Holi 2021: कान्हा की नगरी में सिंहासन पर इतराती होलिका, गोद में खिलखिलाते प्रह्लाद
Holi 2021 यहां तैयार होती प्रतिमाओं की आसपास के शहरों में भी मांग। मथुरा में जगह-जगह सजाया जाता होलिका स्थल। मथुरा में होलिका प्रतिमा के पूजन की ये परंपरा कुछ दशक ही पुरानी है। जनवरी से शुरू हो जाती है तैयारियां।
By Tanu GuptaEdited By: Updated: Mon, 22 Mar 2021 09:37 AM (IST)
आगरा, नवनीत शर्मा। पूजन की परंपरा निभाना कोई ब्रज से सीखे। ब्रजवासियों का भक्तिभाव धर्म ग्रंथों में उल्लिखित प्रभु की लीला को जीवंत कर देता है। यहां का होलिका पूजन भी कुछ ऐसा ही है। सजी-धजी होलिका की प्रतिमा दहन स्थल पर सुसज्जित सिंहासन पर विराजते ही इतराती है। उसकी गोद में भक्त प्रह्लाद खिलखिलाते नजर आते हैं। श्रद्धालु इस स्वरूप का पूजन कर सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते हैं।
मथुरा में होलिका प्रतिमा के पूजन की ये परंपरा कुछ दशक ही पुरानी है। पहले शहर के ह्रदय स्थल होली गेट पर ही मुख्य होलिका दहन होता था। होली गेट के पास के ही इलाके में प्रजापति समाज के कुछ परिवार रहते हैं। ये परिवार चार पीढिय़ों से मिट्टी के खिलौने और प्रतिमा बनाते आ रहे हैं। होलिका प्रतिमा तैयार करने की सोच इसी परिवार की है। साल दर साल होलिका प्रतिमा की मांग बढ़ती गई। अब तो मथुरा में ज्यादातर स्थलों पर होलिका की प्रतिमा का ही पूजन होता है।
जनवरी से शुरू कर देते हैं तैयारी
शहर के मध्य जवाहर हाट मार्केट के पीछे स्थित खिलौना बस्ती निवासी प्रजापति समाज के उमाशंकर बताते हैं कि अब तक आगरा, अलीगढ़ के साथ ही दिल्ली तक होलिका की प्रतिमा की मांग होने लगी है। आर्डर पूरे करने के लिए वे जनवरी में ही तैयारी शुरू कर देते हैं। सुधा बताती हैं कि उन्हें तीन सौ प्रतिमाओं के आर्डर मिले हैं। वैसे इस बार करीब एक से डेढ़ हजार प्रतिमाएं बिकने की उम्मीद है।
बदलते हैं पोशाक
मिट्टी और गत्ता से तैयार प्रतिमा को रंग-रोगन से सुंदर बनाया जाता है। पोशाक भी धारण कराई जाती है। धोती, फिर लहंगा-चुनरी और इस बार देवी की पोशाक पहनाई गई है।दहन से पहले हटा लेते हैं प्रह्लाद की प्रतिमा होलिका स्थल पर होलिका की गोद में प्रह्लाद की प्रतिमा भी होती है। दोनों का पूजन होता है। दहन से पहले प्रह्लाद की प्रतिमा हटा ली जाती है। इस प्रतिमा को विसर्जित कर दिया जाता है।
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