Move to Jagran APP

UP News : स्वामी प्रसाद की बयानबाजी पर बोले रामस्वरूपाचार्य- यह विक्षिप्त और दैत्य मानसकिता के लोगों का कार्य

श्री कामदगिरि पीठाधीश्वर श्रीमद जगद्गुरु रामनंदाचार्य स्वामी रामस्वरूपाचार्य महाराज ने लोहामंडी स्थित महाराजा अग्रसेन भवन में पत्रकार वार्ता में कहा कि विडम्बना है कि आज दूसरे धर्म के नहीं बल्कि हिन्दू ही सनातन का विरोध और अपमान कर रहे हैं। यह विक्षिप्त और दैत्य मानसिकता के लोग हैं। उन्होंने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य पहले अपने नाम से प्रसाद और मौर्य हटाएं फिर कहें कि हिन्दू कोई धर्म नहीं है।

By Jagran NewsEdited By: Shivam YadavUpdated: Mon, 25 Sep 2023 04:57 PM (IST)
Hero Image
UP News : स्वामी प्रसाद की बयानबाजी पर बोले रामस्वरूपाचार्य- यह विक्षिप्त और दैत्य मानसकिता के लोगों का कार्य
आगरा, जागरण संवाददाता: श्री कामदगिरि पीठाधीश्वर श्रीमद जगद्गुरु रामनंदाचार्य स्वामी रामस्वरूपाचार्य महाराज ने लोहामंडी स्थित महाराजा अग्रसेन भवन में पत्रकार वार्ता में कहा कि विडम्बना है कि आज दूसरे धर्म के नहीं बल्कि हिन्दू ही सनातन का विरोध और अपमान कर रहे हैं। यह विक्षिप्त और दैत्य मानसिकता के लोग हैं। 

उन्होंने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य पहले अपने नाम से प्रसाद और मौर्य हटाएं फिर कहें कि हिन्दू कोई धर्म नहीं है। अपने पूर्वजों की सूची निकालें और पता करें कि वह किस धर्म के थे। सनातन को जाने और समझे बिना उसके बारे में बात करना मूर्खता है। सनातन का विरोध आज ही नहीं हो रहा है। यह सतयुग से हो रहा है। 

सतयुग में हिरण्यकश्यप, त्रेता में रावण और द्वापर में कंस ने विरोध किया। सब मिट गए, लेकिन सनातन आज भी है। देव और दैत्य दो संस्कृतियां हैं। सनातन का विरोध करने वाले दैत्य और समर्थन करने वाले देव संस्कृति के हैं। 

किस डिक्शनरी में ताड़न का अर्थ पीटना लिखा है?

रामस्वरूपाचार्य ने ढोल गंवार शूद्र पशु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी..., दोहे का वास्तविक अर्थ समझाते हुए कहा कि विरोध करने वाले पहले यह बताएं कि किस डिक्शनरी में ताड़न का अर्थ पीटना लिखा है। मात्र श्रीरामचरित मानस को देखकर या पढ़कर उसके मर्म को नहीं समझा जा सकता। ताड़न का अर्थ लालन, पालन, शिक्षा और संरक्षण से है। मानस को समझे बिना उस पर बोलने का किसी को अधिकार नहीं। 

श्री रामचरितमानस को पढ़ने से आएगा राम राज्य

तीन हजार श्रीरामचरितमानस की प्रतियां कथा में बांटने का उद्देश्य बताते हुए कहा कि राम राज्य नारे लगाने से नहीं श्री रामचरितमानस को पढ़ने से आएगा। हृदय परिवर्तन करने वाला यह सबका कल्याण करने वाला ग्रंथ है। अन्य ग्रंथ पढ़ने के लिए कुछ नियम हैं, परन्तु श्रीरामचरित मानस को आप कहीं भी कभी भी पढ़ सकते हैं। मोबाइल पर ही सही प्रतिदिन पांच चौपाई अवश्य पढ़ें। संवैधानिक रूप से न सही परन्तु हिन्दुओं की संख्या अधिक होने के कारण भारत हिन्दू राष्ट्र है।

यह भी पढ़ें:- Sadhvi Pragya: मालेगांव ब्लास्ट मामले में साध्वी प्रज्ञा का कांग्रेस पर हमला, बोलीं- इनके झूठ के चक्कर में...

यह भी पढ़ें:- UP News : 1 अक्टूबर से शुरू हो रही यूपी में धान की सरकारी खरीद, फसल बेचने से पहले करें यह जरूरी काम वरना…

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।