Pitru Paksha 2022: नहीं होता श्राद्ध पूर्ण जब तक निकाले न जाएं पंचग्रास, पढ़ें इसके पीछे क्या महत्व और किस किस के लिए निकाला जाता है ये ग्रास
Pitru Paksha 2022 श्राद्ध तिथि पर ब्रह्माण को भाेजन कराने से पहले निकाला जाता है पंचग्रास। गाय कौआ कुत्ता जल और चींटी के लिए निकाला जाता है पंचग्रास। पितृ पक्ष के 15 दिन भी दे सकते हैं पंचग्रास की बलि।
By Tanu GuptaEdited By: Updated: Fri, 16 Sep 2022 01:45 PM (IST)
आगरा, तनु गुप्ता। श्राद्ध पक्ष की आज सप्तमी तिथि है। परिवार में पीढ़ियों से श्राद्ध तिथि पर पंच ग्रास निकालने का प्रचलन हम सभी देखते आ रहे हैं। बहुत बार मन में प्रश्न उठता है कि इसका क्या महत्व होता है। किसके लिए और क्यों पंचग्रास निकालने की परंपरा है। इस बाबत धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी से Jagran.Com ने बात की।
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उन्होंने बताया कि शास्त्रों में श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि श्राद्ध और तर्पण करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं। श्राद्ध के दिन ब्राह्मण भाेज से पूर्व पंचग्रास आवश्य निकाला जाता है। पंचग्रास का अर्थ होता है पांच स्थान पर भाेजन निकालना, जिसमें गाय, चींटी, कौए और कुत्ते को भाेजन खिलाया जाता है। माना जाता है कि पंचग्रास भोजन से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वह प्रसन्न होते होकर आशीर्वाद देते हैं।
श्राद्ध पक्ष में यूं तो प्रतिदिन ही पंचग्रास निकाल सकते हैं लेकिन जिस दिन ब्राह्मण को भाेजन करा रहे हों उस दिन विशेष रूप से पांच पत्तलों पर पंच ग्रास निकालना चाहिए। पंचग्रास निकालते वक्त मंत्र का उच्चारण एवं संकल्प जरूर लें। पितरों को तर्पण करने का, उनके श्राद्ध का सबसे उपयुक्त समय दोपहर 12 बजे के बाद माना जाता है। इसके बाद ही ब्रह्माण को भाेजन कराना चाहिए।यह भी पढ़ें...BJP Mission 2024: आलाकमान का आदेश, जीत की राह तय करनी है तो इन दो जरूरी चीजों पर रखना होगा फोकस
पंचग्रास निकालने का सही तरीकासबसे पहले ग्रास गाय के लिए निकालने का नियम है, जिसे गो बलि भी कहा जाता है। इसके बाद दूसरी बलि यानी ग्रास कुत्ते के लिए निकाला जाता है। जिसको श्वान बलि कहते हैं। तीसरा ग्रास कौआ, जिसे काक बलि भी कहते हैं। गरुण पुराण के अनुसार श्राद्ध पक्ष के दौरान पितर कौओं के रूप में रती पर आते हैं। वहीं चौथा ग्रास है देव बलि, जिसे जल में प्रवाहित किया जाता है। इसे आप गाय को भी खिला सकते हैं। अंतिम ग्रास यानी पांचवा ग्रास चींटियों के लिए निकाला जाता है, जिसे पिपीलिकादि बलि कहते हैं।
पंडित वैभव जोशीडिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
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