Princess Diana: ताजमहल में जिस बेंच पर फोटो खिंचाने की रहती है ख्वाहिश, उसे शाहजहां ने नहीं लगवाया, पढ़िए इसकी कहानी
Princess Diana दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल जितना खूबसूरत है उसी परिसर में सेंट्रल ट्रैंक पर लगी डायना बेंच भी उतनी ही मशहूर है। आम हो या खास इस डायना बेंच पर बैठकर फोटो खिंचाने के मोह से खुद को नहीं रोक पाते हैं।
आगरा, जागरण टीम। ताजमहल आए और यहां आकर डायना बेंच पर फोटो नहीं खिंचाई तो मन में मलाल जरूर रहता है। हर पर्यटक की ख्वाहिश इस सीट पर बैठकर ताजमहल के साथ एक तस्वीर लेने की होती है। लेकिन इस बेंच के पीछे का एक दिलचस्प और करीब ढाई सदी पुराना इतिहास भी है। इसे शाहजहां ने नहीं लगवाया था।
ताजमहल का निर्माण सन 1632 से 1648 के बीच कराया
मुगल शहंशाह ने ताजमहल का निर्माण करीब सन 1632 से 1648 के बीच कराया था। ताजमहल में तब ये बेंच नहीं थीं। इतिहासकार राजकिशोर राजे बताते हैं कि वर्ष 1902 में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड कर्जन आगरा आए थे। उनके कार्यकाल के दौरान ताजमहल परिसर में कई परिवर्तन कराए गए थे। गार्डन में लगे ऊंचे-ऊंचे पेड़ों की वजह से तब ताजमहल वीडियो प्लेटफार्म से नजर नहीं आता था। ताजमहल पूरा नजर आए, इसके लिए पुराने पेड़ों को काटा गया था।
सेंट्रल टैंक पर संगमरमर की चार बेंच लगवाईं
ताजमहल पर लॉर्ड कर्जन के समय 1907-08 में सेंट्रल टैंक पर संगमरमर की चार बेंच लगाई गई थीं। इस बेंच पर बैठने के बाद पीछे ताजमहल का मनमोहक नजारा भी कैमरे में कैद हो जाता है। ऐसे दृश्य वाला फोटो ताजमहल के दीदार की याद दिलाता रहता है।
'ताजमहल एंड इट्स कंजर्वेशन' में मिलता है उल्लेख
आगरा में अधीक्षण पुरातत्वविद रहे डी. दयालन ने अपनी किताब 'ताजमहल एंड इट्स कंजर्वेशन' में लॉर्ड कर्जन द्वारा 1907-08 में सेंट्रल टैंक पर बेंच लगवाने का उल्लेख किया है।
राजकुमारी डायना के नाम से फेमस हुई है ये सीट
इस सीट के पीछे की कहानी बहुत ही रोचक है। वर्ष 1992 में राजकुमारी डायना भारत आईं थीं और उन्होंने ताजमहल देखा था। प्रिंसेज डायना ने इसी बेंच पर बैठकर फोटो खिंचाए थे। उनकी लोकप्रियता उस समय चरम पर थी। इसके बाद ये बेंच उनके नाम से ही पुकारी जाने लगी। डायना बेंच सेंट्रल टैंक पर मुख्य मकबरे की तरफ स्थित है।
ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ जनवरी, 1961 में पति प्रिंस फिलिप के साथ ताज देखने आई थीं। उन्होंने भी सेंट्रल टैंक स्थित बैंच पर बैठकर फोटो खिंचवाए थे। मगर उनके नाम पर यह प्रसिद्ध न हो सकी।
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