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पापड़ बेचने वाले को सड़क पर मिला पर्स, अंदर थे पांच लाख के जेवर; किया कुछ ऐसा- सभी हो गए हैरान

पापड़ विक्रेता ने ईमानदारी की मिसाल पेश की है। उसे सड़क पर एक पर्स मिला था जिसमें पांच लाख के जेवर थे। पापड़ विक्रेता ने पास में मौजूद पान के खोखे वाले को ये कहते हुए अपना मोबाइल नंबर दे दिया कि पर्स ढूंढते कोई आए तो मुझसे बात करा देना। पुलिस चौकी में भी पर्स के बारे में जानकारी दे दी।

By avinash jaiswal Edited By: Aysha Sheikh Updated: Fri, 05 Jul 2024 02:10 PM (IST)
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शाहगंज सत्तो लाला फूड कोर्ट में पर्स लौटाने वाले घनश्याम का सम्मान हुआ। जागरण
जागरण संवाददाता, आगरा। पापड़ बनाकर घर-घर बेचने वाले युवक ने ईमानदारी की मिसाल पेश करते हुए शिक्षिका को उसका पर्स लौटा दिया। सड़क पर मिले इस पर्स में पांच लाख के जेवर और कुछ नकदी थी। शिक्षिका ने उन्हें 11 हजार रुपये का इनाम दिया है।

केदारनगर के रहने वाले घनश्याम हेमलानी के परिवार में पत्नी और एक बेटी है। किराए के मकान में रहते हैं। बेटी कक्षा छह में पढ़ती है। पापड़ बनाकर घर-घर बेचकर गुजर-बसर हो रही है। घनश्याम को मंगलवार को केदार नगर तिराहे पर एक पर्स मिला। पर्स में सोने की दो चूड़ियां, चेन, दो अंगूठी, कुंडल और 1600 रुपये थे।

तिराहे पर पान के खोखे वाले को घनश्याम ने ये कहते हुए अपना मोबाइल नंबर दे दिया कि पर्स ढूंढते कोई आए तो मुझसे बात करा देना। घनश्याम ने पुलिस चौकी को भी पर्स के बारे में जानकारी दे दी। साथ ही इंटरनेट मीडिया पर पर्स मिलने के बारे में प्रसारित कर दिया।

गुरुवार को एक महिला पर्स ढूंढ़ते पहुंची। पान वाले से नंबर लेकर घनश्याम से संपर्क किया। घनश्याम ने पर्स के अंदर रखे सामान की जानकारी ली। पुष्टि होने पर महिला को पर्स लौटा दिया। संतोष मौनी नाम की इस महिला ने बताया कि वो एक स्कूल में शिक्षक है।

वृंदावन में एक प्लाट की रजिस्ट्री कराने के लिए जेवर को गिरवीं रखने जा रही थी। रास्ते में पर्स गिर गया। जेवर की कीमत करीब पांच लाख रुपये थी। संतोष मौनी ने ईमानदारी से प्रभावित होकर घनश्याम को 11 हजार रुपये इनाम में दिए।

पर्ची देख कचोट गया था मन

घनश्याम हेमलानी ने बताया कि पर्स में एक पर्ची थी। उस पर लिखा था कि बेटा हमेशा खुश रहना। उन्हें लगा कि यह किसी मां की अपने बच्चे के लिए लिखा होगा। देवी भक्त घनश्याम को यही बात कचोटती रही। संतोषी मौनी ने इसे स्पष्ट किया। बताया कि एक बार वो अवकाश के दिन घर पर सो रही थी। मां को कहीं जाना था, उन्होंने जगाने के बजाय ये पर्ची लिखकर छोड़ दी और चली गईं। मैंने (संतोष) ने ये पर्ची पर्स में रख ली थी।

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