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Chaitra Navratri 2021: जब ब्रजगोपियों ने की मां कात्यायनी की पूजा, जानिए क्या मांगा था वरदान

Chaitra Navratri 2021 ब्रजगोपियों ने वर रूप में मांगे थे भगवान श्रीकृष्ण। यमुना के तट पर एकत्रित होकर बालुई मिट्टी से मां कात्यायानी का श्रीविग्रह बनाया और उनकी वैष्णव विधि से पूजा कर एकमासीय व्रत का संकल्प लिया। इस पर प्रसन्न हुई मां ने गोपियों को वरदान दे दिया।

By Tanu GuptaEdited By: Updated: Fri, 16 Apr 2021 01:32 PM (IST)
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वृंदावन स्थित कात्यायनी देवी मंदिर। यही की थी ब्रज गोपियों ने देवी की आराधना।
 आगरा, जेएनएन। द्वापर में रासेश्वर कृष्ण ने मोहिनी बांसुरी और अनूठी लीलाओं से ब्रज के ब्रज गोपिकाओं को अपने प्रेमाकर्षण में बांध लिया था। हर कोई उनके दिल में रहने की चाहत रखता था। गोपिकाएं तो बलिहारी थीं। उन्होंने कृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए मां कात्यायनी की आराधना की। तब से अब तक युवतियां की ओर से सुयोग्य वर के लिए मां की आराधना की परंपरा चली आ रही है।

भागवत पुराण में उल्लेख है कि ब्रज की गोपिकाओं ने श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने का मन में विचार बनाया। ब्रज लीला के तत्वज्ञ गर्ग मुनि ने गोपिकाओं के इस मनोभाव को जानकर भगवान श्रीकृष्ण को सचेत कर दिया। ब्रज गोपिकाओं के संकल्प को देख वृंदा देवी एक दिन गोपिकाओं के पास पहुंचीं और उन्होंने कहा कि अगर श्रीकृष्ण को पाना है तो मां कात्यायनी की आराधना करो। गोपिकाओं ने वृंदा देवी द्वारा बताई विधि के अनुसार यमुना के तट पर एकत्रित होकर बालुई मिट्टी से मां कात्यायानी का श्रीविग्रह बनाया और उनकी वैष्णव विधि से पूजा कर एकमासीय व्रत का संकल्प लिया। इस पर प्रसन्न हुई मां ने गोपियों को वरदान दे दिया। मंदिर के पुरोहित श्रीराम शास्त्री के अनुसार भागवत के दशम स्कंध में उल्लेख है कि ब्रह्माजी ने भगवान श्रीकृष्ण की परीक्षा लेने के लिए ब्रजमंडल के गोवंश और ब्रज गोप का हरण कर उन्हें ब्रह्मलोक ले गए। बिगड़ती स्थिति को संभालने के लिए भगवान कृष्ण ने गोवंश और ब्रज ग्वालों का रूप धरकर एक साल तक ब्रज में निवास किया। इस तरह मां कात्यायनी का दिया गया वरदान पूरा हुआ। भगवान कृष्ण गोपियों के पति के रूप में उनके घर पर रहे थे। तभी से मान्यता है कि युवतियों की आराधना से प्रसन्न होकर आज भी मां उन्हें सुयोग्य वर प्रदान कर रही हैं। सालभर में सैकड़ों युवतियां आज भी मां कात्यायानी की आराधना कर व सुहाग की वस्तुएं अर्पित कर अपनी मनोकामना पूरी कर रही हैं।

बीस को होगी संधि आरती

कात्यायनी मंदिर में अष्टमी-नवमी की संधि तिथि पर 20 अप्रैल को शाम 7.30 बजे संधि पूजा आरती होगी। जिसके दर्शनों के लिए मंदिर प्रबंधन ने कोविड गाइड लाइन का पालन करते हुए व्यापक इंतजाम किए हैं।

विवाह योग को मंत्र जाप

भागवत पुराण में उल्लिखित मंत्र ''कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरी, नंदगोप सुतम् देव पत में कुरुते नम:'' का पाठ करने से विवाह योग्य युवतियों को शीघ्र ही सुशील और मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।

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