Ratan Tata: ताज महल के बारे में क्या सोचते थे पद्म विभूषण रतन टाटा? विजिटर बुक के नोट में लिखी दी थी बड़ी बात
उद्योग जगत का बेताज बादशाह रतन टाटा ने 2013 में ताजमहल का दौरा किया था और इसकी वास्तुकला से अभिभूत हुए। उन्होंने ताजमहल को ‘वास्तुकला की महान कृति’ बताया। डायना बेंच पर बैठकर तस्वीर खिंचवाई थी। उनकी सादगी और सहृदयता ने सभी को प्रभावित किया। ताजमहल देखने के बाद उन्होंने होटल ताज व्यू में ठहरे और विजिटर बुक में अपने विचार लिखे थे।
जागरण संवाददाता, आगरा। एक सितंबर 2013, ताज में जब उद्योग जगत का बेताज बादशाह पहुंचा तो ताज की खूबसूरती देख अभिभूत हो गया। अपने मेक्सिकन मित्र के साथ ताज का दीदार करने के बाद पद्म विभूषण रतन टाटा ने लिखा कि ताजमहल वास्तुकला की महान कृति है। ऐसा न पहले कुछ बना है और न कभी बन पाएगा।
ताज की याद सहेजने के लिए उन्होंने डायना बेंच पर बैठकर तस्वीर भी खिंचवाई। 45 मिनट तक ताजमहल में रहने के बाद रतन टाटा अपने ग्रुप के होटल ताज व्यू भी पहुंचे थे। इससे पहले भी टाटा एक बार पहले आगरा आए थे।
गाइड से लेते रहे जानकारियां
ताजमहल भ्रमण के दौरान उनके साथ रहे आईएमए आगरा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. डीवी शर्मा बताते हैं, रतन टाटा के शहर में आने की सूचना पर वे डॉ. रंजना बंसल के साथ ताजमहल पहुंचे थे।वहां पता चला कि अपने दोस्त मेक्सिको के नामचीन उद्योगपति इमिलियो डियाज बारसो के साथ आए हैं। जब वे पहुंचे तो ताजमहल में कड़ी सुरक्षा के बीच वे चमेली फर्श से मुख्य मकबरे की ओर जा रहे थे।
रंजना बंसल को देख उन्होंने हम दोनों को अपने सुरक्षा घेरे के अंदर बुला लिया। मुस्कराते हुए हमारे अभिवादन का जवाब दिया। वे गाइड मुकुल पांड्या से ताजमहल के आर्किटेक्ट और खूबसूरती के बारे में जानकारी लेते हुए चलते रहे।
मुख्य मकबरे में भी गाइड से जानकारियां लीं। करीब 45 मिनट ताजमहल में रहे और फोटो भी कराए। इसके बाद उन्होंने विजिटर बुक में नोट भी लिखा कि ताजमहल वास्तुकला की महान कृति है। ऐसा न पहले कुछ बना है और न कभी बन पाएगा।
ताजमहल देखने के बाद वे सीधे होटल ताज व्यू पहुंचे। पहले वे मीडिया से भी बात करना चाहते थे, लेकिन बाद में यह कहकर मना कर दिया कि वे व्यक्तिगत यात्रा पर आए हैं, इसलिए बात नहीं करेंगे।
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