Move to Jagran APP

RadhaSwami Satsang: जन्माष्टमी पर आगरा की इस गली में जन्मे थे राधास्वामी मत के संस्थापक

RadhaSwami Satsang संस्थापक स्वामीजी महाराज का जन्माष्टमी को हुआ था जन्म। देश-विदेश में हैं लाखों सत्संगी स्वामीबाग में है उनकी समाधि।

By Tanu GuptaEdited By: Updated: Tue, 11 Aug 2020 03:57 PM (IST)
Hero Image
RadhaSwami Satsang: जन्माष्टमी पर आगरा की इस गली में जन्मे थे राधास्वामी मत के संस्थापक
आगरा, आदर्श नंदन गुप्त। विश्व के अनेक देशों में राधास्वामी सत्संग की जो धारा प्रवाहित हो रही है, उसके संस्थापक स्वामीजी महाराज (सेठ शिवदयाल सिंह) की जन्मस्थली पन्नी गली है, जहां नियमित सत्संग होता है। कोरोना काल की वजह से इस बार न वहां सत्संग होगा, न स्वामी बाग में भंडारा।

राधास्वामी मत के संस्थापक स्वामीजी महाराज का जन्म जन्माष्टमी पर 24 अगस्त वर्ष 1818 को हुआ था। उन्होंने जिस राधास्वामी सत्संग की स्थापना की, उसकी देश-विदेश में शाखा हैं। लाखों अनुयायी हैं और स्वामीबाग में उनकी समाधि है। जहां देशी-विदेशी पर्यटक भी पहुंचते हैं।

स्वामीजी महाराज ने पांच वर्ष की आयु में पाठशाला जा कर हिंदी, उर्दू, फारसी और गुरुमुखी की शिक्षा ली थी। उसके साथ-साथ वे ध्यान, योग व भजन करने लगे थे। वे अपने आवास पर कमरे के अंदर बने कमरे में साधना करने लगे। पांच-पांच दिन तक उसी में रहते थे। उसके बाद उनकी साधना निरंतर बढ़ती गई। उनका पैतृक आवास पन्नी गली शहर के मध्य है, उन्हेंं वहां का कोलाहल पसंद नहीं आता। वे पालकी से दयालबाग चले जाते और वहीं पर आसन लगा कर भजन, ध्यान व सत्संग करने लगे। वहां पर एक कुआं भी था, जो अब भी है। उस समय पोइया घाट पर भी जंगल ही था। वहां पगडंडी हुआ करती थी। यमुना पार करके लोग वहां से होकर निकलते थे, वे ही उनके शिष्य बन गए। स्वामीजी महाराज रोज शाम को पालकी से वापस चले आते थे। इस प्रकार सत्संग की महिमा बढ़ती गई।

1861 में सत्संग हुआ था आम

पन्नी गली में भी साधु, संत एकत्र होने लगे थे, इसलिए सत्संग को कोई नाम देना था। स्वामीजी ने पन्नी गली में ही वसंत पंचमी पर वर्ष 1861 में राधास्वामी मत के द्वितीय आचार्य हजूर महाराज के निवेदन पर राधास्वामी मत का नाम दान किया था। उसके बाद सत्संग आम लोगों के लिए जारी कर दिया। पन्नी गली में नियमित सत्संग होने लगा। स्वामीजी महाराज की पत्नी राधाजी महाराज वहां लोगों के लिए भोजन बनाया करती थीं। 19 नवंबर 1876 में उन्होंने स्वामीजी महाराज ने स्वामी बाग वाली जगह ले ली थी। उनका निधन 15 जून वर्ष 1878 को हो गया। स्वामी बाग में उनकी समाधि बनी हुई है।

सुरत शब्द योग नाम दिया

राधा का अर्थ सुरत और स्वामी का अर्थ आदि या मालिक होता है। जिसका अर्थ हुआ सुरत का आदि शब्द या मालिक में मिल जाना। स्वामीजी द्वारा सिखाई गई योगिक पद्धति सुरत शब्द योग के नाम पर जानी जाती है।

जन्मस्थली पर सुरक्षित हैं स्मृतियां

पन्नी गली स्थित उनके पैतृक आवास पर अभी भी वह ध्यान कक्ष बना हुआ है। एक चौकी पर उनके स्वरूप विराजमान हैं। पालकी भी वहां रखी हुई है। यहां राधाजी की रसोई भी है।

जन्मदिन पर यहां देश-विदेश से सत्संगी आते हैं। जन्माष्टमी पर स्वामी बाग में भंडारा और दूसरे दिन पन्नीगली में सत्संग होता है। इस बार कोरोना काल की वजह से कुछ नहीं होगा। स्वामी बाग में केवल पांच पाठियों द्वारा सत्संग किया जाएगा। भंडारा भी नहीं होगा, केवल प्रसाद घरों में वितरित कर दिया जाएगा।

-एसएस भट्टाचार्य, सेक्रेटरी राधास्वामी सत्संग, स्वामी बाग, आगरा 

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।