Zero Waste: आज से ही अपनाना शुरू करें ये छोटे लेकिन काम के 9 कदम, जिनसे बन सकता है आपका घर पूरी तरह ज़ीरो वेस्ट
Zero Waste घरेलू सामान बड़े कंटेनर के रूप में खरीदें। मसलन शैंपू की बड़ी बोतल। हजारों करोड़ों प्लास्टिक के टुकड़े लैंडफिल में जाते हैं और बड़े पैमाने पर प्रदूषण का कारण बन जाते हैं। एक स्मार्ट ग्राहक बनकर भी हम वेस्ट कम कर सकते हैं।
By Tanu GuptaEdited By: Updated: Sat, 21 May 2022 04:25 PM (IST)
आगरा, जागरण संवाददाता। ग्लोबल वार्मिंग के नतीजे हम सभी भुगत रहे हैं। पहले तो पर्यावरण पर सिर्फ चर्चा ही करते रहे। कोरा चिंतन ही चलता रहा लेकिन उपायों के नाम पर क्या हुआ कुछ नहीं। वर्ष दर वर्ष भीषण गर्मी के कारण घर से बाहर निकलना भी दूभर हो चला है। माना कि पूरी दुनिया को हम नहीं बदल सकते लेकिन कुछ उपाय एेसे तो कर सकते हैं जिन्हें अपनाकर घर से कम से कम कचरे का उत्सर्जन करें। ताकि प्रदूषण का स्तर भी कम हो। विगत करीब दस वर्षों से पर्यावरण संरक्षण और पौधारोपण पर काम कर रहीं इको वेलफेयर सोसायटी की अंजू दियालानी बताती हैं कि शुरूआत हमें अपने घर से ही करनी चाहिए। लगातार वो उपाय करने चाहिए जिनसे घर से कचरा कम से कम निकले और प्रदूषण का स्तर कंट्रोल हो सके।
बड़े काम के हैं ये उपाय1- बड़े कंटेनर ख़रीदें
थोक में सामान ख़रीदना एक अच्छी आदत है, जो कचरे को काफी हद तक कम करने में मदद कर सकती है। एक उत्पाद जिसे हम जानते हैं कि हम 6 महीने या एक साल से अधिक समय तक उपयोग करेंगे, तो उसे बाजार में उपलब्ध सबसे बड़ी पैकेजिंग में खरीदा जा सकता है, ताकि छोटे पैकेट और बोतलों के रूप में कचरा कम हो सके। बड़ी बोतल/बैग को बाद में घर में अन्य चीजों को स्टोर करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। आप अगर घर पर शैम्पू नहीं बना रहे, तो इसकी बड़ी बोतल तो खरीद ही सकते हैं।
2- प्लास्टिक पैकेट को छोटे टुकड़ों में न काटें
हमारी आदत है कि प्लास्टिक के पैकेट को कोने से काटकर, उस छोटे टुकड़े को अपने कूड़ेदान में फेंक देते हैं। अगर हम पैकेट को इस तरह से खोलते हैं, तो पैकेट का वह छोटा हिस्सा रीसायकल नहीं हो सकता। ऐसे में ये हजारों करोड़ों प्लास्टिक के टुकड़े लैंडफिल में जाते हैं और बड़े पैमाने पर प्रदूषण का कारण बन जाते हैं।
3- खरीदने से पहले सोचना किसी भी जीरो वेस्ट लाइफ का पहला कदम यही होना चाहिए कि कोई भी प्रोडक्ट खरीदने से पहले, हम सोचें कि क्या मुझे सच में इसकी जरूरत है। क्या कोई प्लास्टिक का खिलौना वास्तव में मेरे बच्चे के विकास में मदद करता है? क्या मुझे सच में उस ड्रेस या कपड़े की ज़रूरत है या यह सिर्फ मेरी आलमारी की शोभा बनेगा और आगे चलकर कूड़े में जाएगा। एक स्मार्ट ग्राहक बनकर भी हम वेस्ट कम कर सकते हैं।
4- कचरे को अलग करना सूखे कचरे और गीले कचरे को अलग करना और जितना हो सके, कम करना एक बड़ा ही जरूरी कदम है। अगर हर घर से कचरा कम होगा, तो लैंडफिल में कचरा अपने-आप ही कम हो जाएगा।घर में आए हर एक प्लास्टिक बोतल को जमा करें, जो आप घर में फिर उपयोग कर सकते हैं, उसे घर में इस्तेमाल करें। कुछ प्लास्टिक वेस्ट आप रीसायकल के लिए भी दे सकते हैं।
