पैराट्रूपर्स ने छलांग लगाई। पाकिस्तानी सेना ने गोलियों की बौछार शुरू कर दी। भारतीय जवानों का हौसला कम होने के बजाय और भी बढ़ गया। जवान पुल के समीप उतरे और पुल को कब्जे में ले लिया। कावेरी कालोनी, शमसाबाद रोड निवासी शिव कुंजरू ने बताया कि पुल के पास बड़ी संख्या में पाकिस्तानी जवान पहुंचे। इन जवानों पर भारतीय वीरों ने जवाबी हमला शुरू कर दिया। भारतीय सेना का मनोबल देख पाकिस्तानी जवान भाग खड़े हुए। पुल अपने कब्जे में रखा।

दलदल में गिरे और उठ खड़े हुए

कर्नल शिव कुंजरू ने बताया कि बड़ी संख्या में पैराट्रूपर्स दलदल और पानी में गिरे लेकिन अपने पैराशूट को समेटा और जल्द उठ खड़े हुए।

और ग्रामीण बने भगवान, भारतीय सेना का दिया साथ

लायर्स कालोनी निवासी सेवानिवृत्त मेजर जनरल (युद्ध में कैप्टन) प्रताप दयाल ने बताया कि ढाका के आसपास के ग्रामीणों ने भारतीय सेना का साथ दिया। युद्ध में कंधे से कंधा मिलाकर चले। खाना और पानी उपलब्ध कराने के साथ ही पाकिस्तानी सेना के आने की जानकारी दी। भारतीय सेना ने चारों दिशाओं से पाकिस्तानी सेना को घेर लिया। इससे पाकिस्तान जवान घबरा गए और भाग खड़े हुए।

कैप्टन निर्भय शर्मा बने थे संदेशवाहक

कर्नल शिव कुंजरू ने बताया कि युद्ध विराम में दो पैरा के कैप्टन निर्भय शर्मा संदेशवाहक बने थे। ले. जनरल पद से सेवानिवृत्त हुए निर्भय पाकिस्तानी जनरल नियाजी के पास पहुंचे थे।

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