Paliwal Park: आगरा के बीचों बीच एक पार्क आज भी सहेज रहा जीवों की तमाम प्रजातियां
Paliwal Park बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसायटी के द्वारा मनाये जा रहे वन्यजीव सप्ताह के अंतर्गत पालीवाल पार्क में शहरी जैव विविधता से परिचित होने के लिए शैक्षिक भ्रमण किया गया। पक्षियों की ही 50 से ज्यादा प्रजातियां हैं यहां मौजूद।
By Prateek GuptaEdited By: Updated: Thu, 08 Oct 2020 01:17 PM (IST)
आगरा, जागरण संवाददाता। जंगल कटते गए और इमारतें बनती गईं। क्रंकीट की होती जा रही इस दुनिया में हजारों वन्य जीवों का आसरा छिन गया। सैकड़ों प्रजातियां तो लुप्त ही हो चलीं। वर्तमान पीढ़ी के सामने ही गिद्ध लगभग खत्म हाेे गए और अब चील भी कम दिखने लगीं। बरसात में रोशनी जैसा टिमटमाने वाला जुगनू अब नहीं दिखाई देता। आगरा में पर्यावरण के कुछ सजग प्रहरियों ने अपने दम पर शहर के बीचों-बीच पालीवाल पार्क को सहेजकर रखा। यह पार्क आज भी कई जीवों को आसरा दिए है।
पालीवाल पार्क आगरा शहर के बीचों बीच स्थित लगभग 70 एकड़ में फैला एक जंगलनुमा पार्क है। अंग्रेजी शासन काल में यह हेविट पार्क के नाम से जाना जाता था। आजादी के बाद उत्तर प्रदेश के पहले वित्त मंत्री श्री कृष्ण दत्त पालीवाल के नाम पर इसका नामकरण किया गया। पालीवाल पार्क में बहुत पुराने पेड़ एवं वन्यजीवों की शरणस्थली भी है ।इन वन्यजीवों की शरणस्थली है पालीवाल पार्क
बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसायटी के अध्यक्ष डाॅ केपी सिंह ने बताया कि शहरी क्षेत्रों में जैव विविधता संरक्षण बहुत बड़ी चुनौती है। शहरों के लोग अपने आसपास के जीव-जन्तुओं, पेड़-पौधों और पक्षियों की पहचान से अनभिज्ञ हैं। पालीवाल पार्क में आबादी के पास रहने वाले पक्षियों एवं जन्तुओं की उपस्थिति दर्ज की गई है। पक्षियों की लगभग 50 प्रजातियां इस पार्क में मौजूद हैं। जिनमें होर्नबिल, काॅपर स्मिथ बारबेट, ब्राउन हेडेड बारबेट, कबूतर, मोर, बैबलर, मैना, मैगपाई रोबिन, ब्लैक काइट, पोंड हैरोन, स्पोटिड आउल, ईग्रिट की प्रजातियां सैकड़ों की संख्या में मौजूद हैं। इसके अलावा पालीवाल पार्क नेवलों और गिलहरियों की बहुत बडी प्रजनन स्थली है।
ईको क्लब की सजगता से बच गया गिलहरियों का जीवन
ईको क्लब के प्रदीप खंडेलवाल की सजगता से गिलहरियोंं के शिकार पर रोक लगी है। विगत कुछ वर्षों में पालीवाल पार्क में कुछ गिलहरियो को बिना पूछ के देखा जा रहा था। जब पार्क की निगरानी कर देखा गया तो मालूम हुआ कि कुछ असामाजिक तत्व ब्रुश बनाने के लिए गिलहरियो को पत्थर मारकर उनकी पूछ काटकर ले जाते थे, जिसमें कुछ गिलहरियों की मौत भी हो जाती थी।
बटरफ्लाई पार्क बनाने के करेंगे प्रयास शहरी क्षेत्रों की प्रदूषण की समस्या पर्यावरण संरक्षण एवं जनजागरूकता से ही संभव है। ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले शहरी क्षेत्र में वायु, ध्वनि व जल प्रदूषण की गंभीर समस्या है। जिसके निदान में पर्यावरण संरक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका है। बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसायटी के अध्यक्ष डा. केपी सिंह ने बताया कि पालीवाल पार्क में बटरफ्लाई पार्क विकसित करने की संभावनाएं हैं। बटरफ्लाई पार्क बनने के बाद पार्क के अध्ययन के अवसर बनेंगे और सौन्दर्य के साथ सरकार का आय का स्रोत भी तैयार हो सकता है। पालीवाल पार्क में डा. धीरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में युवाओं को शैक्षिक भ्रमण कराया गया। भ्रमण के दौरान पार्क की जैव विविधता के बारे में बताया गया। पक्षियों एवं पेड़ पौधों की पहचान की गई। डा. धीरेन्द्र सिंह ने बताया कि पालीवाल पार्क में पक्षियों के हेविटाट के अनुरूप पौधारोपण की आवश्यकता है।
जगदम्बा डिग्री कालेज द्वारा जीव संरक्षण के लिए किया सम्मानितजगदम्बा डिग्री कालेज फाउंड्री नगर आगरा के डाॅ पुष्पेन्द्र विमल द्वारा पालीवाल पार्क में जीव जन्तुओं व पेड़ पौधों की देखभाल करने के लिए ईको क्लब के सदस्यों को सम्मानित किया गया है। पालीवाल पार्क में लगभग दस स्वैच्छिक संगठनों के द्वारा इसकी प्रकृति का संरक्षण किया जा रहा है। जिसमें ईको क्लब और ग्रीन क्लब प्रमुख है। कार्यक्रम में प्रदीप खंडेलवाल, डा. केपी सिंह, डाॅ पुष्पेन्द्र विमल, डाॅ धीरेन्द्र सिंह, डाॅ शिवम, डाॅ राजेश शर्मा, तरून चौधरी, नवीन, शिल्पी, सुदर्शन, अजय चौधरी आदि शामिल रहे।
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