इसी तरह गीला कचरा भी आप अच्छे से रीसायकल या उपयोग में ला सकते हैं। फलों के छिलकों से घर के लिए नेचुरल क्लीनर बना सकते हैं। सर्दियों में मटर के छिलके और हरी सब्जियों का कचरा आप आस-पास गाय को खिला सकते हैं। इसके लिए आपको थोड़ा समय जरूर निकालना होगा, लेकिन सड़क पर घूमने वाले जानवरों को अच्छा भोजन मिल जाएगा।5- सिंगल यूज प्लास्टिक को कहें ना सिंगल यूज प्लास्टिक और डिस्पोजल पूरी दुनिया के लिए आसान विकल्प बन गए हैं। सब्जियों की दुकान पर छोटे प्लास्टिक बेग्स मांगने से बेहतर है, आप अपना एक कपड़े का थैला हमेशा साथ रखें। बाहर खाना खाते समय प्लास्टिक की चम्मच और प्लेट्स के बजाय हम खुद के बर्तन, चम्मच आदि इस्तेमाल कर सकते हैं। यह सिर्फ आदत की बात है, प्रीति कहती हैं कि उन्हें स्टारबग्स में कॉफी पीना पसंद है, लेकिन वह वहां भी अपना खुद का मग ले जाती हैं, ताकि प्लास्टिक कचरा कम हो सके। बाहर से खाना ऑर्डर करते समय वह एक बार चेक करती हैं कि खाना प्लास्टिक पैकेट में तो नहीं आ रहा।
6- प्लास्टिक फ्री पीरियड्स यह कदम खास कर महिलाओं के लिए है, जिन पैड्स का इस्तेमाल हम हाइजीन के लिए करते हैं, उसपर जहरीले प्लास्टिक की एक परत होती है। ऐसे में मेंस्ट्रुअल कप या कपड़े के पैड का उपयोग करना ज्यादा बेहतर हो सकता है। इस आदत से खर्च भी कम होगा और वेस्ट भी।7- रीसाइक्लिंग हमारे घर से किस तरह के वेस्ट बाहर जाते हैं, सब का हिसाब लगाएं। जैसे प्लास्टिक वेस्ट, इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट, बायो वेस्ट आदि को अलग करने के साथ-साथ, जरूरी है कि इसे सही जगह पर रीसायकल के लिए दिया जाए।
क्या आपको याद है कि पहले हमारे घरों में हम कई डिब्बे, कपड़े और बाकि वेस्ट जमा करके कबाड़ी वाले को देते थे? लेकिन डिस्पोजेबल लाइफ और ग्राहकों की खरीदने की शक्ति ने हमें सबकुछ फेंकना सीखा दिया है। इसलिए हमें जरूरत है, थोड़ा पीछे जाने की और कबाड़ी वाले भैया को फिर से याद करने की।8- ईको-फ्रेंडली प्रोडक्ट्स के उपयोग पर ध्यान देनाभारत में कई ऐसी कई कंपनियां हैं, जो हमारी रोजमर्रा की जरूरत को ध्यान में रखते हुए प्राकृतिक प्रोडक्ट्स बना रही हैं। शैंपू से लेकर फेस पैक तक, बांस के टूथ ब्रश से लेकर प्राकृतिक डिटर्जेंट तक, प्राकृतिक हेयर वॉश से लेकर केमिकल फ्री ऑर्गेनिक फ्लोर क्लीनर तक सबकुछ बाजार में मिल जाता है। बस जरूरत है थोड़ा ढूंढने की, लेकिन एक बार अगर आप मन बनाकर कोशिश करें, तो आपको हर चीज का प्राकृतिक विकल्प जरूर मिल जाएगा। बच्चों के लिए भी आप प्लास्टिक के खिलौनों की जगह हमारे पारम्परिक लकड़ी या मिट्टी के खिलौने खरीद सकते हैं। इससे हमारे देसी हस्त कलाकारों को भी रोजगार मिल पाएगा।
9- कम्पोस्ट बनाना यह शुरुआत में थोड़ा मुश्किल लग सकता है, लेकिन यकीन मानिए समय के साथ यह आपके जीवन का हिस्सा बना जाएगा। इसके लिए आपको एक बड़ा कंटेनर , कुछ सूखे पत्ते या बाहर से कम्पोस्ट मिक्स, थोड़ा दही (कम्पोस्टिंग प्रक्रिया को तेज करने लिए) चाहिए होगा। आपको बस हर दिन अपने कचरे को इसमें फेंकना है और समय-समय पर ढेर को घुमाते रहना है। आप इस खाद को अपने गार्डन या अपनी सोसाइटी के गार्डन में इस्तेमाल कर सकते हैं।
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